भारतीय क्रिकेट टीम ने दक्षिण अफ्रीका को टी 20 विश्व कप के निर्णायक मुकाबले में परास्त करके 11 वर्ष की प्रतीक्षा को समाप्त किया है। भारत की इस जीत में कई संदेश छिपे हैं। विश्व कप में भारतीय टीम एकजुटता के साथ खेली। सबने अपनी भूमिका का निर्वहन ठीक से किया। जब जिसकी आवश्यकता लगी, उस खिलाड़ी ने अपना बेहतर प्रदर्शन किया। भारत की टीम में गजब का संतुलन था। बल्लेबाज़ी के साथ गेंदबाज़ी में भी हमने जबरदस्त प्रदर्शन किया। भारत उस दौर को पीछे छोड़कर आगे आ चुका है, जब पूरी टीम किसी एक खिलाड़ी के प्रदर्शन पर निर्भर करती थी। हार–जीत का सारा दारोमदार उसी एक सितारा खिलाड़ी के कंधों पर रहता था। याद रहे कि किसी भी टीम के लिए बड़े टूर्नामेंट में एकजुट होकर खेलना काफी महत्वपूर्ण होता है। जब टीम एकजुट होकर खेलती है तो उसकी सफलता का प्रतिशत बढ़ जाता है। भारतीय टीम ने वनडे विश्व कप के बाद इस बार टी20 विश्व कप में भी एक इकाई के रूप में बेहतर प्रदर्शन किया। जब शीर्ष क्रम टीम को अच्छी शुरुआत दिलाने में नाकाम रहा तो सूर्यकुमार यादव, हार्दिक पांड्या, शिवम दुबे, ऋषभ पंत में से किसी एक दो खिलाड़ियों की अगुआई में मध्य क्रम के बल्लेबाजों ने मोर्चा संभाला। वहीं, जब गेंदबाजों पर जिम्मेदारी आयी तो उन्होंने भी एकजुट होकर प्रतिद्वंद्वी टीम पर प्रहार किया। याद हो, पाकिस्तान के खिलाफ जब बल्लेबाजी आक्रमण विफल हुआ तो गेंदबाजों ने प्रभावी प्रदर्शन कर टीम को जीत दिलाई। उस जीत के साथ ही भारतीय टीम ने अपने इरादे जाहिर कर दिए थे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सुपर आठ चरण और इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में भारतीय टीम पूरी तरह एकजुट दिखी और हर खिलाड़ी एक दूसरे की सफलता का जश्न मनाता दिखा। फाइनल मुकाबले में भी भारतीय टीम ने इसी प्रकार एकजुट होकर प्रदर्शन किया। फाइनल में भारत की बैटिंग और बॉलिंग, दोनों में एक वक्त ऐसा आया था जब लगा कि मैच भारत के हाथ से निकल जाएगा। हालांकि, पहले बल्लेबाजी में विराट कोहली का साथ दिया अक्षर पटेल ने और जब बारी गेंदबाजी की आई तो भारत के तेज गेंदबाजों ने कमाल की गेंदबाजी की और दक्षिण अफ्रीका के जबड़े से जीत छीन ली। क्रिकेट खेल ही एक टीम का है, जिसमें व्यक्तिगत प्रदर्शन नहीं, बल्कि जीत में पूरी टीम का योगदान होता है। हालांकि, विश्व कप जैसे टूर्नामेंट में हर टीम में कुछ ऐसे खिलाड़ी होते हैं जो अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित करते हैं।
भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए टी20 विश्व कप के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को हराकर 11 साल का सूखा समाप्त किया। रोहित शर्मा की अगुआई वाली टीम का प्रदर्शन इस टूर्नामेंट में दमदार रहा और टीम ने ग्रुप चरण से लेकर फाइनल तक अपना लोहा मनवाया। पूरी प्रतियोगिता में भारतीय टीम ने एक भी मुकाबला गंवाया नहीं। उसने सभी मुकाबलों में जीत दर्ज की। दक्षिण अफ्रीका भी अपने सभी मुकाबले जीतकर फाइनल मुकाबले में पहुंची थी। इसलिए दो अविजित टीमों में जबरदस्त मुकाबला देखने को मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भारतीय टीम को बधाई देते समय इस बात का उल्लेख किया है कि यह विश्व कप इसलिए भी विशेष है क्योंकि हमारी टीम विश्व विजेता की तरह खेली। पूरी प्रतियोगिता में हम एक भी मैच नहीं हारे। याद हो जब एकदिवसीय श्रेणी के विश्व कप के निर्णायक मुक़ाबले में भारत की हार हुई थी तब प्रधानमंत्री मोदी अभिभावक की भांति अपने खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाने के लिए उनके बीच पहुंचे थे। तब उन्होंने खिलाड़ियों को कहा था कि आप लोग बहुत अच्छा खेले, अपना उत्साह बनाये रखिये, आगे हमें बड़ी जीत मिलेगी। इस जीत से यह भी संदेश मिलता है कि प्रबंधन यदि खिलाड़ियों को खुलकर खेलने और निर्णय लेने की स्वतंत्रता देता है तो उसका परिणाम दिखाई देता है। यह कहने में कोई संकोच नहीं कि भारतीय टीम के इस शानदार प्रदर्शन का सबसे बड़ा श्रेय रोहित शर्मा की कप्तानी को जाता है। उनके सभी फैसले कारगर साबित हुए हैं। टीम इंडिया के खिलाड़ियों का समर्थन करना और उन्हें अगले मैच के लिए प्रोत्साहित करना कप्तान का सबसे सराहनीय कार्य रहा है। दिलचस्प बात यह है कि रोहित की कप्तानी में भारत ने तीन आईसीसी प्रतियोगिताओं का फाइनल खेला है। इनमें विश्व टेस्ट चैंपियनशिप 2023, वनडे विश्व कप 2023 और टी20 विश्व कप 2024 शामिल है। विश्व कप की इस जीत के साथ भारतीय क्रिकेट टीम का नया अध्याय या कहें नए युग का शुभारंभ भी होता है। रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे वरिष्ठ और महानतम खिलाड़ियों ने शानदार जीत के साथ टी 20 क्रिकेट से संन्यास ले लिया है। अब भारतीय क्रिकेट दल की कमान नई पीढ़ी के हाथ में होगी।
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