भारत की विदेश नीति पहले की अपेक्षा अधिक मुखर और स्पष्ट हो गई है। दरअसल, विदेश मंत्री के नाते भारत को डॉ. एस. जयशंकर जैसा हाजिर जवाब राजनेता मिला है। वे पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की खींची लकीर को बखूबी आगे बढ़ा रहे हैं। वर्तमान समय में भारत की विदेश नीति इसलिए भी प्रभावशाली है क्योंकि उसके पीछे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मेहनत है। प्रधानमंत्री मोदी ने विभिन्न देशों के साथ व्यक्तिगत स्तर पर जाकर संबंध विकसित किए हैं। बहरहाल, भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने जर्मनी के म्यूनिख में रूस से तेल खरीदने के सवाल का जवाब जिस ढंग से दिया, उससे भारत के विदेश मंत्री और विदेश नीति एक बार फिर चर्चा में है। यहाँ तक कि भारत के विदेश मंत्री के बयान की चर्चा पाकिस्तान तक में हो रही है। पाकिस्तान के नेता एवं पत्रकार कह रहे हैं कि भारत की विदेश नीति जितनी स्पष्ट है, पाकिस्तान में वैसी कल्पना भी नहीं की जा सकती। जर्मनी के म्यूनिख सम्मेलन में विदेश मंत्री जयशंकर ने स्पष्ट कहा कि “भारत के पास तेल खरीदने के कई और स्रोत भी हैं, रूस उनमें से एक है। हम स्मार्ट हैं और हमारे पास कहीं विकल्प है। आपको तो हमारी प्रशंसा करनी चाहिए”। कूटनीति में ऐसे बयानों का मतलब यह है कि भारत और रूस के बीच दशकों पुरानी दोस्ती है। यह आगे भी इसी तरह से चलते रहेगी। यानी भारत ने अपना प्रभाव बढ़ने के साथ अपने पुराने दोस्तों को छोड़ा नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत नये दोस्त बना रहा है लेकिन नये दोस्तों की कीमत पर पुराने दोस्तों से दूर नहीं हो रहा अपितु पुरानी मित्रता को प्रगाढ़ ही कर रहा है। स्मरण रखें कि म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर चर्चा के लिए दुनिया का अग्रणी मंच है। उल्लेखनीय है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रारंभ में ही यूरोप के अनेक देशों ने भारत पर दबाव बनाया था कि वह रूस से तेल खरीदना बंद कर दे लेकिन उस कठिन समय में भी भारत ने किसी दबाव में आए बगैर रूस के साथ अपने संबंध यथावत रखे। उस समय भी भारत ने उन देशों को आईना दिखाया जो स्वयं तो रूस से तेल खरीद रहे थे लेकिन वे चाहते थे कि भारत तेल खरीदना बंद कर दे। यह नये भारत की खूबी है कि वह दो ध्रुवों के बीच भी अपने महत्व को बनाए हुए है और दोनों ध्रुवों के साथ संतुलन बनाकर चल रहा है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दुनिया के मंच पर एक बार फिर साफ कर दिया कि भारत सरकार अपने निर्णय बिना किसी दबाव में लेता रहेगा। भारत अपनी कूटनीतिक स्वतंत्रता को बनाए रखेगा। यानी भारत हरेक देश के साथ अलग-अलग और बराबरी का संबंध रखेगा और किसी गुटबाजी का असर अपने संबंधों पर नहीं पड़ने देगा। भारत की स्मार्ट कूटनीति को आप इस तरह से समझ सकते हैं। अमेरिका और दोनों से भारत के नजदीकी संबंध है। दोनों देशों के राष्ट्रीय अध्यक्षों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा दुनिया के किसी देश के साथ दोनों महाशक्तियों की ऐसी दोस्ती नहीं है। बहरहाल, भारत की विदेश नीति का डंका दुनिया में बज रहा है। यह भारत के नागरिकों के गौरव को बढ़ाता है।
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