101
- शंकरन ने कहा कि, चंद्रयान 2 के अनुभव के बाद मिशन के हर पहलू पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है.
- चंद्रयान-3 के श्रीहरिकोटा पहुंचने के साथ, इसरो अंतिम चरण की तैयारी में व्यस्त हो गया है.
बेंगलुरु: यू आर राव सैटेलाइट सेंटर के निदेशक एम शंकर ने चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट के जुलाई में प्रस्तावित लॉन्च के लिए श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर पर पहुंचने पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के भावों की अभिव्यक्ति के लिए दो शब्द कहे, ‘उत्साहित’ और ‘आशंकित.’ शंकरन ने कहा कि, चंद्रयान 2 के अनुभव के बाद मिशन के हर पहलू पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है. इसरो का मिजाज इस वक्त उत्साहित भी है और आशंकित भी.
चंद्रयान-3 मिशन के जरिये इसरो साबित करेगी अपनी क्षमता
बेंगलुरु के यूआर राव सैटेलाइट सेंटर पर भारत के तीसरे चंद्रमा मिशन के लिए पेलोड को सफलतापूर्वक एकत्र कर लिया गया है. इसरो चंद्रयान-3 मिशन के जरिए यह साबित करने चाहता है कि चंद्र सतह पर सुरक्षित रोवर उतारने और यहां के वातावरण का पता लगाने की उनके पास क्षमता है. यह मिशन चंद्रयान-2 को ही आगे ले जाता है, जिसे 22 जुलाई, 2019 को देश के सबसे ताकतवर जियोसिन्क्रोनस लॉन्च व्हीकल से लॉन्च किया गया था. इसका मकसद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर रोवर उतारना था. हालांकि लैंडर विक्रम ने 7 सितंबर, 2019 को हार्ड लैंडिग की, जिस वजह से भारत का पहले प्रयास में चंद्र सतह पर सफलतापूर्वक उतरने का ख्वाब अधूरा रह गया था.
जुलाई में किसी भी वक्त हो सकता है लॉन्च
चंद्रयान-3 के श्रीहरिकोटा पहुंचने के साथ, इसरो अंतिम चरण की तैयारी में व्यस्त हो गया है. एक बार फिर देश चांद पर पहुंचने की उम्मीद कर रहा है. अगले महीने होने वाले लॉन्च की तैयारी करते हुए चंद्रयान मिशन-2 की उड़ाने के बाद विश्लेषण से मिले सबक को भी ध्यान में रखा गया है. शंकरन ने कहा कि, चंद्रयान अपने लॉन्च पोर्ट पर पहुंच चुका है. श्रीहरिकोटा में तैयारी पूरे जोरों पर है, और हमें उम्मीद है कि जुलाई में हम किसी वक्त लॉन्च कर सकते हैं. चंद्रयान-3 को भारत के सबसे शक्तिशाली रॉकेट GSLV-MKIII, या LVM-3 के जरिए अंतरिक्ष में ले जाया जाएगा. मिशन में एक स्वदेशी लैंडर मॉड्यूल, प्रोपल्शन मोड्यूल और एक रोवर होगा, जिसका मकसद अंतर-ग्रहीय मिशन के लिए जरूरी तकनीक को विकसित और प्रदर्शित करना होगा.