- मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर ने भारत का आभार जताया, जिस पर जयशंकर ने नई दिल्ली की नीतियों की प्रतिबद्धता दोहराई।
नई दिल्ली। केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर नेबरहुड फर्स्ट और सागर की अपनी नीतियों के प्रति नई दिल्ली की प्रतिबद्धता दोहराई है। दरअसल, भारत और मालदीव के बीच रिश्तों में जमी बर्फ अभी पिघली नहीं हैं। इसके बावजूद भारत ने द्वीप राष्ट्र को जरूरी चीजों का निर्यात करने का फैसला बरकरार रखा है। इस पर मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर ने भारत का आभार जताया, जिस पर जयशंकर ने नई दिल्ली की नीतियों की प्रतिबद्धता दोहराई।
मालदीव ने जताया भारत का आभार
भारत का यह कदम दीर्घकालिक मित्रता को दर्शाता है। यह मजबूत द्विपक्षीय रिश्ते की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।’
भारत का जवाब
मालदीव के विदेश मंत्री के धन्यवाद का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा, ‘यू आर वेलकम जमीर। भारत अपनी नेबरहुड फर्स्ट और सागर नीतियों के प्रति दृढ़ता से प्रतिबद्ध है।’
क्या है नेबरहुड फर्स्ट नीति?
भारत के पड़ोस देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका हैं। नीति का उद्देश्य पूरे क्षेत्र में भौतिक, डिजिटल और लोगों से लोगों से संपर्क बढ़ाना और व्यापार और वाणिज्य को बढ़ाना है।
लिस्ट में चीनी-गेहूं और आलू भी शामिल
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने शुक्रवार को इस बाबत एक अधिसूचना जारी कर इसकी जानकारी दी थी। इस अधिसूचना में डीजीएफटी ने कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते के तहत इन वस्तुओं का निर्यात किया जाएगा। इसके मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में मालदीव के लिए चीनी, गेहूं, चावल और प्याज जैसी आवश्यक वस्तुओं के सीमित निर्यात पर किसी भी मौजूदा या भविष्य के प्रतिबंध/निषेध से छूट दी जाएगी।
जिन वस्तुओं को भारत मालदीव को निर्यात करेगा उनमें चावल 124,218 टन, गेहूं का आटा 109,162 टन, चीनी 64,494 टन, आलू 21,513 टन, प्याज 35,749 टन, पत्थर और रेत 10 लाख टन और 42.75 करोड़ अंडे शामिल हैं।
इसलिए आई दोनों के बीच खटास
इसके बाद दोनों देशों के बीच, संबंध तब और खराब हो गए जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्षद्वीप द्वीप दौरे की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट की। जिसपर मालदीव के तीन अधिकारियों ने भद्दी टिप्पणियां कीं। जिसके परिणामस्वरूप कई मशहूर हस्तियों सहित भारतीयों ने मालदीव का तगड़ा विरोध किया।