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कहाँ जाए हिन्दू?

राजस्थान में पहले जोधपुर में और अब जैसलमेर में, पाकिस्तान से आए हिन्दू शरणार्थियों के घरों पर प्रशासन ने बुलडोजर चला दिया है। इस तपती गर्मी में बेचारे पीिड़त हिन्दू कहाँ जाएं? राजस्थान की कांग्रेस सरकार के पास इसका कोई जवाब नहीं है कि वहाँ का प्रशासन बार-बार हिन्दुओं को निशाना क्यों बना रहा है? माना कि शरणार्थी हिन्दुओं ने सरकारी जमीन पर कच्चे आवास बना लिए थे, अतिक्रमण हटाना प्रशासन की जिम्मेदारी है लेकिन प्रशासन की यह भी जिम्मेदारी है कि ऐसी जानलेवा गर्मी में लोगों का सहारा बने। बेघर हुए हिन्दू अपनी महिलाओं और मासूम बच्चों को लेकर ऐसी गर्मी में कहाँ गुजारा करेंगे, इसकी चिंता सरकार ने की है या नहीं? दु:ख होता है यह देखकर कि एक ओर अवैध घुसपैठ करनेवाले मुसलमानों को हमारे राजनेता एवं राजनीतिक दल पूरा संरक्षण देते हैं, मतदाता पत्र से लेकर उनके अन्य पहचान पत्र बनाने में सहयोग करते हैं लेकिन पीड़ित हिन्दुओं की सहायता के लिए यह मुंह भी नहीं खोलते है। आपराधिक लोगों के अतिक्रमण पर जब बुलडोजर चलता है, तब उस पर ऐसा वितंडावाद किया जाता है लेकिन यहाँ जब पीड़ित और लाचार हिन्दुओं को उजाड़ा जा रहा है, तब ये सेकुलर ताकतें चुप्पी साधकर बैठ गई हैं। अपराधियों के प्रति पीड़ा लेकिन कष्ट में जी रहे हिन्दुओं के लिए संवेदना के दो शब्द भी नहीं? किसी कांग्रेस सरकार और किसी टीना डाबी में हिम्मत है, जो बांग्लादेशी एवं रोहिंग्या घुसपैठियों के अतिक्रमणों पर बुलडोजर चला सके? देश में लाखों की संख्या में अवैध घुसपैठिये हैं, जिनकी पहचान करने की बात आती है तब सभी सेकुलर ताकतें विरोध करती हैं। राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन (एनआरसी) का विरोध इसी कांग्रेस ने भी किया है, जिसके कार्यकाल में राजस्थान में शरणार्थी हिन्दुओं को परेशान किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि इसी मानसिकता को देखकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर मोदी सरकार ने पड़ोसी देशों से आनेवाले हिन्दुओं सहित अन्य अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने के लिए ‘नागरिकता संशोधन कानून’ बनाया था, जिसका देशभर में विरोध किया गया। कट्टरपंथी इस्लामिक समूहों द्वारा किए गए उस विरोध प्रदर्शन को विपक्षी दलों का भी प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष समर्थन प्राप्त था। एक ओर मोदी सरकार की सोच है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान में होनेवाले अत्याचारों से परेशान होकर भारत आनेवाला हिन्दू एवं जैन, सिख और बौद्ध सहित अन्य अल्पसंख्यक समुदाय यहाँ की नागरिकता लेकर स्वाभिमान के साथ जीवन जीयें लेकिन प्रमुख विपक्षी दलों की मंशा क्या है, यह ऐसी घटनाओं से स्पष्ट हो जाता है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि पाकिस्तान में हिन्दुओं पर किस हद तक अत्याचार किया जाता है। पाकिस्तान में सरकार की सरपरस्ती में जेहादी ताकतें ने हिन्दुओं का जीना मुहाल कर दिया है। अपना स्वाभिमान बचाने के लिए मजबूरी में हिन्दू अपना घर-व्यापार छोड़कर भारत में एक विश्वास के साथ आते हैं कि वे यहाँ शांति से अपना गुजारा कर लेंगे। यदि यहाँ भी उनको सहारा नहीं मिलेगा, तब अपना दु:ख लेकर हिन्दू कहाँ जाएंगे? हमारे सेकुलर नेता, बुद्धिजीवी एवं अधिकारी वर्ग उत्पाती रोहिंग्याओं के प्रति तो अथाह संवेदनाएं रखता है लेकिन शांतिप्रिय हिन्दू के लिए उनके मन में किसी प्रकार का दयाभाव दिखायी नहीं देता है। सोचिए, यदि इसी प्रकार की घटना उत्तरप्रदेश या मध्यप्रदेश में मुस्लिम समुदायों के परिवारों के साथ हो गई होती, तब किस प्रकार का वितंडावाद खड़ा किया जाता। इस एक अंतर से सेकुलर बिरादरी की पाखंडी मानसिकता उजागर हो जाती है।

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