दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में से दूसरे नम्बर पर आने वाला चीन देश पिछले एक वर्ष से अपनी खराब अर्थव्यवस्था से जूझ रहा है, जानकारों का कहना है कि चीन की अर्थव्यवस्था में 2023 से गिरावट आऩा शुरू हुई थी जिसमें वर्ष 2024 में भी किसी भी प्रकार का सुधार होता नजर नहीं आ रहा है, जिस कारण चीन को कम निर्यात, कमजोर मुद्रा, प्रॉपर्टी सेक्टर का संकट, विकास दर, कम विदेशी निवेश और युवाओं की रिकॉर्ड बेरोजगारी, आदि जैसी बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस कारण आपनी खराब अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए चीन छोटे बैंकों हो रहा है।
चीन की खराब अर्थव्यवस्था के कारण
- शेयर बाजार में निवेश का कारण- चीन की खराब अर्थव्यवस्था का एक कारण शेयर बाजार में निवेश करना भी है, जानकारी के मुताबिक, लगभग 22 करोड़ लोगों ने शेयर बाजार में इन्वेस्ट किया था। जहां पिछले 3 वर्षों में 50% तक की गिरावट दर्ज की गई है। बीते 3 वर्षों में चीन के पड़ोसी देश अमेरिका के एसएंडपी 500 में 24 प्रतिशत, भारत में BSE के सेंसेक्स में करीब 47 प्रतिशत, जर्मनी के इंडेक्स डैक्स में 17 प्रतिशत, की बढ़ोतरी दर्ज हुई है और 5 फरवरी 2024 में चीन अभी तक का सबसे ज्यादा खराब प्रदर्शन करने वाला बाजार की लिस्ट में शामिल हो गया है।
- घरेलू परिस्थितियां और आपनी घरेलू नीति का कारण- चीन को बचते के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है लेकिन घरेलू खर्च जरूरत से ज्यादा होने के कारण चीन की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है। एक रिपोर्ट में सामने आया है कि चीन में वर्ष 2022 में आम लोगों द्वारा बैंकों में 2.5 लाख करोड़ डॉलर जमा किए गए थे और 2023 में 1.4 लाख करोड़ डॉलर और जमा किए थे जिस कारण एफडी में जमा बढ़ने से बैंकों का नेट इंटरेस्ट मार्जिन कम हो रहा है।
- स्थावर सम्पदा पर संकट- चीन की खराब अर्थव्यवस्था का एक कारण यह भी है कि साल 2021 में चीनी की सरकार ने बिल्डर्स द्वारा लिए कर्ज को सीमित कर दिया। जिसके कारण बिल्डर्स ने जो अरबों डॉलर उधार लिए थे, वो उस कर्जे को चुका नहीं पाए। चीन देश की जनता ने अपने लगभग 70 प्रतिशत निवेश रियल एस्टेट में किया है और देश के बैंकों का कहना है कि वर्ष 2022 में आखिर तक पहुंचते-पहुंचते चीन के लगभग 78 करोड़ नागरिक कर्ज में डूब चुके थे और उन पर सारा कर्ज रियल एस्टेट का था।
चीन देश की खराब अर्थव्यवस्था से अन्य देशों पर असर
कुछ अर्थ शास्त्रियों का कहना है कि चीन की खराब अर्थव्यवस्था के कारण कई देशो के मल्टी नेशनल कंपनियों और उनमें काम करने वाने कर्मचारियों पर अप्रत्यक्ष रूप से असर पड़ सकता है। दरअसल बहुराष्ट्रीय कंपनियों के रुया का एक बड़ा हिस्सा चीन के बड़े उपभोक्ता बाजार से आता है और यदी चीन की एक अरब 40 करोड़ आबादी द्वारा होने वाले खर्च को कम कर देगी तो इसलका वुरा असर अन्य देशो की कंपनियों और कर्मचारियों रप पड़ेगा।
चीन के लगभग 30 करोड लोग नहीं चुका पा रहे कर्जा
चीन के द्वारा पैश की गई एक रिपोर्ट में इस बात का दावा किया जा रहा है कि चीन में 40 करोड़ मिडिल क्लास लोग रहते हैं। लेकिन इस समय खराब अर्थव्यवस्था के चलते चीन के लोग खर्च नहीं कर रहे है और चीन के 30 करोड लोग किसी भी स्थिति में कर्ज की भरपाई नहीं कर सकते हैं।
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में से दूसरे नम्बर पर आने वाला चीन देश पिछले एक वर्ष से अपनी खराब अर्थव्यवस्था से जूझ रहा है, जानकारों का कहना है कि चीन की अर्थव्यवस्था में 2023 से गिरावट आऩा शुरू हुई थी जिसमें वर्ष 2024 में भी किसी भी प्रकार का सुधार होता नजर नहीं आ रहा है, जिस कारण चीन को कम निर्यात, कमजोर मुद्रा, प्रॉपर्टी सेक्टर का संकट, विकास दर, कम विदेशी निवेश और युवाओं की रिकॉर्ड बेरोजगारी, आदि जैसी बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस कारण आपनी खराब अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए चीन छोटे बैंकों हो रहा है।