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- जी-20 के सफर का मूल्यांकन करना ठीक नहीं.
- आत्ममंथन हर संस्थान के लिए जरूरी है.
- यूएन ने अपने 75 साल होने पर ऐसा कदम उठाया होता तो ये अद्भुत होता.
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत इस समय जी20 का अध्यक्ष है और इसलिए उनके लिए यह सही नहीं होगा कि वह जी-20 के पिछले कुछ साल में किए गए सफर का मूल्यांकन करें. मनीकंट्रोल को जी20 समिट से पहले दिए गए एक इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा कि लेकिन मुझे लगता है कि यह एक अच्छा सवाल है, जिसके जवाब तक पहुंचने के लिए बड़े प्रयास की जरूरत है. जल्द ही जी20 की स्थापना के 25 साल पूरे होने वाले हैं. इस तरह का मील का पत्थर यह मूल्यांकन करने का एक अच्छा मौका है कि जी-20 ने क्या उद्देश्य तय किए थे और वह उन्हें कितना हासिल करने में सक्षम साबित हुए है. पीएम मोदी से सवाल किया गया था कि जी-20 की स्थापना 1999 में एशियाई वित्तीय संकट के जवाब में की गई थी. जबकि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बनाए गए गए कई अंतरराष्ट्रीय संस्थान अब अपने उद्देश्य के लिए उपयुक्त नहीं लगते हैं, क्या आपको लगता है कि जी-20 अपने जनादेश को पूरा करने में सक्षम है? इस पर पीएम मोदी ने कहा कि ‘ऐसा आत्ममंथन हर संस्थान के लिए जरूरी है. यह अद्भुत होता अगर संयुक्त राष्ट्र ने अपने 75 साल पूरे होने के मौके पर ऐसा कोई कदम उठाया होता.’ उन्होंने कहा कि ‘G20 के 25 साल पूरे होने पर इस ग्रुप से बाहर के, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ देशों के विचार जानना भी एक अच्छा विचार होगा.’
आत्ममंथन भविष्य के लिए मूल्यवान
इस तरह के इनपुट अगले 25 साल के लिए भविष्य की दिशा तय करने के लिए बहुत मूल्यवान होंगे. उन्होंने कहा कि ऐसे कई देश, शैक्षणिक संस्थान, वित्तीय संस्थान और नागरिक समाज संगठन हैं, जो जी-20 के साथ लगातार बातचीत करते हैं, विचार और इनपुट देते रहते हैं, और अपेक्षाएं भी जताते हैं. उम्मीदें वहीं बनती हैं, जहां डिलीवरी का ट्रैक रिकॉर्ड हो और भरोसा हो कि कुछ हासिल होगा. पीएम मोदी ने कहा कि भारत भी जी-20 का अध्यक्ष बनने से पहले से इस मंच पर सक्रिय रहा है.
हमेशा रहती है सुधार की गुंजाइश
आतंकवाद से लेकर काले धन तक, सप्लाई चेन के लचीलेपन से लेकर जलवायु-सचेत विकास तक, हमने पिछले कुछ साल में जी20 में उभरती चर्चाओं और कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.’ पीएम मोदी ने कहा कि ‘जी-20 में उठाए जाने के बाद इन मुद्दों पर वैश्विक सहयोग में भी सराहनीय विकास हुआ है. बेशक, सुधार की गुंजाइश हमेशा रहती है. ग्लोबल साउथ की अधिक भागीदारी और अफ्रीका की बड़ी भूमिका आदि ऐसे कई विषय हैं. ये वे क्षेत्र हैं, जिन पर भारत अपनी जी20 अध्यक्षता के दौरान काम कर रहा है.’