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- स्क्रीनिंग से जुड़ें, जांच करवाएं, कार्ड बनवाएं। शादी के समय कुंडली भले ही नहीं मिलाएं, कार्ड जरूर मिलाएं।
शहडोल । सिकलसेल से मुक्ति का अभियान अमृतकाल में सबसे बड़ा मिशन बनेगा। जनजातीय बंधुओं से कहा कि वे स्क्रीनिंग से जुड़ेंं, जांच करवाएं, कार्ड बनवाएं। शादी के समय कुंडली भले ही नहीं मिलाएं, कार्ड जरूर मिलाएं। यह बातें लालपुर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहीं। उन्होंने सर्वप्रथम मंच पर रानी दुर्गावती को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इसके बाद राष्ट्रीय सिकलसेल मार्गदर्शिका का विमोचन किया। शहडोल की अदिति यादव को आयुष्मान कार्ड देते हुए हेल्थ के सबसे बड़े मिशन की शुरुआत की। बोले- यह योजना आदिवासी समाज के लिए महत्वपूर्ण है। मोदी ने कहा कि। यह भाजपा सरकार है यह मोदी है जो आपको ₹500000 की स्वास्थ्य गारंटी का कार्ड देती है। साथियों गारंटी की चर्चा के बीच आपको झूठी गारंटी देने वालों से भी सावधान रहना है और जिन लोगों की अपनी कोई गारंटी नहीं है वह आपके पास गारंटी वाली नई नई स्कीम लेकर आ रहे हैं। उनकी गारंटी में छिपे खोट को पहचान लीजिए झूठी गारंटी के नाम पर उनके धोखे के खेल को भांप लीजिए । मोदी ने कहा कि वह 70 साल में गरीब को महंगे इलाज से छुटकारा देने की गारंटी नहीं दे सके लेकिन हमने स्वास्थ्य की गारंटी दी है । वह 70 साल में धुए से छुटकारा दिलाने की गारंटी नहीं दे सके लेकिन हमने उज्ज्वला योजना से 10 करोड़ महिलाओं को धुंआ से मुक्त किया है। 70 साल में गरीब को पैरों पर खड़े होने की गारंटी नहीं दे सके। हमने मुद्रा योजना से साढ़े आठ करोड़ को स्वरोजगार की गारंटी दी है उनकी गारंटी का मतलब है कहीं ना कहीं कुछ गड़बड़ है। फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि राज्यपाल महोदय के आने के बाद सिकलसेल की लगातार चिंता हुई है प्रधानमंत्री विशेष तौर पर इस ओर ध्यान दे रहे हैं। आदिवासी क्षेत्र में इस बीमारी को जड़ मूल से खत्म करने को जो संकल्प लिया है आज इसकी शुरुआत शहडोल की धरती से हो रही है आप सभी भाई बहनों की तरफ से प्रधानमंत्री का अभिनंदन करता हूं स्वागत करता हूं। केंद्रीय स्वास्थ मंत्री डा. मनसुख स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि आज का यह दिन इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में लिखा जाएगा। आज के दिन प्रधानमंत्री सिकलसेल जैसे बीमारी को खत्म करने के लिए कार्यक्रम की शुरुआत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह बीमारी से कई देशों ने मुक्ति पा ली है प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में इस बीमारी को खत्म करने के लिए बहुत बड़ी योजना तैयार की गई है। डॉ मनसुख ने कहा कि आप बच्चों की शादी करते समय रक्त कुंडली अवश्य मिलाएं। आयुष्मान ग्राम सभाएं आयोजित की जाएंगी जिसमें वंचित लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड बनवाने की जानकारी दी जाएगी।
झूठी गारंटी देने वालों से सावधान रहना
मोदी ने कहा कि झूठी गारंटी देने वालों से सावधान रहना है। जिन लोगों की अपनी कोई गारंटी नहीं है, वह लोग आपके पास गारंटी वाली नई-नई स्कीम ला रहे हैं। उनकी गारंटी में छिपे खोट को पहचान लीजिए। झूठी गारंटी के नाम पर उनके धोखे के खेल को भांप लीजिए। जब मुफ्त बिजली की गारंटी देते हैं तो इसकी गारंटी है कि बिजली के दाम बढ़ने वाले हैं। मुफ्त सफर की गारंटी देते हैं तो सफर महंगा होने वाला है। पेंशन की गारंटी देते हैं तो तय है कि सैलरी भी नहीं मिल सकेगी। सस्ता पेट्रोल देने की गारंटी देते हैं तो इसका मतलब है कि टैक्स बढ़ाने वाले हैं। इनकी रोजगार की गारंटी का मतलब है कि उद्योग-धंधे चौपट होने वाले हैं। कांग्रेस की गारंटी यानी नीयत में खोट, गरीब को चोट। वह लोग 70 साल से गरीब को भरपेट भोजन दे नहीं सके। हमने 70 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया है। 70 साल से स्वास्थ्य सेवाएं नहीं दे सके, हमने पांच लाख रुपये का बीमा दिया है।
विपक्षी एकजुटता पर भी निशाना साधा
मोदी ने कहा कि जो साथ आने का वादा कर रहे हैं, वह हमेशा से एक-दूसरे को पानी पी-पीकर कोसते रहे हैं। विपक्षी एकजुटता की गारंटी नहीं है। यह परिवारवादी पार्टियां अपने परिवारों का भला चाहती है। उनका साथ आना सामान्य परिवारों को आगे ले जाने की गारंटी नहीं है। जो घोटालों के आरोपों में सजा काट रहे हैं, वह एक मंच पर दिख रहे हैं। भ्रष्टाचार मुक्त शासन की गारंटी नहीं है। वह एक सुर में देश विरोधी बयान दे रहे हैं। आपको कांग्रेस समेत हर राजनीतिक दल की गारंटी से सतर्क रहना है। झूठी गारंटी देने वालों का रवैया आदिवासियों के खिलाफ रहा है। जनजातीय समाज के लोगों को भाषा की चुनौती आती थी। अब नई शिक्षा नीति में इस समस्या को दूर किया गया है। झूठी गारंटी देने वाले राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध कर रहे हैं। वह नहीं चाहते कि आदिवासी भाई-बहनों के बच्चे अपनी भाषा में पढ़ाई कर सके। उन्हें पता है कि अगर यह लोग पढ़ गए तो उनकी वोटबैंक की सियासत चौपट हो जाएगी।
70 साल सरकारों ने आदिवासियों की चिंता ही नहीं की
मोदी ने कहा कि सिकल सेल एनीमिया जैसी बीमारी बहुत कष्टदायी होती है। इसके मरीजों के जोड़ों में हमेशा दर्द रहता है। शरीर में सूजन, थकावट रहती है। पीठ, पैर और सीने में असहनीय दर्द महसूस होता है। सांस फूलती है। लंबे समय तक दर्द सहने वाले मरीज के शरीर के अंदरुनी अंग भी क्षतिग्रस्त होने लगते हैं। यह बीमारी परिवारों को भी बिखेर देती है। यह बीमारी न हवा से होती है और न पानी से। यह न भोजन से फैलती है, बल्कि माता-पिता से ही बच्चे में आ सकती है। जो बच्चे इस बीमारी के साथ जन्म लेते हैं, वह पूरी जिंदगी इससे जूझते रहते हैं। पूरी दुनिया में इसके जितने मामले हैं, उनमें से आधे अकेले हमारे देश में होते हैं। दुर्भाग्य है कि 70 साल में कभी इसकी चिंता नहीं हुई। इससे निपटने के लिए कोई ठोस प्लान नहीं बनाया गया। प्रभावित लोग आदिवासी समाज के थे, उनके प्रति बेरुखी के चलते पहले की सरकारों के लिए यह कोई मुद्दा नहीं था। इस चुनौती को हल करने का बीड़ा भाजपा की सरकार ने उठाया है। हमारे लिए आदिवासी समाज सिर्फ एक सरकारी आंकड़ा नहीं है। यह संवेदनशील विषय है।