मुंबई । भारत की सबसे बड़ी एल्यूमिनियम उत्पादक वेदांता एल्यूमिनियम ने नीति आयोग एवं प्रमुख राष्ट्रीय संस्थानों की सहभागिता में, हाल ही में, एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की जिसका उद्देश्य था रैड् मड के संवहनीय अनुप्रयोगों की पहचान करना; काबिले गौर है कि रैड् मड -एल्यूमिनियम बनाने के लिए की जाने वाली- बॉक्साइट रिफाइनिंग प्रक्रिया का एक बाय-प्रोडक्ट है।
नीति आयोग और वेदांता के विशेषज्ञों के साथ इस बैठक में वैज्ञानिकों एवं विषय विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया जिनका संबंध विभिन्न संस्थानों से था जैसे नेशनल मेटालर्जिकल लेबोरेट्री (एनएमएल) और इंस्टीट्यूट ऑफ मिनरल्स एंड मेटेरियल्स टेक्नोलॉजी (आईएमएमटी) जो कि वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के अंतर्गत है तथा जवाहरलाल नेहरु एल्यूमिनियम रिसर्च एंड डिजाइन सेंटर, नागपुर।
ये सभी विशेषज्ञ निगरानी व संचालन समिति की 8वीं संयुक्त बैठक में एकत्र हुए थे, जिस परियोजना के लिए यह बैठक हुई उसका शीर्षक था ’’टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फॉर हॉलिस्टिक युटिलाइज़ेशन ऑफ रैड् मड फॉर ऐक्स्ट्रैक्शन ऑफ मेटालिक वैल्यूज़ एंड रेसिड्यू युटिलाइज़ेशन’’। एल्यूमिनियम का मुख्य अयस्क है बॉक्साइट, इसके मध्यवर्ती शोधन चरण को ’बेयर प्रोसैस’ कहते हैं जिससे एल्यूमिना निकलता है, फिर एल्यूमिना का इलेक्ट्रोलाइसिस करने पर एल्यूमिनियम का उत्पादन होता है। एल्यूमिना बनाने की प्रक्रिया के दौरान बॉक्साइट का अवशेष उत्पन्न होता है जिसे रैड् मड कहते हैं।