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ईवीएम पर फिर कुतर्क

भारत से हजारों किलोमीटर दूर बैठे स्पेस एक्स के मालिक एलन मस्क के एक ट्वीट के कारण ‘ईवीएम’ को लेकर फिर बहस प्रारंभ हो गई है। लोकसभा चुनाव परिणाम में भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने और कांग्रेस को पहले से अधिक सीटें प्राप्त होने से कुछ दिन के लिए ईवीएम पर हमला टल गया था लेकिन एलन मस्क ने कांग्रेस एवं विपक्षी नेताओं को एक बार फिर ईवीएम पर अपनी भड़ास निकालने का अवसर दे दिया है। चुनाव आयोग से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक ईवीएम को विश्वसनीय सिद्ध कर चुके हैं इसके बाद भी ईवीएम पर सवाल उठाना क्या दर्शाता है? ईवीएम पर सवाल उठानेवालों को चुनाव आयोग में विश्वास नहीं है। ये लोग देश के सर्वोच्च न्यायालय पर भी विश्वास नहीं करते हैं। ये लोग भारतीय संविधान के विरुद्ध समाज में अवैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देते हैं। एलन मस्क ने अमेरिका के चुनाव के संदर्भ में जिस ईवीएम को लेकर टिप्पणी की थी, संभव है कि उसमें कोई कमी हो। किंतु भारत की ईवीएम किसी भी प्रकार से बाहर की किसी डिवाइस से जोड़ी नहीं जा सकती है। चुनाव आयोग पूर्व में ईवीएम को हैक करके दिखाने की खुली चुनौती दे चुका है लेकिन बड़बोले नेताओं में से किसी ने हिम्मत नहीं की। भारत के चुनाव आयोग एवं ईवीएम को संदेह के घेरे में धकेलने के लिए एक फर्जी समाचार का भी उपयोग किया गया, जिसको आधार बनाकर कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मुंबई में एनडीए के एक प्रत्याशी के सहयोगी का मोबाइल फोन ईवीएम से जुड़ा था। चुनाव आयोग की ओर से इसका खंडन किया गया और फर्जी समाचार प्रकाशित करनेवाले अंग्रेजी समाचारपत्र को मानहानि का नोटिश भी भेजा गया है। जिसके बाद उस समाचारपत्र ने अपनी गलती मानते हुए खंडन भी प्रकाशित किया है। क्या इसके बाद अब उस फर्जी समाचार को साझा करने के लिए कांग्रेस एवं अन्य लोग माफी माँगेंगे कि उन्होंने तथ्यों को जाने बिना ही समाज को भ्रमित करने का कार्य किया। जो भी लोग इस झूठ में विश्वास करते हैं कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है, उन्हें इन प्रश्नों के उत्तर अवश्य देना चाहिए। यदि ईवीएम हैक हो सकती हैं, तब भाजपा 400 पार क्यों नहीं पहुँची। 400 पार छोड़िए भाजपा को 272 सीटें भी क्यों नहीं मिलीं? कांग्रेस 99 सीटें कैसे जीत गई? अमेठी और रायबरेली में, जहाँ कांग्रेस को हराने के लिए भाजपा ने बहुत जोर लगाया, वहाँ से कांग्रेस कैसे जीत गई? उत्तरप्रदेश में भाजपा को भारी नुकसान क्यों उठाना पड़ा? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनके उत्तर अपने आप ही कहते हैं कि ईवीएम को हैक करने के दावे न केवल फर्जी हैं अपितु यह समाज में अवैज्ञानिक सोच को भी बढ़ावा देते हैं। यदि कांग्रेस को अब भी लगता है कि ईवीएम हैक हो सकती है तो उसे एलन मस्क से अनुरोध करना चाहिए कि वह भारतीय ईवीएम को हैक करके यह साबित कर दे। अन्यथा ईवीएम पर प्रलाप बंद होना चाहिए। पहली बार 1982 में ईवीएम का इस्तेमाल होना शुरू हुआ था, तब से अब तक करीब 42 साल हो चुके हैं। इस दौरान ईवीएम को कम से कम 42 बार अग्निपरीक्षा भी देनी पड़ी। कांग्रेस के पंसदीदा चुनाव आयोग भी हैकिंग के आरोपों को सिरे से खारिज कर चुके हैं। इसके बाद भी बार-बार ऐसे आरोपों या सवालों से संवैधानिक संस्थाएं कमजोर होती हैं। इसलिए अब यह रुकना चाहिए। एक बात तय है कि देश अब बैलेट पेपर से चुनाव कराने के लिए पीछे नहीं लौट सकता है।

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