कांग्रेस सहित कई विपक्षी राजनीतिक दलों की ओर से अकसर यह कहा जाता है कि भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आई तो संविधान बदल देंगी। भाजपा और आरएसएस संविधान विरोधी हैं। हालांकि भाजपा पिछले दस वर्ष से सत्ता में और पहले भी केंद्र सरकार भाजपानीत गठबंधन की रही है, लेकिन आज तक संविधान, आरक्षण और अन्य संसदीय व्यवस्थाएं अक्षुण्य हैं। सत्य तो यह है कि भाजपा और आरएसएस ने देश के संविधान की रक्षा के लिए संघर्ष किया है। जिस समय जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस ने देश के संविधान से ऊपर ‘दो निशान, दो संविधान और दो प्रधान’ की व्यवस्था को स्वीकार कर लिया था, तब भाजपा और आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने भारतीय संविधान की रक्षा के लिए न केवल संघर्ष किया अपितु बलिदान भी दिया। यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं कि ‘वे आएंगे तो संविधान बदल देंगे’ एक राजनीतिक जुमला है क्योंकि कोई भी राजनीतिक दल संविधान को पूरी तरह नहीं बदल सकता। संसदीय व्यवस्था में संविधान में काल सुसंगत संशोधन तो संभव है लेकिन संविधान को हटाकर उसके स्थान पर कोई और व्यवस्था लागू करना संभव नहीं है। संविधान संशोधन तो उसके जन्म के साथ ही प्रारंभ हो गए थे। सर्वाधिक संशोधन कांग्रेस की सरकारों के कार्यकाल में हुए हैं। यहाँ तक कि संविधान की आत्मा कही जानेवाली ‘प्रस्तावना’ में ही ऐसे शब्दों को शामिल कर दिया गया, जिन्हें डॉ. भीमराव अंबेडकर और संविधान सभा समिति खारिज कर चुकी थी। देश को आपातकाल के गहरे अंधेरे में धकेल कर संविधान की प्रस्तावना में बदलने का यह कार्य कांग्रेस की सरकार ने किया। इसलिए जब कांग्रेस कहती है कि भाजपा एक बार फिर सत्ता में आएगी तो संविधान बदल देगी, तब कांग्रेस को अपने गिरेबां में झांकने की ही सलाह दी जा सकती है। इसी तरह कांग्रेस जब यह कहती है कि वह लोकतंत्र और संविधान की रक्षा की लड़ाई लड़ रही है, तब भी देश की जनता को उसके कथन पर विश्वास नहीं होता है क्योंकि कांग्रेस की राजनीति का एक लंबा इतिहास है, जो लोगों के ध्यान में रहता है। अच्छी बात है कि भाजपा ने इस तरह के खोखले आरोपों पर कांग्रेस को आईना दिखाने साथ ही जनता से संवाद प्रारंभ कर दिया है। अकसर देखने में आता है कि चुप रह जाने पर कई बार बहुत बड़ी संख्या में लोग उन आरोपों को सच मानने लगते हैं। राजनीतिक दल एवं उनके समर्थक बुद्धिजीवी इसी का लाभ उठाते हैं। भाजपा की ओर से स्पष्ट कहा जा रहा है कि जब तक उनकी सरकार है तब तक न तो संविधान को बदला जा सकता है और न ही आरक्षण को समाप्त होने दिया जा सकता। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तो छत्तीसगढ़ से कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए यह भी कहा कि “मैंने टीवी पर देखा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा था कि मोदी संविधान बदल देंगे और उनके दूसरे नेता कहते हैं कि मोदी आरक्षण खत्म कर देंगे। मैं छत्तीसगढ़ की जनता से कहने आया हूं कि जब तक भाजपा राजनीति में है तब तक न तो संविधान बदला जा सकता और न ही आरक्षण को कुछ होने दिया जाएगा। भाजपा का संकल्प है कि वह कांग्रेस को भी संविधान नहीं बदलने देगी और न ही आरक्षण समाप्त करने दगी। स्मरण रखें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक भी अनेक अवसरों पर दोहरा चुके हैं कि अपने राष्ट्र और राष्ट्रीय प्रतीकों के प्रति संघ की पूर्ण निष्ठा एवं सम्मान है। संघ, भारत की शक्ति का केंद्र संविधान को ही मानता है। लेकिन इस सबके बाद भी कुछ राजनीतिक दल एवं नेता इस प्रकार के हैं, जो वर्षों से इस जुमले की जुगाली करते आ रहे हैं। स्वस्थ राजनीति की दृष्टि से विपक्षी दलों को इस प्रकार के आरोपों से बचना चाहिए क्योंकि ये शुद्ध रूप से काल्पनिकहैं।
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