- विवाद की शुरुआत 150 वर्ष पूर्व वर्ष 1892 और वर्ष 1924 के बीच तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी एवं मैसूर के बीच मध्यस्थता के दो समझौतों के साथ हुई थी।
- सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कर्नाटक को जून से मई के बीच तमिलनाडु के लिए 177 टीएमसी पानी छोड़ने का आदेश दिया था
तमिलनाडु के साथ कावेरी जल बंटवारा विवाद पर कर्नाटक बंद के कारण केंम्पेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट ने आने-जाने वाली 44 उड़ाने रद्द कर दी। ऐसे ही राज्य परिवहन निगम ने भी कावेरी जल बंटवारा विवाद के कारण मैसूरू, मांड्या और चामराजनगर जिलों में अपनी बस सेवाएं रोक दी। प्रदर्शनकारियों द्वारा सड़को के ब्लॉक भी कर दिया गया है। जिस वजह से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं।।स्कूल कॉलेजों को भी बंद कर दिया गया हैं।
जानें क्या है पूरा मामला?
विवाद मुख्य रूप से, पानी की कमी की अवधि के दौरान जल संसाधनों के आवंटन, नियमित वर्षों के दौरान पानी के वितरण और नदी के मार्ग पर जलाशयों और परियोजनाओं की स्थापना से संबंधित है। कर्नाटक और तमिलनाडु अपनी बढ़ती आबादी और कृषि की जरूरतों को पूरा करने के लिए नदी के पानी के एक बड़े हिस्से के लिए आपस में उलझ रहे हैं।
कर्नाटक और तमिलनाडु से होते हुए अंततः बंगाल की खाड़ी में विलीन होने से पहले, कावेरी दक्षिणी भारत की एक महत्वपूर्ण नदी है। विवाद की उत्पत्ति 150 वर्ष पूर्व वर्ष 1892 और वर्ष 1924 के बीच तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी एवं मैसूर के बीच मध्यस्थता के दो समझौतों के साथ हुई थी।
विवाद अब इसलिए बढ़ता जा रहा है कि कर्नाटक ने पहले से तय कावेरी नदी का पानी छोड़ने की मात्रा का पालन करने से इनकार कर दिया। तमिलनाडु ने 15 दिन की अवधि में 10,000 क्यूसेक पानी छोड़ने की मांग की हैं , लेकिन कर्नाटक ने उसी 15 दिन की अवधि के लिए 8,000 क्यूसेक कम पानी छोड़ने को कहा है।
2018 में कोर्ट के आदेश पर कर्नाटक सरकार ने तमिलनाडु को 5,000 क्यूसेक पानी छोड़ने के निर्णय पर सहमति व्यक्त की थी, लेकिन किसान संगठनों और कन्नड़ समर्थक कार्यकर्ताओं को सरकार का ये फैसला मंजूर नहीं।
तमिलनाडु और कर्नाटक में कावेरी नदी के जल बंटवारे को लेकर विवाद दशकों से जारी है। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कर्नाटक को जून से मई के बीच तमिलनाडु के लिए 177 टीएमसी पानी छोड़ने का आदेश दिया था। हाल में तमिलनाडु ने कर्नाटक द्वारा निश्चित पानी न दिए जाने का आरोप लगाया है।
मेकेदातु जलाशय परियोजना
वर्ष 2018 में तमिलनाडु ने मेकेदातु जलाशय परियोजना के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील की , तब कर्नाटक द्वारा इस बात को स्वीकार किया गया था कि यह परियोजना तमिलनाडु में जल के प्रवाह को प्रभावित नहीं करेगी। दोने राज्यों के बीच कुछ हुवे समझौतों में यह सिद्धांत निहित था कि ऊपरी तटवर्ती राज्य को कावेरी नदी पर किसी भी निर्माण कार्य के लिए निचले तटवर्ती राज्य की सहमति प्राप्त करनी होगी। कर्नाटक बंद के कारण बंगलूरू एयरपोर्ट, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन वीरान नजर आ रहे हैं। अब तक पुलिस ने 50 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया हैं।