1) भेड़ाघाट
2) बांधवगढ़
3) मैहर
4) अमरकंटक
1) भेड़ाघाट
भेड़ाघाट मध्य प्रदेश राज्य के जबलपुर में स्थित है यह नर्मदा नदी के किनारे स्थित है भेड़ाघाट जबलपुर स्टेशन से 20 किमी की दूरी पर है यह संगम की ऊंची चट्टानों के नाम से भी जाना जाता है भेड़ाघाट में सुंदर नर्मदा नदी से लगी संगमरे की चट्टानों को देखना उसकी खुबसूरती को निहारना एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला अनुभव है, यहां पे ऊंची चट्टानें भी पाई जाती है, चांदनी रात में हम संगमरमर की चट्टानों पर नाव की सवारी का लुफ्त उठा सकते हैं . नर्मदा नदी ऊंची चट्टानों के बीच से बहती हुई निकलती है उसके थोड़ी ही दूर पर एक अद्भुत नजारा देखने को मिलता है जो कि धुआधार जलप्रपात है। जलप्रपाप का नाम धुंआधार इसलिए रखा गया क्योंकि यह चट्टानों से अधिक बाल के साथ नीचे गिरती है और पानी बिल्कुल धुए जैसा दिखता है और झरना इतनी तेजी से बहता है कि उसकी गर्जन की आवाज बहुत दूर तक सुनाई देती है। वाकई में भेड़ाघाट की खुबसूरती सच में बहुत मनमोहक दृश्य को दर्शाति है भेड़ाघाट भारत का एक लोक प्रिय स्थल है
यहाँ पर घूमने के लिए सर्वोत्तम स्थान है
जैसे –
1) चौसठ योगिनी मंदिर
2) धुआधार जलप्रपाजलप्रपात
3)संगमरार की चट्टानें
4)नर्मदा नदी
2) बांधवगढ़ –
बांधवगढ़ एक राष्ट्रीय उद्यान है
यह विंध पहाड़िये के बीच फैला हुआ है बांधवगढ़ मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में स्थित है यह उमरिया रेलवे स्टेशन से लगभग 37 किमी की दूरी पर है यह बहुत बड़े विशाल जंगलो से भी घिरा हुआ है यहां पे बाघों की संख्या बहुत ज्यादा पाई जाती है है इसे वन्य अभयरण भी कहा जाता है।इस पार्क ने भागो के लिए दुनिया भर में ख्याति अर्जित की है
1) बांधवगढ़ के शसक
बांधवगढ़ के प्रसिद्घ शासक विक्रमादित्य सिंह थे इन्होंने ने बांधवगढ़ के किले का नवीनी करण कराया था और वे बहुत बड़े प्रकृति प्रेमी थे और वे कला का बहुत सम्मान करते थे। बांधवगढ़ के राष्ट्रीय उद्यान को विकसित करने का श्रेय इन्हें ही जाता है
2) बांधवगढ़ किस लिए प्रसिद्ध है।
बांधवगढ़ राष्ट्र उद्यान बंगाल टाइगर्स के लिए जाना जाता है
यहाँ पे बाघों की संख्या बहुत ज्यादा है यहाँ पे बाघों की संख्या भारत के साथ – साथ दुनिया में सबसे अधिक है।
यह वर्तमान में सफ़ेद भागो के लिए प्रसिद्ध है।
3) बांधवगढ़ में कौन कौन से जानवर पाये जाते हैं।
यहा पे – सफेद बाग, बंगाल टाइगर्स, तेंदुआ, सांभर, भौंकने वाला हिरन, नील गाय, जंगली बिल्ली, लकड़बाघा, ग्रे नेवला, गौर,भालू, धारीधर लकड़बाघा, आदी ये सब जानवर यहां पे पाये जाते हैं
3) मैहर
मैहर भारत के मध्य प्रदेश में स्थित है यह एक जिला भी है मैहर माँ शारदा की नगरी और संगीत की नगरी के नाम से भी विख्यात है मैहर एक हिंदू तीर्थस्थल है
मैहर का अर्थ माँ के हार से लिया गया है।
1) मैहर क्यों प्रसिद्ध है
मैहर..मां शारदा का एक पवित्र मंदिर है, यहां पर हजारों श्रद्धालुं हर दिन मां शारदा के दर्शन के लिए आते हैं। माता के दरबार में श्रद्धालुं बहुत दूर-दूर से दर्शन करने और मन्नते मांगने आते हैं और मन्नते पूरी होनहोने पर माता को चढावा भी चढ़ाया जाता है।
कहा जाता है सती के 52 अंग गिरे थे उनमें से दो मैहर में जहां पे भी सती के अंग गिरे वहा पे मां शक्ति पीठों का निर्माण कार्य किया गया है यहाँ पर भी सती का हार और कंठ गिरा था हार गिरने से इस देवभूमि का नाम मैहर पड़ गया और कंठ गिरने से माता शारदा यहां पे विराजमान हो गई जो भक्तो को सुरीली कंठ और विद्या प्रदान करती है
तब से ये मंदिर मैहर माता के नाम से जाना जाने लगा। शारदा मां का मंदिर पहाड़ों की चोटी पर है जहां पहुंचने के लिए हमें सीडि़यो से जाना पड़ता है जहां पे 1,063 सिडिया हैं
2) माँ शारदा को पहला फूल कौन चढ़ाता है
मां शारदा के मंदिर में ही फूलमती माता का मंदिर है यह आल्हा की कुल देवी का है।
कहते हैं प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त के पहले मां शारदा को सबसे पहला फूल आल्हा चढ़ाते हैं
यहां पे सुबह के चार बजे मंदिर खुलने से पहले ही माता को फूल चढ़ा हुआ मिलता है
आल्हा माता शारदा के बहुत बड़े भक्त कहे जाते हैं मंदिर का पट खुलने से पहले पंडित जी और श्रद्धालौं से पहले ही वे माता की पूजा और फूल भेंट कर चुके होते हैं
महोबा से आकर आल्हा उदल ने जंगलों के बीच माता शारदा की खोज की और वही पे उसने 12सालों की तपस्या की, जिससे माता उनकी तपस्या से खुश होकर उन्हें वरदान दे दिया।
4)अमरकंटक
अमरकंटक मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में स्थित है। यह एक तीर्थस्थल है जिसे “तीर्थराज” तीर्थों का राजा के नाम से भी जाना जाता है।
अमरकंटक एक प्राकृतिक विरासत क्षेत्र है, यह विंध्य और सतपुड़ा पर्वतमाला का एक मिलन बिंदु है जिसमें मैकल पहाड़ियां मुख्य हैं
यहीं पर नर्मदा नदी, सोन नदी, जोहिला नदी का उद्गम हुआ है
अमरकंटक के आस-पास के जंगलों में औषधि वाले पौधे के गुणों की विविधता बहुत है
अमरकंटक के पर्यटन स्थल और झरने।
1)कपिल धारा
2) दूध धारा
3)नर्मदा उद्गम
4)श्री यंत्र मंदिर
5) माई की बगियाबगिया
1) कपिल धारा
संत कपिल और कपिला किवंदितियों से जुडा़ है कहा जाता है उन्होंने यहां पे 12 साल तपस्ता करके बिताया है। यहा पे पवित्रा नर्मदा पहाड़ी से नीचे की ओर एक विशाल झरने की तरह गिरती है जो कपिल धारा जल प्रपात करती है नीले चट्टानों के किनारे ही पवित्रा नर्मदा नदी है यह एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल है
2) दूध धारा
श्रद्धालुं कपिल धारा से नर्मदा के अगले झरनें तक एक किली मीटर की चढ़ाई चढ़ते है जिसे दूध धारा कहतकहते है
यह पर्यटनको एक लोकप्रिय स्थान है यहा चट्टानी सिड़िया और जंगली झाड़ियों से भी घिरा हुआ है
यहाँ पे पानी का झाग बिल्कुल धुआ जैसा दिखता है इस लिए इसे दूध धारा कहते हैं
3)नर्मदा उद्गम –
नर्मदा नदी, सोन नदी, जोहिला नदी यह तीनो अमरकंटक के गर्भ से निकलती है नर्मदा नदी के बढ़ती हुई धारा को नर्मदा उद्गम मंदिर पे देखा जाता है और यह अमरकंटक में सबसे देखी वाली जगह है यहां हर साल नर्मदा
जयंती के अवसर पर बड़ी संख्या में लोग कार्यक्रम में भाग लेने के लिए तैयार होते हैं
4) श्री यंत्र मंदिर।
श्री यंत्र मंदिर की सबसे बड़ी बात है मंदिर में प्रवेश करते ही चार शिलों वाली विशाल मूर्ति है देवी लक्ष्मी, सरस्वती, काली और भुवनेश्वरी के चेहरे का प्रतिनिधित्व करते हैं और साथ ही भगवान श्री गणेश और भगवान कार्तिके की मूर्तियां हैं साथ ही 64 उत्कृष्ट नक्काशिदार देवता भी है जिन्हे चौसठ योगिनी के नाम से जाना जाता है
5)माई की बगियां
अमरकंटक में माई की बगियां बहुत मशहूर हैं, माई की बगियां एक प्राकृतिक वृक्षों का बाग हैं जो जंगल के चारों ओर हैं। और यह देवी नर्मदा को समर्पित है इस बाग में भिन्न भिन्न तरह के फूल भी है
जैसे – गुलाब, गुलाबकावली और अन्य खिलने वाले पौधे है यहां पे केले आम अन्य फलों का भी पेड़ है इस बगीचे में एक चारोदक कुंड तालाब और दिव्य नर्मदा को समर्पित एक मंदिर भी है।
माना जाता है यह वह जगह है जहाँ से विशाल नदी निकलती है। और ऐसा भी मन जाता है जो सबसे पहले जलधारा निकलती थी वह तब से है और वर्तमान मे नर्मदा उद्गम मंदिर से निकलती है