बढ़ती जनसंख्या के साथ सबको रोजगार उपलब्ध कराना भी एक बड़ी चुनौती की तरह हमारे सामने है। युवाओं को काम देने के लिए केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकारों ने अपने स्तर पर प्रयास शुरू किए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर रोजगार मेलों का आयोजन किया जा रहा है, जिनमें प्रधानमंत्री स्वयं युवाओं को नियुक्त पत्र सौंप रहे हैं। वहीं, राज्य सरकारें भी अपने प्रदेश के युवाओं को ध्यान में रखकर प्रयास कर रही हैं। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर ‘मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना’ ऐसा ही नवाचार है। इस नवाचार की विशेषता है कि इसके अंतर्गत युवाओं को विभिन्न कंपनियों में व्यवहारिक प्रशिक्षण दिलाया जाएगा, जिससे आगे चलकर इन युवाओं को नौकरी मिल सके या ये अपना स्वतंत्र कार्य प्रारंभ करने में सक्षम बन सकें। इसके साथ ही युवाओं को उनकी शैक्षणिक स्थिति के आधार पर प्रशिक्षण प्राप्त करने के दौरान 8 से 10 हजार रुपये तक मासिक आर्थिक सहयोग भी दिया जाएगा। जब राजनीतिक दलों में मुफ्त की रेवड़ियां बांटने की होड़ लगी है, तब यह संतोष की बात है कि शिवराज सरकार ने युवाओं को ‘बेरोजगारी भत्ता’ न देकर, उन्हें कौशल सिखाने पर जोर दिया है। उल्लेखनीय है कि सत्ता में आने के लिए छटपटा रहे राजनीतिक दल अनेक वर्गों को वोटबैंक की तरह देख रहे हैं और उनके वोट प्राप्त करने के लिए अनेक प्रकार की घोषणाएं कर रहे हैं। उनके लिए युवा भी एक बड़ा वोटबैंक है, इसलिए प्रारंभ में उन्हें बेरोजगारी भत्ता देने की माँग उठी थी। लेकिन बेरोजगारी भत्ता देने से स्थायी समाधान नहीं निकलता। एक प्रसिद्ध उपदेश कथा है, जो बताती है कि एक भिखारी या भूखे को फल तोड़कर देने से अच्छा है कि उसे फल तोड़ना सिखा दिया जाए। ‘मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना’ का उद्देश्य यही है कि युवाओं के हाथों में हुनर दिया जाए, तो वे भविष्य में आगे बढ़ सकेंगे। युवाओं के लिए यह योजना एक बड़े अवसर की तरह है। युवाओं को चाहिए कि वे केवल 8 से 10 हजार रुपये की राशि प्राप्त करने के लिए इस योजना में पंजीयन न कराएं अपितु इस योजना के माध्यम से अपना भविष्य बनाने की दृष्टि युवाओं को रखनी चाहिए। इस अवसर का ठीक प्रकार उपयोग किया जाएगा तो युवा हुनर सीखने के साथ भी कमाएगा और सीखने के बाद तो उसकी कमाई के अनेक रास्ते खुल जाएंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यह कहना उचित ही है- “बेरोजगारी भत्ता बेमानी है। नई योजना, युवाओं में क्षमता संवर्धन कर उन्हें पंख देने की योजना है, जिससे वे खुले आसमान में ऊँची उड़ान भर सकें और उन्हें रोजगार, प्रगति और विकास के नित नए अवसर मिलें”। युवाओं को हुनरमंद बनाना और उन्हें स्वरोजगार के लिए तैयार करना, आज के समय की आवश्यकता है। देश-प्रदेश में युवाओं की ऐसी बड़ी संख्या है, जिनके पास कोई रोजगार नहीं है। रोजगार के अभाव में युवाओं में असंतोष की भावना भी है। सरकार ने अनेक प्रकार से युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के प्रयत्न किए हैं, इनमें शासकीय एवं निजी क्षेत्र की नौकरियों से लेकर युवा उद्यमियों के स्टार्टअप को ऋण देने तक की व्यवस्थाएं हैं। मध्यप्रदेश के संदर्भ में एक आंकड़े के अनुसार, लगभग 37 लाख शिक्षित बेरोजगार हैं। हालाँकि सबको बेरोजगार कहना उचित नहीं होगा क्योंकि इनमें से बड़ी संख्या ऐसे युवाओं की है, जो अभी भी उच्चतम शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और ऐसे भी युवा इसमें शामिल हो सकते हैं, जो अपने वर्तमान काम से संतुष्ट नहीं होंगे। कुल मिलाकर कहना होगा कि प्रदेश सरकार के सामने बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार दिलाने या उन्हें रोजगार का सृजन करने के लिए दक्ष करने की महती जिम्मेदारी है। संतोषजनक बात यह है कि अपनी जिम्मेदारी को भली प्रकार समझकर, युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, सरकार ने ठीक दिशा में ठोस कदम उठाना शुरू कर दिया है।
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