कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी जब भी विदेश दौरे पर जाते हैं, कुछ न कुछ ऐसी बातें कह देते हैं, जो भारत की प्रतिष्ठा के अनुकूल नहीं होती हैं। इस बार अमेरिका की यात्रा पर उन्होंने उस झूठे विमर्श को हवा दी है, जिसमें कहा जाता है कि भारत में अल्पसंख्यकों पर हमले किए जा रहे हैं। भारत विरोधी जितनी भी राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं हैं, यह उनका खड़ा किया हुआ विमर्श है कि भारत में अल्पसंख्यक समुदाय अनेक प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। जबकि वास्तविकता ठीक इसके उलट है। भारत के पड़ोस में एक ओर चीन है, जहाँ चीन की कम्युनिस्ट सरकार खुलकर इस्लाम का चीनीकरण कर रही है। मस्जिदों के वास्तु को बदला जा रहा है। इसके साथ और भी अनेक प्रकार की पाबंधियां सरकार की ओर से लगाई जा रही हैं। वहीं, दूसरी ओर पाकिस्तान हैं, जहाँ हिन्दुओं का जीना मुहाल है। हिन्दुओं की बहू-बेटियों का अपहरण किया जा रहा है, जबरन कन्वर्जन की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है, अपनी धार्मिक क्रियाओं का खुलकर पालन करना मुश्किल हो गया है। पाकिस्तान में हिन्दुओं की जनसंख्या का मूल्यांकन करें, तो ध्यान आता है कि वहाँ लगातार हिन्दुओं की संख्या कम होती गई है। इसको कहते हैं, अल्पसंख्यकों पर अत्याचार। चीन के मुसलमानों और पाकिस्तान के हिन्दुओं पर कोई चिंता व्यक्त नहीं करता। राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने तो पाकिस्तान से पीड़ित होकर भारत में शरण लेनेवाले हिन्दुओं के घरों पर ही बुलडोजर चलावा दिया। स्मरण रखें कि भारत में मुस्लिम जनसंख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। मुस्लिम समुदाय के लोगों की जीवनशैली में भी गुणात्मक सुधार हुआ है। केन्द्र और राज्य सरकारों की योजनाओं का भरपूर लाभ मुस्लिम समुदाय को मिल रहा है। इतना ही, भारत का मुस्लिम समुदाय खुलकर बोल रहा है, अड़कर धरना-प्रदर्शन भी कर रहा है। शाहीन बाग से लेकर देशभर में अनेक स्थानों पर हुए धरना-प्रदर्शनों को कौन भूला होगा? यदि मुसलमानों पर हमले हो रहे होते तब क्या वे देश की राजधानी दिल्ली में महीनों तक मुख्य सड़क मार्ग को घेर कर बैठ पाते? इसके उलट एक और तस्वीर है, जिसको कोई देखना और दिखाना नहीं चाहता है। इस्लाम की आलोचना के नाम पर मुस्लिम समुदाय के कट्टरपंथी धड़ों ने कई हिन्दुओं एवं अन्य गैर-मुस्लिमों की हत्याएं की हैं। मुस्लिम समुदाय के कई युवक लव जेहाद की घटनाओं में लिप्त हैं। आए दिन देश के किसी न किसी कोने से समाचार आता है कि हिन्दू नाम रखकर मुस्लिम युवक ने किसी साक्षी को फंसाया और बाद में उसको कन्वर्ट कर दिया या फिर नृशंस ढंग से उसकी हत्या कर दी। कांग्रेस के प्रमुख नेता राहुल गांधी को बताना चाहिए कि क्या एक डरे हुए समुदाय के लोग इस प्रकार की खौफनाक घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार का विरोध करने में कांग्रेस के प्रमुख नेता इतने खो गए हैं कि भारत की गलत छवि विदेशी मंचों से प्रस्तुत करने लगे हैं। विदेश में जाकर भारत के नेताओं को अपने देश की छवि को मजबूत करना चाहिए, लेकिन राहुल गांधी हर बार उल्टा करते हुए दिखायी देते हैं। मोदी विरोध में इस बार राहुल गांधी अपनी ही पार्टी और पूर्ववर्ती शीर्ष नेतृत्व को कटघरे में खड़ा कर बैठे। एक प्रश्न के उत्तर में राहुल गांधी ने कहा कि “आज मुस्लिमों के साथ जो हो रहा है, वह वैसा ही है जैसा उत्तरप्रदेश में 1980 के दशक में दलितों के साथ हुआ”। इसका अर्थ यही हुआ कि राहुल गांधी मानते हैं कि कांग्रेस के शासनकाल में दलितों पर अत्याचार और हमले होते थे क्योंकि उस समय उत्तरप्रदेश और केंद्र में भी कांग्रेस की ही सत्ता थी। राहुल गांधी का यह बयान कांग्रेस की परेशानी का सबब बन सकता है। दरअसल, जब दृष्टि स्पष्ट न हो, केवल वर्तमान सरकार पर हमला करना ही उद्देश्य हो, तब ऐसी गलतियां होती ही हैं। राहुल गांधी यह सुझाव शायद ही स्वीकार करें कि उन्हें विदेश में जाकर भारत के संदर्भ में नकारात्मक बातें करने की अपेक्षा भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए।
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