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- केंद्र और राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को मणिपुर हिंसा के हालात को लेकर स्टेटस रिपोर्ट जारी किया है।
- सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इरादा राज्य में शांति बहाल करना है।
इंफाल । केंद्र और राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को मणिपुर हिंसा के हालात को लेकर स्टेटस रिपोर्ट जारी किया है। हिंसा के करीब दो हफ्ते बाद भी तनाव बने हुए है। आज सुप्रीम कोर्ट मणिपुर ट्राइबल फोरम और हिल एरिया कमेटी की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर सरकार से राज्य में मेइतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा पर एक नई स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई जुलाई के पहले हफ्ते में तय की गई है।
315 राहत शिविर स्थापित किए गए
इस बीच केंद्र सरकार ने बताया कि राज्य में स्थिति में सुधार हुआ है। राज्य की सीमा पर कुछ मुद्दे थे, जिसके मद्देनजर शांति बनाए रखना महत्वपूर्ण है। सु्प्रीम कोर्ट में मणिपुर हिंसा पर 3 याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इरादा राज्य में शांति बहाल करना है। उन्होंने कहा कि जिला पुलिस और सीएपीएफ द्वारा संचालित कुल 315 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं। राज्य सरकार ने राहत उपायों के लिए 3 करोड़ रुपये का आकस्मिक कोष स्वीकृत किया है। एसजी मेहता ने कहा कि अब तक करीब 46,000 लोगों को मदद मिल चुकी है।
मणिपुर उच्च न्यायालय के आदेश पर लगानी है रोक
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ का कहना है कि अदालत को मणिपुर उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगानी है, जहां एचसी ने मणिपुर सरकार से केंद्र को अनुसूचित जनजाति सूची में मेइती समुदाय को शामिल करने की सिफारिश करने पर विचार करने के लिए कहा था। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जमीनी स्थिति को देखते हुए, सरकार ने रोक लगाने की नहीं बल्कि केवल विस्तार की मांग की है, क्योंकि इससे जमीनी स्थिति पर असर पड़ेगा। इससे पहले 8 मई को सुनवाई के दौरान चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा था कि यह मानवीय संकट है। विस्थापितों के पुनर्वास, राहत कैंपों में दवाओं और खाने-पीने जैसी जरूरी चीजों का इंतजाम हो। साथ ही राज्य में धार्मिक स्थलों की हिफाजत के लिए भी कदम उठाए जाएं।
मणिपुर हिंसा
गौरतलब है कि 3 मई को मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में एक मार्च निकाला गया था। यह रैली कुकी समुदाय द्वारा निकाली गई थी। इसी को लेकर 10 पहाड़ी जिलों में हिंसा शुरू हो गई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इसमें करीब 71 लोगों की मौत हो गई। वहीं, 230 से अधिक लोग घायल हो गए।