नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने कक्षा 10वीं, 11वीं और 12वीं के इतिहास और राजनीति की किताबों में बदलाव किया है। जिसमें प्रमुख रुप मुगल साम्राज्य के इतिहास को हटा दिय़ा गया है। हालांकि, इनको हटाने पर विवाद भी खड़ा हो गया है। कांग्रेस, सीपीएम, शिवसेना समेत (उद्धव गुट) के कई पार्टियों के अलावा देश के कई शिक्षाविद् ने इस कदम का विरोध जताया है।
पाठयक्रम को लेकर क्या बदलाव हुआ?
एनसीईआरटी की किताबों से मुगल साम्राज्य के किस्सों को बिधार्थियों को नही पढ़ना पडेगा। इतना ही नही बताया जा रहा कि अब NCERT को अपनाने वाले सीबीएसई बोर्ड, यूपी बोर्ड समेत अन्य स्टेट बोर्ड के सिलबेस में बदलाव देखने को मिल सकता है। हाल ही में एनसीईआरटी ने एकेडमिक ईयर 2023-24 के लिए नए सिलेबस को पेश किया है, जिससे इस बात की जानकारी हुई। नई पुस्तकें भी ऑनलाइन और ऑफलाइन उपलब्ध हो चुकी हैं। अपर मुख्य सचिव (बेसिक और माध्यमिक शिक्षा) दीपक कुमार ने कहा, ‘हम एनसीईआरटी की किताबों का अनुसरण करते हैं और संशोधित संस्करण में जो कुछ भी उपलब्ध है, उसे हम 2023-24 सत्र से राज्य के स्कूलों में लागू करेंगे।’
आखिर क्या है विवाद
एनसीईआरटी ने 12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम से मुगल दरबार की सामग्री और कुछ कवियों की रचनाओं को हटाने पर विवाद छिड़ गया है। इसको लेकर दो पक्षों में बट गया है। विरोध करने वाले शिक्षाविदों का कहना है कि अब तक मुगलों को ही ज्यादा पढ़ाया गया है। बच्चों को इन किताबों के जरिए सभी शासकों की जानकारी मिलती है, इसलिए सभी शासकों के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी इन शासकों के शौर्य और पराक्रम से परिचित हो सके और अपने देश के इतिहास को गहराई तक समझ सके। वहीं इसका समर्थन करने वालों का कहना है कि मुगलों पढ़ने से बच्चों में बोझ बढ़ता है।
समर्थन में क्या कहा जा रहा है?
एनसीईआरटी की किताबों से मुगल दरबार का इतिहास हटाए जाने का समर्थन में कई बातें कही जा रहीं है। दिल्ली भाजपा नेता और पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने एक बयान में कहा, ‘NCERT से मुगलों का झूठा इतिहास हटाना एक शानदार निर्णय है।’
शिक्षाविद डॉ. एससी शर्मा कहते हैं, ‘यह एक तरफ तो अच्छी पहल है। हमें अपनी वंशावली पढ़ानी चाहिए। हमें यह भी जानकारी भी देनी चाहिए कि मुगलों या अन्य किसी से युद्ध में हमारे योद्धाओं ने कितनी वीरता दिखाई। वास्तविकता को जरूर दिखाना चाहिए। देश के भावी कर्णधारों को पूरा इतिहास पता होना चाहिए, सत्य छपना चाहिए।’
शंकराचार्य ट्रस्ट के अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा, ‘एनसीईआरटी ने मुगल दरबार के चैप्टर को निकालकर सही किया बच्चों को इन हत्यारों, बलात्कारियों, लुटेरों और दुश्चरित्र लोगों के बारे में क्यों पढ़ना?’
विरोध में क्या कहा जा रहा है?
इतिहासकार और एएमयू के एमेरट्स प्रोफेसर इरफान हबीब ने कहा, विद्यार्थियों को कौन बताएगा कि ताजमहल किसने बनाया? पूरी दुनिया के सात अजूबों में ताजमहल शामिल है। अब इसके इतिहास के बारे में नई पीढ़ी नहीं जान सकेगी।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस विवाद पर कहा कि इतिहास को बदलने की कोशिश हो रही है। सच को झूठ और झूठ को सच बनाया जा रहा है। अन्य राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी तंज कस्ते हुए कहा कि आधुनिक भारतीय इतिहास 2014 से शुरू होना चाहिए। वहीं, माकपा नेता सीताराम येचुरी ने इस कदम की आलोचना की और इसे सांप्रदायिक बताया।
मुगलों के बारे में अध्याय नहीं हटाए गए – NCERT
एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा कि मुगलों के बारे में अध्याय नहीं हटाए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘यह झूठ है। पिछले साल एक रेशनलाइजेशन प्रोसेस थी क्योंकि कोरोना के कारण हर जगह छात्रों पर दबाव था।’ बता दें कि एनसीईआरटी के निदेशक विशेषज्ञ समिति में कहा कि यदि अध्याय को हटा दिया जाता है, तो इससे बच्चों के ज्ञान पर कोई असर नहीं पड़ेगा और एक अनावश्यक बोझ को हटाया जा सकता है।