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यात्री बस में बढ़ी ‘एंटी स्लीप अलार्म’ की जरूरत, 5 सेकंड में टल सकता हादसा

  • एंटी स्लीप डिवाइस का इस्तेमाल ड्राइवर को नींद से जगाने के लिए किया जाता है।
  • देश में कुछ राज्य परिवहन निगमों की बस में इसका इस्तेमाल होता है।

नई दिल्ली। भारत में हर साल रोड एक्सीडेंट में लाखों लोग मारे जाते हैं। ये हादसे कभी दूसरों की तो कभी खुद की लापरवाही से होते हैं। नूंह में शुक्रवार रात श्रद्धालुओं से भरी बस में आग लग गई। हालांकि, आग लगने के कारण का पता नहीं चल सका, लेकिन इस दर्दनाक हादसे में 8 लोगों ने अपनी जान गवां दी। आमतौर पर देखने में आया है कि ड्राइवर को नींद की झपकी लगने के कारण सड़क हादसे हो जाते हैं। हालांकि, इस परेशानी का समाधान है एंटी स्लीप डिवाइस, जिसका इस्तेमाल नींद में ड्राइविंग से जुड़े हादसों को रोकने के लिए किया जाता है। सवाल है कि कार ड्राइवर इसका इस्तेमाल करते हैं फिर बस और ट्रक ड्राइवर इसका उपयोग क्यों नहीं करते हैं? क्या वाकई एंटी स्लीप डिवाइस के इस्तेमाल करने से सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण पाया जा सकता है। इस बारे में हमने ऑटो एक्सपर्ट से बात की। ड्राइवर्स के लिए एंटी स्लीप अलार्म, नींद लगने की स्थिति में रोड एक्सीडेंट से बचने के लिए एक महत्वपूर्ण सेफ्टी डिवाइस है। यह डिवाइस, एक एडवांस सेंसर के जरिए ड्राइवर की स्थिति की निगरानी करता है।

बस-ट्रक में होना चाहिए इस्तेमाल

कार में एंटी स्लीप अलार्म डिवाइस का इस्तेमाल होता है। हालांकि, इसका उपयोग लोग करें या ना करें अलग बात है। लेकिन, यात्री बस, जिनमें 70-80 लोग सफर करते हैं इसमें यह डिवाइस बिल्कुल इस्तेमाल होना चाहिए। इस बारे में हमने ऑटो एक्सपर्ट विक्रांत मोहन से बात की, तो उन्होंने कहा, “बस और ट्रक में भी एंटी स्लीप डिवाइस का इस्तेमाल होना चाहिए ताकि यात्री बसों से जुड़े एक्सीडेंट को रोका जा सके।” उन्होंने कहा कि कारों की तरह बसों में भी इस डिवाइस का इस्तेमाल हो सकता है। टीओआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए, विशेष रूप से रात में, यूपी राज्य सड़क परिवहन निगम अपने ड्राइवरों को गाड़ी चलाते समय झपकी लेने से रोकने के लिए “एंटी स्लीप अलार्म डिवाइस” का ऐलान किया था। इसके बाद प्रयोग के तौर पर कुछ बसों में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।

भारत में बढ़ते सड़क हादसे

भारत में रोड एक्सीडेंट एक बड़ी समस्या है। रोड इंफ्रास्ट्रक्चर पर काफी पैसा खर्च करने के बावजूद सड़क हादसों में कमी नहीं आ रही है। 2022 में देशभर में कुल 460,000 रोड एक्सीडेंट हुए। इन हादसों में 168,491 लोगों की जान चली गई।

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