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‘लिटिल थॉमस’ के जरिए बाल फिल्मों की दुनिया में लौटे अनुराग कश्यप

  • अनुराग कश्यप ने साल 2007 में बच्चों के लिए फ़िल्म ‘हनुमान रिटर्न्स’ का निर्देशन किया था, अब 17 साल बाद उन्होंने बच्चों पर आधारित फ़िल्म ‘लिटिल थॉमस’ का निर्माण किया है जिसके निर्देशक हैं कौशल ओज़ा

बच्चों की नज़र से देखें तो दुनिया कैसी लगती है? इसे दर्शाने के लिए ‘गैंग्स ऑफ़ वास्सेपुर’, ‘अग्ली’ और ‘केनेडी’ जैसी फ़िल्में निर्देशित कर चुके फ़िल्मकार अनुराग कश्यप लेकर आ रहे हैं अपने प्रोडक्शन में बनी फ़िल्म लिटिल थॉमस’। फ़िल्म में देश के सबसे बेहतरीन अदाकारों में अपना शुमार रखने वाले गुलशन देवैया और रसिका दुग्गल अहम भूमिकाओं में नज़र आएंगे। इस बेहद मज़ेदार कॉमेडी ड्रामा में हृदयांश पारेख भी बाल कलाकार के रूप में अहम किरदार में दिखाई देंगे।

अनुराग कश्यप से जब पूछा गया कि ‘हनुमान रिटर्न्स’ (2007) जैसी एनिमेटेड फ़िल्म बनाने के बाद उन्हें ‘लिटिल थॉमस’ के निर्माण में 17 साल का वक्त क्यों लगा तो वे कहते हैं, “हां, इस बात का एक अर्सा हो गया है। शायद मुझे बच्चों पर आधारित एक उम्दा स्क्रिप्ट की तलाश थी।” वे आगे कहते हैं, “बच्चों को लेकर एक प्रामाणिक फ़िल्म बनाना आसान काम नहीं है और यह एक बेहद मुश्क़िल किस्म का जॉनर है। ऐसे में यह सुनिश्चित करना बेहद ज़रूरी हो जाता है कि आपके पास बच्चों पर आधारित फ़िल्म बनाने के लिए एक बढ़िया स्क्रिप्ट मौजूद हो।”

उल्लेखनीय है कि ‘लिटिल थॉमस’ का वर्ल्ड प्रीमियर इंडियन फ़िल्म फ़ेस्टिवल ऑफ़ मेलबर्न (IFFM) में होगा। अनुराग कश्यप के अलावा इस फ़िल्म का निर्माण रंजन सिंह, रजनीकांत ओज़ा, चारू ओज़ा, अनुष्का शाह और कबीर आहूजा के सहयोग से किया गया है।

ग़ौरतलब है कि अनुराग कश्यप ‘लिटिल थॉमस’ को लेकर राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त निर्देशक कौशल ओज़ा के विज़न से काफ़ी प्रभावित हुए थे। एक फ़ीचर फ़िल्म निर्देशक के तौर पर ‘लिटिल थॉमस’ निर्देशक कौशल ओज़ा की पहली फ़िल्म है। इस फ़िल्म में दिखाया गया है कि कैसे 7 साल का एक बच्चा अपने अनूठे प्रयासों से अपने मां-बाप को फिर से साथ लाने की कोशिश करता है ताकि उसके जीवन में उसे भी एक छोटे भाई का सुख प्राप्त हो सके।

अनुराग कश्यप कहते हैं, “मैंने कौशल ओज़ा की शॉर्ट फ़िल्म ‘द मिनिएचरिस्ट ऑफ़ जूनागढ़’ देखी है। तभी मैंने ‘लिटिल थॉमस’ की स्क्रिप्ट भी पढ़ी थी और फ़िल्म को लेकर कौशल के विज़न को लेकर मैं उस वक्त काफ़ी प्रभावित हुआ था। वो बच्चों के नज़रिए से और बच्चों की दुनिया को साकार करते हुए एक उम्दा किस्म की बाल फ़िल्म बनाना चाह रहे थे। फ़िल्म के विषय के प्रति यह कौशल की निष्ठा और ईमानदारी ही है जो यह फ़िल्म हक़ीक़त का रूप लेने में कामयाब रही है।”

‘लिटिल थॉमस’ की कहानी को गोवा में नब्बे के दशक में सेट किया गया है। फ़िल्म की कहानी एक छोटे से बच्चे थॉमस के इर्द-गिर्द घूमती है जो अपने मां-बाप का एकलौता बेटा है। उसकी ख़्वाहिश है कि उसका भी एक छोटा भाई हो। फ़िल्म की कहानी के मुताबिक, “थॉमस को एक दिन कोई बताता है कि छोटे भाई के आगमन के लिए ज़रूरी है उनके मां-बाप एक-दूसरे को किस करें। मगर उनके माता-पिता की आपस में बिल्कुल भी बनती नहीं है और ऐसे में दोनों एक-दूसरे को किस तो करेंगे नहीं। ऐसे में थॉमस इस बात का निश्चय करता है कि वो अपने माता-पिता को एक-दूसरे को किस करवा कर ही दम लेगा।”

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