दिल्ली उच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार के आरोपों में पिछले महीने गिरफ्तारी के बाद अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग वाली याचिका को तीसरी बार खारिज कर दिया है।मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अगुवाई वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा, “लोकतंत्र को अपना काम करने दें।”
इस मामले में अंतरिम राहत के लिए केजरीवाल की याचिका पर आज बाद में फैसला सुनाएगी। वहीँ, आम आदमी पार्टी नेता को अपना पद छोड़ने के लिए मजबूर करने पर दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना को सलाह देने से भी इनकार कर दिया। उच्च न्यायालय ने कहा, उन्हें (श्री सक्सेना) हमारे मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं है। हम उन्हें सलाह देने वाले कोई नहीं हैं। उन्हें कानून के अनुसार जो भी करना होगा वह करेंगे।
कोर्ट ने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा, यह केजरीवाल का व्यक्तिगत फैसला होगा कि उन्हें मुख्यमंत्री पद पर बने रहना चाहिए या नहीं। कभी-कभी व्यक्तिगत हित को राष्ट्रीय हित के अधीन रखना पड़ता है। कोर्ट ने ये भी कहा कि याचिका का समाधान उपराज्यपाल या राष्ट्रपति के पास है और याचिकाकर्ता उनसे प्रार्थना कर सकते हैं। कोर्ट की टिप्पणी के बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली।
अदालत हिंदू सेना की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उपराज्यपाल को केजरीवाल को इस्तीफा देने का निर्देश देने की मांग की गई थी।याचिकाकर्ता से कहा गया कि वह “व्यक्तिगत मुद्दों” पर राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता दे और यदि वह इस मुद्दे पर कायम रहना चाहता है, तो “इस मुद्दे को किसी अन्य मंच के समक्ष उठाए।”