जगदीश कुमार। मणिपुर में एक बार फिर हिंसा भड़क गई है। राजधानी इंफाल में 18 दिनों बाद सोमवार को उपद्रावियों ने खाली पड़े घरों में आग लगा दी। हिंसा को देखते हुए सुरक्षा की दृाष्टि से सरकार ने 26 मई तक इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। इसके अलावा इलाके में सेना को तैनात कर दिया है।
सरकार ने दिए दंगाइयों को गोली मारने के आदेश
मीडिया रिपोर्ट की माने तो अब तक 10 हजार से ज्यादा लोगों ने मणिपुर से विस्थापित हुए हैं। हालाकि सरकार ने हिंसा करने वाले दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश दे रखा है। इस हिंसा में अब तक 74 लोगों की जान गई है। 230 से अधिक लोग घायल हुए हैं वहीं 1700 से अधिक घर जलाए गए हैं।
3 मई से जारी है हिंसा
मणिपुर में हिंसा 3 मई को चुराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में भड़की थी। इस दिन ने इस दिन ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ने आदिवासी एकजुटता मार्च बुलाया था। चुरचांदपुर में 4 मई को मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह के कार्यक्रम से पहले प्रदर्शनकारियों ने उनके मंच पर तोड़फोड़ और आगजनी की। इसके बाद राज्य के 10 से अधिक जिलों में हिंसक झड़प हुई थी।
सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा मामला
अब जब मामला सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा जिसमें सुनवाई17 मई को हुई थी। न्यायालय ने राज्य सरकार को हिंसा प्रभावित लोगों को दी जा रही राहत, सुरक्षा, पुनर्वास पर नई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसमें अगली सुनवाई गर्मी की छुट्टी खत्म होने के बाद जुलाई में होगी।
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