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मराठा आरक्षण: आयोग ने महाराष्ट्र सरकार को सौंपी रिपोर्ट, मुख्यमंत्री ने कहा- कैबिनेट की बैठक में होगा फैसला

भूख हड़ताल पर सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि भूख हड़ताल पर जाने की कोई जरूरत नहीं थी।
मराठा समुदाय की सामाजिक और वित्तीय स्थिति पर आयोग की सर्वेक्षण रिपोर्ट शिंदे को सौंप दी है।
मुंबई,
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने संकेत दिए हैं कि सरकार जल्द ही मराठा आरक्षण को लागू कर सकती है। महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा आयोग के मुख्य न्यायाधीश शुक्रे ने मराठा समुदाय की सामाजिक और वित्तीय स्थिति पर आयोग की सर्वेक्षण रिपोर्ट शिंदे को सौंप दी है।

सर्वे रिपोर्ट मिलने पर सीएम ने कहा कि कैबिनेट बैठक में इसे पेश किया जाएगा। मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा, ‘यह रिपोर्ट कैबिनेट की बैठक में पेश की जाएगी और उसके आधार पर सरकार फैसला लेगी। इसी मामले पर 20 फरवरी को विधानसभा के विशेष सत्र की घोषणा की जा चुकी है।’

कानून की कसौटी पर खतरा उतरेगा आरक्षण

‘जिस तरह से इस सर्वे का काम पूरा हुआ है, उसे देखकर हमारी सरकार को भरोसा है कि शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति के आधार पर आरक्षण संविधान और कानून की कसौटी पर खरा उतर सकेगा। हम मराठा समुदाय को कोई नुकसान पहुंचाए बिना ओबीसी आरक्षण या किसी अन्य आरक्षण को लागू करने में सक्षम होंगे। हमें विश्वास है कि हम स्थायी आरक्षण प्रदान करने में सक्षम होंगे।’

भूख हड़ताल पर जाने की कोई जरूरत नहीं थी

मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे पाटिल की भूख हड़ताल पर सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा, ‘मराठा आरक्षण के संदर्भ में सरकार ने पहले ही खुद को पूरी तरह स्पष्ट कर दिया था। शुक्रे कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर हम मराठा आरक्षण को आगे बढ़ाएंगे। कुनबी पंजीकरण के संदर्भ में आरक्षण के मुद्दे को पहले ही आगे बढ़ाया जा चुका है और इस पर काम पहले से ही चल रहा है। भूख हड़ताल पर जाने की कोई जरूरत नहीं थी, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा हो रहा है। हम उनसे अनशन वापस लेने का अनुरोध करेंगे। सरकार मांगों को पूरा करने के लिए सकारात्मक रूप से अपना काम कर रही है।’

दो से ढाई करोड़ लोगों पर सर्वे

मराठा आरक्षण पर महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा, ‘शुक्रे के मार्गदर्शन में मगेश्वरीय समिति ने सर्वे किया है। मैं उन्हें युद्ध स्तर पर काम करने के लिए बधाई देना चाहूंगा। सर्वे में पार्षद, कलेक्टर और मंडलायुक्त सहित लगभग साढ़े तीन से चार लाख लोग शामिल थे। पिछड़ा आयोग ने कई अन्य संगठनों की सहायता भी ली। यह सर्वेक्षण लगभग दो से ढाई करोड़ लोगों पर किया गया है।’

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