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लोगों ने कहा ट्रक ड्राइवरी महिलाओं का काम नहीं, मैंने अनसुना कर दिया, पढ़ें देश की पहली महिला ट्रक ड्राइवर की कहानी

स्वदेश संवाददाता, भोपाल। योगिता भारत की पहली महिला ट्रक ड्राइवर हैं। शहर-शहर में अपना ट्रक लेकर जाने से लेकर रोड में होने वाली कई दिक्कतों तक योगिता सब कुछ संभालती रहती हैं। उन्होंने पति की मौत के बाद ये काम संभाला और वो अकेली ही अपने बच्चों की जिम्मेदारी उठा रही हैं।
वो खुद लॉ की डिग्री ले चुकी हैं, लेकिन हालात के कारण ट्रक ड्राइवर बनने के बारे में सोचा। उनका कहना था कि अगर वो वकालत में आगे बढ़तीं तो कई सालों तक उन्हें बहुत कम पैसा मिलता या बिलकुल नहीं मिलता, लेकिन इस रोजगार ने उन्हें आत्मनिर्भर बनाया। जो महिलाओं के लिए प्रेरणादायक बनी। और आज महिला सशक्तिकरण का उदाहरण पेश कर रही है

सवाल : आप की पहली ट्रक यात्रा कैसी रही और आपने समाज की सोच को कैसे बदला?
जवाब : पहली यात्रा भोपाल से हैदराबाद तक की थी। इस दौरान उन्हें यह भी पता नहीं था कि कौनसी सडक़ किस राजमार्ग तक जाती है। लोगों से रास्ता पूछ-पूछकर अपना सफर पूरा किया। इसके बाद कभी पीछे मुडक़र नहीं देखा। मुझे ट्रक के साथ देशभर के शहरों और हाईवे पर काम करना अच्छा लगता है। जब लोग मुझे देखते हैं तो उन्हें भरोसा नहीं होता कि मैं ट्रक ड्राइवर हूं। वे सोचते हैं कि मैं किसी ट्रक ड्राइवर की पत्नी हूं। हाईवे पर मैकेनिक, ढाबों पर पुरुष व अन्य जगहों पर लोग जब मुझे ड्राइवर सीट पर बैठा देखते हैं तो उनका नजरिया बदल जाता है। आज तक कोई दुर्घटना नहीं हुई है और माल की डिलीवरी हमेशा सही समय पर की है।
सवाल : आपने लॉ करने के बाद ट्रक ड्राइवर बनने के बारे में कैसे सोचा?
जवाब : ट्रक लाइन के बारे में मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इस लाइन में आऊंगी। लॉ मैंने इसलिए किया क्योंकि घर वालों ने कहा था कि अगर हम पढ़ाएंगे तो लॉ ही पढ़ाएंगे। जब मेरे पति का देहांत हुआ तो मैंने ये सोचा कि मुझे किस तरह से आगे बढ़ना है और पैसों की कमी को पूरा करना है। उनका एक ट्रक था तो मैंने पहले ड्राइवर रखकर उसे चलवाया, लेकिन उससे फायदा नहीं हुआ। फिर मैंने ड्राइविंग सीखने की कोशिश की, मैं सीख भी गई और अगर हम कोई कोशिश करते हैं तो वो 100% सफल होती है। पहले मुझे गियर, स्टियरिंग, गाड़ी के बारे में कुछ भी नहीं मालूम था और मैं धीरे-धीरे आगे बढ़ती गई तो सब चीज़ें आसान होने लगीं। लोगों ने कहा कि इस फील्ड को छोड़ दो ये लेडीज के लिए फील्ड नहीं है, ये तय करने वाला कोई और नहीं होता है कि कोई फील्ड लेडीज के लिए है या नहीं
सवाल : हम अक्सर देखते हैं कि राह चलती लड़कियों को भी कई तरह की मुश्किलों, तानों को सामना करना पड़ता है, आपके सामने भी ऐसी मुश्किलें आई होंगी?
जवाब : मुश्किलें काफी सारी आती चली गईं, लेकिन मैंने अपनी डिक्शनरी में इस शब्द को निकाल ही दिया। मुश्किल काम का एक हिस्सा है। कई बार रास्ते में टायर फट जाना, इंजन ऑयल खत्म होने जैसी कई मुश्किलें भी आईं, लेकिन किसी न किसी तरह से मदद मिलती रही। मुझे हेल्प करने वाले लोग ज्यादा मिले हैं। दूर-दूर तक कोई नहीं होता था और दूर कोई मकान दिखता था तो भी मुझे मदद मिलती थी। कई बार बिना पैसे के भी काम होता गया। बहुत ज्यादा अनकंफर्टेबल वाली कोई चीज़ मेरे साथ हुई नहीं
सवाल : अपने प्रोफेशन की सबसे अच्छी बात क्या लगती है आपको?
जवाब : मेरे प्रोफेशन की अच्छी बात ये है कि अगर हम लोग कोशिश करेंगे और आगे बढ़ेंगे तो हर जगह से मदद मिलती ही है। कोशिश करना जरूरी है।
सवाल : शेल इंडिया के कैम्पेन के तहत आपके ऊपर एक शॉर्ट फिल्म बनाई गई है, उसके बारे में कुछ बताएं?
जवाब : शेल इंडिया ने बहुत खूबसूरत कहानी बनाई है जो मेरी असल जिंदगी है। बहुत अच्छा मैसेज है कि आपको आगे बढ़ने की इच्छा रखनी है और आगे बढ़ना है। ये सचमुच होता है लाइफ में और जब भी हम आगे बढ़ेंगे सब कुछ सही होगा। बढ़ना जरूरी है हमेशा।

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