इस्लामाबाद – पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) ने मंगलवार को एक बार फिर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और पूर्व संघीय मंत्री फवाद चौधरी के खिलाफ चुनाव आयोग और मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) की अवमानना से जुड़े मामले में अभियोग तय करने की कार्रवाई टाल दी। ईसीपी की चार सदस्यीय पीठ इन नेताओं के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने के लिए मंगलवार को अदियाला जेल पहुंची, जहां दोनों नेता बंद हैं। इमरान खान पांच अगस्त से जेल में बंद हैं। उन्हें तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद गिरफ्तार किया गया। गृह मंत्रालय ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए पूर्व प्रधानमंत्री को ईसीपी के समक्ष पेश करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद ईसीपी ने छह दिसंबर को इमरान और फवाद की जेल में सुनवाई कराने का फैसला किया था।
ईसीपी ने पिछले साल मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयोग के खिलाफ कथित तौर पर ‘असंयमित’ भाषा का इस्तेमाल करने के लिए पीटीआई प्रमुख, पार्टी के पूर्व नेता असद उमर और फवाद चौधरी के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की थी। ईसीपी के समक्ष पेश होने के बजाय तीनों ने नोटिस और अवमानना कार्यवाही को विभिन्न उच्च न्यायालयों में चुनौती दी थी। जिसमें तर्क दिया गया था कि यह चुनाव अधिनियम 2017 की धारा 10 संविधान के खिलाफ है। इस अधिनियम में अवमानना के लिए दंडित करने की आयोग की शक्ति के संबंध में वैधानिक प्रावधान हैं। पीटीआई नेताओं ने उच्च न्यायालयों से आरोपों से राहत देने की भी मांग की थी। लेकिन जनवरी में सर्वोच्च न्यायालय ने ईसीपी को इमरान, फवाद और उमर के खिलाफ कार्यवाही जारी रखने की अनुमति दी। 21 जून को ईसीपी ने तीनों के खिलाफ आरोप तय करने का फैसला किया, जिन्हें अभी तक नहीं किया गया है। फवाद को भ्रष्टाचार के एक मामले में चार नवंबर को इस्लामाबाद से गिरफ्तार किया गया था और तब से वह हिरासत में हैं। पिछली सुनवाई में चुनाव आयोग ने घोषणा की थी कि वह पूर्व प्रधानमंत्री और पूर्व सूचना मंत्री के खिलाफ जेल में अभियोग की कार्यवाही करेगा।
ईसीपी ने गृह मंत्रालय से जरूरी व्यवस्था करने को कहा था। मंगलवार को ताजा घटनाक्रम में ईसीपी पीठ ने अभियोग को स्थगित कर दिया और सुनवाई 27 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी। अदियाला जेल के बाहर मीडिया से बात करते हुए इमरान के वकील शोएब शाहीन ने कहा कि जेल ट्रायल को चुनौती देने वाली इमरान की याचिका लाहौर उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है। उन्होंने दलील दी कि मुकदमे के आदेश बिना किसी कानूनी प्राधिकार के पारित किए गए। उन्होंने कहा, ‘यह एक खुला मुकदमा है। केवल सुनवाई की जगह बदल गई है।’ उन्होंने कहा कि मामले की पारदर्शी सुनवाई तभी हो सकती है जब मीडिया मौजूद हो। शाहीन ने आगे मांग की कि मीडिया, जनता, परिवार के सदस्यों और वकीलों को अभियोग की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी शिकायत की कि इमरान की कानूनी टीम को पूरे केस रिकॉर्ड के साथ मंगलवार को जेल में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई। फवाद चौधरी ने ईसीपी को सौंपी याचिका फवाद ने अलग से अपने वकील फैसल चौधरी के माध्यम से मंगलवार को ईसीपी को एक याचिका सौंपी, जिसमें अवमानना कार्यवाही के लिए खुली सुनवाई की मांग की गई। पीटीआई के पूर्व नेता ने दलील दी,’अदियाला केंद्रीय जेल में कार्यवाही खुली, पारदर्शी नहीं है और कानून तथा संविधान का उल्लंघन है।’
फवाद ने कहा कि ईसीपी का संवैधानिक कर्तव्य है कि वह आवेदक को संवैधानिक अधिकार मुहैया कराए। उन्होंने याचिका में कहा ‘यह भी अजीब और चौंकाने वाला है कि ईसीपी के सदस्यों ने जेल में कार्यवाही शुरू करने का फैसला किया है, जो संवैधानिक निकाय के कद और सम्मान के अनुरूप नहीं है।’राजनीतिक विरोधियों को किया जा रहा प्रताड़ित: फवाद चौधरी ने आरोप लगाया कि राजनीतिक विरोधियों को प्रताड़ित करने के लिए जेल की दीवारों के पीछे मुकदमा चलाना आम बात हो गई है। उन्होंने कहा, ‘बंद कमरे में हुई सुनवाई बेहद आपत्तिजनक है। यह आवेदक के बुनियादी संवैधानिक अधिकारों का पूरी तरह अनादर करने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय कानून, मौलिक मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय संधियों का पूरी तरह से उल्लंघन है।’