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- ईसाई होने पर गर्व करने वाले उदयनिधि ने कहा कि सनातन का सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि इसे खत्म किया जाना चाहिए।
बंगलुरू, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि सनातन धर्म मलेरिया और डेंगू की तरह है। ईसाई होने पर गर्व करने वाले उदयनिधि ने कहा कि सनातन का सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि इसे खत्म किया जाना चाहिए। इतना ही नहीं, उदयनिधि ने कहा कि इसको लेकर अगर कोई कानूनी कार्रवाई की बात करता है तो वो इससे डरने वाले नहीं हैं। दरअसल, उदयनिधि ने सनातन धर्म मिटाने की बात कही थी। एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किए जा रहे उनके भाषण की एक वीडियो क्लिप में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है, “सनातन धर्म को खत्म करने के लिए इस सम्मेलन में मुझे बोलने का मौका देने के लिए मैं आयोजकों को धन्यवाद देता हूँ। मैं सम्मेलन को ‘सनातन धर्म का विरोध’ करने के बजाय ‘सनातन धर्म को मिटाओ‘ कहने के लिए आयोजकों को बधाई देता हूँ।” उदयनिधि ने कहा, “कुछ चीजें हैं जिनका हमें उन्मूलन करना है और हम केवल विरोध नहीं कर सकते। मच्छर, डेंगू, मलेरिया, कोरोना ये सभी चीजें हैं जिनका हम विरोध नहीं कर सकते, हमें इन्हें मिटाना है। सनातन भी ऐसा ही है। विरोध करने की जगह सनातन को ख़त्म करना हमारा पहला काम होना चाहिए।” उन्होंने सवालिया लहज़े में पूछा, “सनातन क्या है? सनातन नाम संस्कृत से आया है। सनातन समानता और सामाजिक न्याय के खिलाफ है। सनातन का अर्थ ‘स्थायित्व’ के अलावा और कुछ नहीं है, जिसे बदला नहीं जा सकता। कोई भी सवाल नहीं उठा सकता। सनातन का यही अर्थ है।” सोशल मीडिया साइट पर उनके खिलाफ कार्रवाई करने की लगातार माँग उठ रही है। इसी बीच ‘लीगल राइट्स ऑजरवेटरी- LRO’ नाम के एक एक्स हैंडल ने उदयनिधि पर कानूनी कार्रवाई की बात कही। LRO हैंडल ने लिखा, “हम चर्च के आदेश पर सनातन धर्म को बदनाम करने वाले गंदे मच्छरों को खत्म करने के लिए विभिन्न कानूनी उपाय तलाशेंगे! आप सज़ा से बचेंगे नहीं उदय स्टालिन।” एलआरओ के इस पोस्ट पर तमिलनाडु की सत्तारूढ़ डीएमके सरकार में युवा कल्याण और खेल विकास मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने जवाब दिया और कहा कि वे अपनी बात पर कायम हैं। उदयनिधि ने कहा कि वो धमकी से डरने वाले नहीं हैं। उन्होंने खुद को परियार-कलैग्नार का अनुयायी बताते हुए कहा कि जो है, उसे उन्होंने सामने रखा है। इससे उनकी सनातन धर्म को रोकने की भावना बिल्कुल कम नहीं होगी।