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नववर्ष पर लें भारतीयता के पोषण का संकल्प

आज (चैत्र, शुक्ल पक्ष, प्रतिपदा) से भारतीय नववर्ष (विक्रम संवत-2081) प्रारंभ हो रहा है। पिछले कुछ वर्षों में देश में ‘स्व’ भाव का जागरण हुआ है। जिसके कारण अब भारत के नववर्ष को लेकर वैसी अज्ञानता या कौतूहल नहीं है, जैसा कि अब से 10-15 वर्ष पहले हुआ करता था। यह स्वबोध अब समाज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में दिखायी दे रहा है। आज भारत का समाज और सत्ता, दोनों ही अपने ‘स्व’ को लेकर सजग है। हम कह सकते हैं कि आधुनिकता के साथ कदमताल करने के साथ-साथ हम अपनी जड़ों से भी जुड़ रहे हैं। या कहें कि अपनी नींव को मजबूत कर रहे हैं। अपने भौतिक विकास को सांस्कृतिक आधार दे रहे हैं। देशभर में बने राष्ट्रत्व के वातावरण का प्रभाव है कि युवा पीढ़ी ने अपने संस्कृति की पताका थामने का उपक्रम शुरू किया है। ‘भारत के विचार’ को आगे लेकर आने की उत्कंठ आकांक्षा उनके भीतर हिलोरे ले रही है। अब वह मुखर होकर अपनी परंपराओं को अभिव्यक्त करता है। आज दुनिया में जहाँ भी भारतीय हैं, वे भारत की संस्कृति के प्रतिनिधि दूत बन गए हैं। दुनिया ने एक बार फिर भारत को उसके वास्तविक रूप में देखना प्रारंभ किया है। मानवतावादी, पर्यावरण हितैषी, संस्कृति-सभ्यता को शिरोमणि और वैश्विक शक्ति के रूप में भारत की साख पुन: स्थापित हो रही है। भारत ने एक बार फिर ‘वसुधैव कुटुम्बकम के अपने विचार के प्रति सबको आकर्षित किया। यह सब संभव इसलिए हो रहा है क्योंकि राष्ट्रीय विचार के महानुभावों ने एक संकल्प लेकर अपने सांस्कृतिक आधार को मजबूत किया। भारत की हिन्दू पहचान पर जब सब ओर से चोट की जा रही थी, तब राष्ट्रीय विचार के अगुआ डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने कहा कि ‘भारत हिन्दू राष्ट्र है’। संयोग है कि आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक सरसंघचालक डॉ. हेडगेवार की भी जयंती है। यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं कि भारत में आज जो राष्ट्रीय वातावरण दिखायी दे रहा है, उसके पीछे संघ के तपस्वी कार्यकर्ताओं का समर्पण है। भारत के प्रति आस्था रखनेवाले प्रत्येक व्यक्ति को नववर्ष के शुभ अवसर पर भारतीयता का पोषण करने का संकल्प लेना चाहिए। याद रखें कि भारत का मूल विचार ही भारत की ताकत है। भारत का मूल विचार पुष्ट होगा, तब न केवल भारत का सामर्थ्य बढ़ेगा अपितु अन्य सब का संरक्षण भी हो सकेगा। क्योंकि भारत का विचार सबको साथ लेकर चलने में विश्वास करता है। भारत के लोगों के सामने अभी लोकसभा चुनाव के रूप में एक अवसर आ रहा है, जब वे भारत के विचार को पुष्ट करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकते हैं। भारत के भविष्य की दृष्टि से यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। इस चुनाव में केवल भारतीय राजनीतिक दल ही मैदान में नहीं हैं, अपितु देश के बाहर की ताकतें भी अपना हस्तक्षेप कर रही हैं। वैश्विक स्तर पर भारत की बढ़ती साख से वैश्विक शक्तियों में बेचैनी है। उनकी चिंता यह भी है कि भारत में राष्ट्रीय विचार क्यों पुष्ट हो रहा है? भारत यदि अपने ‘स्व’ से जुड़ेगा, तब उनके आर्थिक और वैचारिक हित प्रभावित होंगे। ये ताकतें किसी भी प्रकार से भारत को उसके ‘स्व’ से दूर रखना चाहती हैं और अपने फैलाए भ्रमजाल में उलझाए रखना चाहती हैं। जैसा कि हाल ही में अनेक रिपोर्ट्स आई हैं, जिनसे संकेत मिलता है कि लोकसभा चुनाव में वैश्विक शक्तियों राष्ट्रीय विचारधारा को रोकने के लिए एआई तक का उपयोग कर सकती हैं। ऐसे में भारतीयों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वे समझदारी दिखाते हुए वैश्विक शक्तियों के विमर्श से बचें और राष्ट्र हित का चुनाव करें। जागरूक मतदाता अपने एक वोट से भारत विरोधी ताकतों को असफल कर सकता है। इसलिए नववर्ष के प्रसंग पर यह भी संकल्प करें कि लोकतंत्र के महाउत्सव में हम न केवल अपनी आहूति देंगे अपितु अपने आसपास के सभी लोगों को मतदान के लिए प्रेरित करेंगे।

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