कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शपथ ले ली है। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के साथ 8 मंत्रियों ने शपथ ली। कर्नाटक के छोटे से मंत्रिमंडल की गठन में ही कांग्रेस ने सामाजिक समीकरण को साधा है। कांग्रेस ने दलित, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों को मंत्रिमंडल में जगह देकर आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए संदेश देने का काम किया है।
कर्नाटक में नई सरकार के शपथ ग्रहण के साथ ही कांग्रेस ने आम चुनाव 2024 पर अपनी नजर टिका दी है। सरकार के गठन में सामाजिक समीकरण के साथ ही कांग्रेस ने क्षेत्रीय समीकरणों को भी साधा गया है। ऐसा कर कांग्रेस ने आम चुनाव की तैयारी के लिए अभी से कमर कस ली है। कर्नाटक में कांग्रेस इसी फार्मूले पर आगे बढ़ेगी। विधानसभा में कांग्रेस को इसी फार्मूले के आधार पर पर्याप्त बहुमत मिली। सिद्धारमैया सरकार के मंत्रिमंडल में सबसे ज्यादा दलित चेहरों को जगह दी गई है। इसके अलावा लिंगायत, रेड्डी, आदिवासी और अल्पसंख्यक चेहरों को भी मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। जबकि सरकार की कमान कुरूबा (पिछड़े) समाज के सिद्धारमैया के हाथ है। वहीं, सरकार में दूसरे नंबर पर काबिज उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार खुद वोक्कालिगा समाज का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के साथ 8 मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली है। मंत्री पद की शपथ लेने वालों में दलित समाज से तीन चेहरों को जगह मिली है। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पुत्र प्रियांक खड़गे भी शामिल हैं। उनके साथ पूर्व रेल राज्यमंत्री केएच मुनियप्पा और डॉ जी. परमेश्वर को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। ये दोनों नेता भी एससी बिरादरी से आते हैं। शपथ लेने वाले चेहरों में आदिवासी समाज से सतीश जारकीहोली, लिंगायत समाज से एमबी पाटिल और रेड्डी समुदाय से रामालिंगा रेड्डी शामिल हैं। अल्पसंख्यक समाज से भी दो चेहरों को सिद्धारमैया मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। ईसाई समुदाय से केजी जॉर्ज और मुस्लिम चेहरे के तौर पर जमीर अहमद खान ने मंत्री पद की शपथ ली है।
सिद्धारमैया की पहली कैबिनेट में उत्तर कर्नाटक की जगह साउथ कर्नाटक को तवज्जो दी गई है। दक्षिण कर्नाटक से पांच मंत्री शामिल हैं। जबकि उत्तर कर्नाटक से केवल तीन चेहरों को अभी जगह मिली है। सिद्धारमैया मंत्रिमंडल में 34 मंत्रियों को शामिल किया जाना है। इसलिए मंत्रिमंडल के विस्तार में सामाजिक समीकरण को और भी साधा जाएगा।
दलित समाज की ज्यादा भागीदारी
कांग्रेस ने बाबू जगजीवन राम के बाद पार्टी के अध्यक्ष पद पर दूसरे दलित नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को बिठाया है। कर्नाटक के चुनाव में इसका सीधा लाभ देखने को मिला। दलितों का अधिकांश वोट कांग्रेस की झोली में आया। कर्नाटक में दलित मतदाताओं की संख्या कुल आबादी का 17.5 प्रतिशत है। राज्य में दलित मत किसी भी दल के लिए बहुमत हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में दलित संघर्ष समिति के अगुवाई में 12 संगठनों ने कांग्रेस का खुला समर्थन किया था।
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