भारत के न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने देश के 51वें सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। उनका कार्यकाल छह महीने का होगा, और इस दौरान वे कई महत्वपूर्ण और विवादास्पद मामलों की सुनवाई करेंगे। जस्टिस खन्ना का चयन सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीशों द्वारा किया गया है, और उनका कार्यकाल 2024 के मई तक रहेगा।
जस्टिस खन्ना को इस पद पर नियुक्ति के साथ ही देश के न्यायिक इतिहास में उनके योगदान को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उनके कार्यकाल के दौरान जिन प्रमुख मामलों की सुनवाई होने की संभावना है, उनमें सबसे महत्वपूर्ण ‘मैरिटल रेप’ (विवाहेतर बलात्कार) से संबंधित मामला है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना है कि क्या पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ बलात्कार को भी अपराध माना जाएगा। इसके अलावा, उनके समक्ष अन्य बड़े मुद्दे जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा, नागरिक अधिकार और संवैधानिक मामलों पर भी सुनवाई की उम्मीद है।
जस्टिस खन्ना के समक्ष कुछ और अहम मामले भी हैं, जिनमें:
- फ्रीडम ऑफ स्पीच और सोशल मीडिया: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन स्थापित करने वाले मामलों की सुनवाई होगी। ये मामले लोकतंत्र में नागरिक अधिकारों के संवर्धन और इंटरनेट की स्वतंत्रता से जुड़े हैं।
- आरक्षण नीति में बदलाव: भारतीय संविधान में सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण नीति में संशोधन पर विचार होने की संभावना है। इसमें आर्थिक आधार पर आरक्षण और उच्च जातियों के लिए आरक्षण की सीमा पर बहस हो सकती है।
- धार्मिक स्वतंत्रता: सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न राज्यों में धार्मिक आज़ादी और धार्मिक स्थलों के अधिकारों से जुड़े कई मामले लंबित हैं, जिनमें हिंदू और मुस्लिम समुदायों के अधिकारों के बीच टकराव पर निर्णय हो सकता है।
- निर्वाचन सुधार: भारत में चुनाव सुधारों और धनबल, मतदाता फर्जीवाड़े से जुड़े मामलों में भी सुप्रीम कोर्ट की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। जस्टिस खन्ना को इन संवेदनशील मामलों पर निर्णय लेना होगा।
- आत्मनिर्भर भारत और पर्यावरण से जुड़े कानूनी विवाद: सरकार की आत्मनिर्भर भारत नीति और पर्यावरणीय मुद्दों, जैसे प्रदूषण और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण को लेकर दायर किए गए मामलों में भी उनका निर्णय महत्वपूर्ण होगा।
जस्टिस खन्ना का नाम उन न्यायाधीशों में शामिल है जो सुप्रीम कोर्ट में लंबे समय से सक्रिय रहे हैं और जिनके निर्णयों ने भारतीय न्यायिक प्रणाली को मजबूत किया है। उनका कार्यकाल इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वे उन मामलों पर निर्णय देंगे जो भारतीय समाज के संवेदनशील पहलुओं से जुड़े हैं
जस्टिस संजीव खन्ना के चीफ जस्टिस बनने के साथ ही भारत में कई महत्वपूर्ण कानूनी मामलों की सुनवाई की राह खुली है। इन मामलों में ‘मैरिटल रेप’ जैसे संवेदनशील मुद्दे भी शामिल हैं, जो महिलाओं के अधिकारों से जुड़े हैं। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर फ्रीडम ऑफ स्पीच, आरक्षण नीति, चुनाव सुधार, और धार्मिक स्वतंत्रता जैसे मुद्दे भी प्रमुख होंगे। जस्टिस खन्ना का कार्यकाल भारतीय न्यायपालिका के लिए एक नई दिशा तय करेगा और यह समाज के विभिन्न पहलुओं पर न्याय देने में महत्वपूर्ण साबित होगा।