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कंपनी ने 150 हेक्टयेर से अधिक में फैले बंद पड़े फ्लाईऐश डाइक का सफलतापूर्वक वनीकरण किया

  • छत्तीसगढ़ व ओडिशा में अपने प्रचालन क्षेत्रों के भीतर व आसपास पर्यावरण संरक्षण हेतु कंपनी के गहन प्रयासों की घोषणा की।

अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस के अवसर पर भारत की सबसे बड़ी एल्यूमिनियम उत्पादक कंपनी वेदांता एल्यूमिनियम ने छत्तीसगढ़ व ओडिशा में अपने प्रचालन क्षेत्रों के भीतर व आसपास पर्यावरण संरक्षण हेतु कंपनी के गहन प्रयासों की घोषणा की। जैव विविधता को संरक्षित व प्रोत्साहित करने की रणनीति हेतु कंपनी समर्पित है। कंपनी ने पांच पुनःप्राप्त ऐश डाइक्स पर वनीकरण का काम सफलतापूर्वक पूरा किया है। कोरबा, छत्तीसगढ़ स्थित भारत की प्रतिष्ठित एल्यूमिनियम उत्पादक बालको में मौजूद ये ऐश डाइक्स अपनी पूरी क्षमता तक पहुंच जाने के कारण बंद हो चुके थे। 150 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल के इलाके में इस पहल ने यह दर्शाया है कि ऐसी जमीन में जहां पहले जंगल न रहा हो उसमें भी सतत सुधार की गुंजाइश होती है। इस इलाके में लगभग 2 लाख पौधे लगाए गए हैं।

फ्लाई ऐश एक हाई-वॉल्यूम, लो-इफेक्ट बायप्रोडक्ट होता है जो थर्मल पावर के उत्पादन में निकलता है। फ्लाई ऐश का इस्तेमाल सर्कुलर इकॉनॉमी में होता है नतीजतन ऐश स्टोरेज एरिया का वनीकरण किया जा सकता है। रिक्लेमेशन प्रोसेस के तहत ऐश डाइक्स को कई अवस्थाओं से गुजरना होता है जिनमें मिट्टी का आवरण, स्थिरीकरण, वन पारिस्थितिकी विकसित करने के लिए लैंडस्केपिंग, मूल वृक्ष प्रजातियों का रोपण व निरंतर निगरानी शामिल होते हैं। इन कोशिशों के फलस्वरूप यह इलाका अब कई स्थानीय पेड़-पौधों की किस्मों जैसे करंज, शीशम, नीम, अमसोल व गुलमोहर का घर बन गया है। कंपनी द्वारा लगाए गए इन पेड़ों की बदौलत यहां जैव विविधता फल-फूल रही है।

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