कलकत्ता हाईकोर्ट के दो जजों के बीच विवाद का निपटारा अब सुप्रीम कोर्ट में होगा।
राज्य पुलिस की ओर से शुरू की गई जांच की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया।
नई दिल्ली, पश्चिम बंगाल में एमबीबीएस प्रवेश में फर्जी प्रमाणपत्र मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के दो जजों के बीच विवाद का निपटारा अब सुप्रीम कोर्ट में होगा। शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के समक्ष चल रही कार्यवाही अपने पास स्थानांतरित करते हुए कहा, हमें न्यायाधीशों पर आक्षेप नहीं लगाना चाहिए।
सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार को इस मामले में राज्य पुलिस की ओर से शुरू की गई जांच की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया। पीठ ने कहा, हम रिट याचिका और लेटर पेटेंट अपील की कार्यवाही को इस अदालत में स्थानांतरित करते हैं। सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि एकल जज इन मामलों की सुनवाई जारी रखेंगे और वह भविष्य में भी ऐसा करेंगे।
पीठ ने कहा, हमें आक्षेप नहीं लगाना चाहिए। आखिरकार हम एक हाईकोर्ट के जज के बारे में विचार कर रहे हैं। हम यहां जो कुछ भी कहें, उससे हाईकोर्ट की गरिमा को ठेस नहीं पहुंचनी चाहिए। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि इस मामले में चौंकाने वाले तथ्य हैं, जिन्हें इस अदालत के समक्ष लाया जाएगा। वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि पूर्व में जस्टिस गंगोपाध्याय की अदालत से भर्ती घोटाला मामला वापस लेते समय सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी का वांछित प्रभाव नहीं पड़ा और उन्होंने टिप्पणियां करना जारी रखा।
52 प्रमाणपत्रों में से 14 निकले फर्जी
एससी/एसटी एसोसिएशन के वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने दलील दी कि 52 प्रमाणपत्रों में से 14 फर्जी पाए गए। सिब्बल ने कहा कि अब तक राज्य पुलिस ने 14 मामलों में 10 एफआईआर दर्ज की हैं। अदालत ने सभी पक्षों से तीन सप्ताह के भीतर अपनी दलीलें दाखिल करने को कहा है। पीठ ने राज्य के वकील से कहा, हम एफआईआर में की गई जांच की स्थिति जानना चाहते हैं। इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए शीर्ष अदालत ने शनिवार को हाईकोर्ट के समक्ष कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।
क्या है मामला
कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने आरोप लगाए हैं कि उनके सहयोगी जज सोमेन सेन एक राजनीतिक पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय की अध्यक्षता वाली एकल जज पीठ ने मेडिकल एडमिशन में कथित अनियमितता के मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिए थे। जिस पर जस्टिस सोमेन सेन की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने रोक लगा दी थी। इस पर जस्टिस अभिजीत ने डिवीजन बेंच के सीबीआई जांच के आदेश पर रोक के आदेश के बावजूद फिर से सीबीआई जांच के आदेश दिए, साथ ही सुप्रीम कोर्ट से भी इस मामले को देखने की अपील की थी। जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई की।