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दिल्ली में धूल भरी आंधी करने लगी है बीमार! श्वांस के मरीजों को डॉक्टर्स ने किया अलर्ट

  • दिल्ली और एनसीआर धूल भरी आंधी की वजह से श्वांस के मरीजों की मुसीबत बढ़ती दिख रही है.
  • डॉक्टर्स ने मरीजों को अलर्ट किया है और ऐसे मौसम में बाहर निकलने से परहेज करने की अपील की है.
  • डॉक्टर्स का कहना है कि ये मौसम और ज्यादा बीमार बना सकता है. ऐसे में सावधानी बरतना बेहद जरूरी है.
    नई दिल्ली,
    राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में मौसम ने अचानक करवट बदली है. यहां अचानक धूल भरी आंधी चलने से हवा की गुणवत्ता में भारी गिरावट आई है. पराग का मौसम श्वसन संबंधी समस्याओं को बदतर बना रहा है. विशेष रूप से जिन्हें फेफड़े की समस्या है, उनके लिए मुसीबत बढ़ती जा रही है. डॉक्टर्स ने बीमारी से बचने के लिए मास्क पहनने और जितना हो सके घर के अंदर रहने की सलाह दी है. हवा में धूल का उच्च स्तर भी आंखों में कई तरह की समस्याएं पैदा कर सकता है. यह काफी स्वस्थ लोगों में भी आंखों की समस्या का कारण बन सकता है. फेलिक्स अस्पताल के निदेशक डॉ. डीके गुप्ता ने बताया कि जिन लोगों को धूल से एलर्जी है, उन्हें हवा में धूल के उच्च स्तर के कारण नाक बंद होने की समस्या हो सकती है.
    ‘निर्माण कार्य चलने से धूल का स्तर होगा खतरनाक’
    राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कई इलाकों में निर्माण कार्य चल रहे हैं. इसके कारण एक साधारण धूल भरी आंधी मुसीबत बन सकती है. चूंकि गैर-प्रदूषण वाले महीनों में निर्माण कार्य पर कोई प्रतिबंध नहीं होता है, इसलिए धूल का स्तर और भी ज्यादा होता है. धूल हवा में पार्टिकुलेट मैटर 10 (PM10) में वृद्धि करती है, जो लंबे समय तक संपर्क में रहने पर लोगों के लिए खतरनाक है.
    ‘घर से बाहर ना निकलें श्वांस रोगी’
    जिन लोगों को सांस की समस्या है उन्हें धूल में बाहर जाने से बचना चाहिए. धूल में बाहर निकलने से पहले वे अपनी नाक और मुंह को मास्क या किसी कपड़े से ढक लें. डॉ. गुप्ता ने कहा- यह भी सलाह दी जाती है कि ऐसे रोगियों को इस मौसम में हर समय अपनी दवाएं या इन्हेलर साथ रखना चाहिए, क्योंकि उनके लिए यह मौसम खतरनाक है.
    ‘सरकार को खतरे से निपटने के लिए उठाने होंगे कदम’
    दिल्ली के आनंद विहार इलाके के निवासी योगेश सिंह का कहना है कि उनके बेटे को इलाके में प्रदूषण के उच्च स्तर और पराग के मौसम और धूल भरी आंधी के कारण सांस की बीमारी का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि मेरा बेटा महज 6 साल का है और प्रदूषण का स्तर बढ़ते ही उसे अक्सर नेबुलाइजेशन कराने के लिए मजबूर होना पड़ता है. धूल भरी आंधी ने स्थिति और खराब कर दी है. इस खतरे को नियंत्रित करने के लिए सरकारों को मिलकर काम करना चाहिए.

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