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भूस्खलन और भूकटाव की घटनाएं 190 फीसदी बढ़ीं, देसी पेड़ और झाड़ियां ढलान की मजबूती के लिए स्थायी समाधान

  • देशी पेड़ और झाड़ियां लगाने से इनसे बचाव हो सकता है।
  • भूस्खलन और मिट्टी के कटाव के खतरे को कम करने में मदद कर सकते हैं।

नई दिल्ली । भूस्खलन और भूकटाव की घटनाओं में 1990-2003 की तुलना में 2004-2017 के बीच 190 फीसदी की वृद्धि हुई है। देशी पेड़ और झाड़ियां लगाने से इनसे बचाव हो सकता है। सिडनी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने यह साबित किया है कि कैसे देशी पेड़ और झाड़ियां ढलान वाले इलाके को मजबूत बनाने और गीली परिस्थितियों में भूस्खलन और मिट्टी के कटाव के खतरे को कम करने में मदद कर सकते हैं।

प्रभावी, किफायती और टिकाऊ समाधान

देशी पेड़ों व झाड़ियों के साथ ढलानों को मजबूती प्रदान करना प्रभावी, किफायती और टिकाऊ समाधान है। अनेक एशियाई और अफ्रीकी देशों में इनका सफलतापूर्वक क्रियान्वयन भी किया गया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, यदि लोग ढलान या उसके निकट बुनियादी ढांचे का निर्माण करना चाहते हैं तो उन्हें पेड़ों को काटने या भूस्खलन के खिलाफ ऊर्ध्वाधर इलाके को सहारा देने के लिए कृत्रिम ढलान के उपयोग को लेकर पुनर्विचार करना चाहिए।

ये पेड़ सबसे अच्छे

सभी प्रजातियों में से एंगोफोरा और ब्लूबेरी ऐश ढलान को मजबूती देने में सबसे अच्छे पाए गए हैं। एंगोफोरा की मजबूत जड़ प्रणाली मिट्टी को जकड़े रखती है और कटाव के खिलाफ सहारे का काम करती है। इसी तरह ब्लूबेरी ऐश के पेड़ों की जड़ें मोटी, ऊर्ध्वाधर और दिल के आकार की होती हैं। उन्हें आसानी से उखाड़ा नहीं जा सकता है। इसके अलावा भूस्खलन रोकने के लिए बांस के पौधे एक प्रभावी विकल्प हैं। साथ ही पार्थेनोसिसस ट्राइकसपिडेटा, मेरेमिया बोइसियाना और डोडर जैसी वनस्पतियां भी लगाई जा सकती हैं। इसके अलावा लिगस्ट्रम ल्यूसिडम जैसे चौड़ी पत्ती वाले पौधे, नाटोब बाइकलर लेस्पेडेजा भी प्रभावी हैं।

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