भगवान बुद्ध और उनके करीबी शिष्यों के अवशेष को थाईलैंड की पवित्र यात्रा पर ले जाया जाएगा। थाईलैंड में भारतीय राजदूत नागेश सिंह ने इसे दोनों देशों के बीच जुड़ाव के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह भारत-थाइलैंड संबंधों के लिए एक ऐतिहासिक घटना है। बौद्ध धर्म, हिंदू धर्म और भाषा के संबंध को देखते हुए थाइलैंड एक करीबी देश है। गौरतलब है कि थाइलैंड की 90 प्रतिशत आबादी बौद्ध है। थाईलैंड में भारतीय राजदूत नागेश सिंह ने कहा कि ये अवशेष भगवान बुद्ध के जीवित अवतार हैं। यह एक बड़ी घटना है। अवशेष 22 फरवरी को थाइलैंड पहुंचें। 23 फरवरी को थाइलैंड के प्रधानमंत्री द्वारा शाही महल के मैदानों में स्थापित कियाजाएगा, जो तीन मार्त तक बैंकॉक में रहेंगे। जिसके बाद फिर अवशेष कलश यात्रा चियांग माई उत्तरी शहर का भ्रमण करेगी। हमें उम्मीद है कि लाओस, कंबोडिया, म्यांमार से बड़ी संख्या में लोग श्रद्धांजलि देने थाइलैंड पहुंचेंगे।
22 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल जाएंगे थाईलैंड
संस्कृति मंत्रालय के सचिव गोविंद मोहन ने कहा कि बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर और केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार के नेतृत्व में 22 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल 26 दिवसीय प्रदर्शनी के लिए भारत से पवित्र अवशेषों के साथ थाईलैंड जाएगा। प्रतिनिधिमंडल में कुशीनगर, औरंगाबाद, लद्दाख के भिक्षु, संस्कृति मंत्रालय के अधिकारी, मध्य पर्देश सरकार, राष्ट्रीय संग्रहालय के क्यूरेटर, कलाकार और विद्वान शामिल हैं। यह कार्यक्रम विदेश मंत्रालय, थाईलैंड में भारतीय दूतावास, अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ, राष्ट्रीय संग्रहालय, मध्य प्रदेश राज्य सरकार के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।
थाइलैंड के लोग पसंद है हिंदी सीखना
भारत-थाइलैंड के संबंधों पर भारतीय राजदूत ने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक संबंध बढ़ रहे हैं। यहां तक कि रक्षा और सुरक्षा सहयोग बहुत अच्छा है। थाईलैंड में बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी रहते हैं। वहां के लोग हिंदी सीखना पसंद करते हैं। भारत से थाईलैंड तक भगवान बुद्ध और उनके करीबी शिष्यों के पवित्र अवशेषों की यात्रा 22 फरवरी 2024 से शुरू हुई। अवशेषों को राज्य अतिथि के दर्जे के तौर पर भारतीय वायुसेना के विमान में ले जाया जा रहा है।