जनजातीय योद्धा भगवान बिरसा मुंडा के बलिदान दिवस के उपलक्ष्य में बुधवार को स्वराज वीथि में जनजातीय नायक छायाचित्र प्रदर्शनी का शुभारंभ हुआ। स्वराज संस्थान संचालनालय द्वारा आयोजित इस प्रदर्शनी में जनजातीय गौरव के प्रतीक रहे स्वाधीनता आंदोलन के बलिदानियों के चित्रों को संजोया गया है। देश की स्वतंत्रता के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने वाले जनजातीय वीर-वीरांगनाओं से सुसज्जित इस प्रदर्शनी का अवलोकन 10 जून तक सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक किया जा सकता है।
करीब 2 दर्जन योद्धाओं के चित्रों का संकलन
जनजातीय नायकों पर केन्द्रित चित्र प्रदर्शनी में बिरसा मुण्डा, रानी अवंतिबाई, खाज्या नायक, सीताराम कंवर, मंशु ओझा, टंट्या भील, शंकर शाह, रघुनाथ शाह, झलकारी देवी, कानू संथाल, सिद्धो संथाल, अल्लूरी सीताराम राजू, टुरिया शहीद मुड्डे बाई, सुरेंद्र साय, गुण्डाधूर, बाबा तिलका मांझी, रायन्ना, भीमा नायक, रघुनाथ सिंह मंडलोई के चित्र शामिल हैैं।
रायन्ना का ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध आजीवन संघर्ष
कित्तूर की रानी चेन्नम्मा के विश्वस्त सेनापति रायन्ना ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध आजीवन संघर्ष किया। राजा मल्लासरजा और रानी चेन्नम्मा के गोद लिए हुए पुत्र शिवलिंगप्पा को कित्तूर के सिंहासन पर वैध अधिकार दिलाने के लिए इन्होंने कंपनी के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष किया। छापेमार युद्ध शैली का प्रयोग कर इन्होंने बड़े पैमाने पर ब्रिटिश शक्ति को क्षति पहुंचाई। अंत में इन्हें गिरफ्तार कर 26 जनवरी 1831 को मृत्युदंड दे दिया था।
भील समुदाय के नेतृत्वकर्ता थे रघुनाथ सिंह मंडलोई
टांडा बरूद के निवासी रघुनाथ सिंह मंडलोई स्थानीय भील एवं भिलाला समुदाय के प्रतिष्ठित नेतृत्वकर्ता थे। उन्होंने अंग्रेजी शासन के विरुद्ध हुए विद्रोह का नेतृत्व किया। इनके प्रभाव के कारण निमाड़ क्षेत्र में विद्रोह की ज्वाला धधक उठी। अंग्रेजी कंपनी की सेना ने इन्हें अक्टूबर 1858 में बीजागढ़ के किले में घेरकर बंदी बनाया था।