Home » हिन्दू त्योहारों पर पत्थरबाजी के पीछे गहरी साजिश के संकेत

हिन्दू त्योहारों पर पत्थरबाजी के पीछे गहरी साजिश के संकेत

यह पहली बार नहीं है जब श्रीरामनवमी के अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों में शोभायात्राओं पर पत्थरबाजी सहित हिंसक हमले किए गए। मुस्लिम संप्रदाय के कट्‌टरपंथी तत्वों की ओर से इस प्रकार की घटनाओं को लंबे समय से अंजाम दिया जा रहा है। पिछले ही वर्ष की बात करें तो श्रीरामनवमी 10 अप्रैल को पड़ी थी। तब भी छह राज्यों- गुजरात, झारखंड, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और गोवा में हिंसा, पथराव की घटनाएं दर्ज की गई थीं। यही नहीं, इसके कुछ ही दिन बाद श्रीहनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर भी दस राज्यों से हिंसा की खबरें कई दिनों तक आती रही थीं। इन घटनाओं का विश्लेषण करें तो स्पष्टत: हिन्दू पर्व-त्योहार पर सांप्रदायिक हिंसा और तनाव के पीछे एक गहरी साजिश नजर आती है। अन्यथा एक ही समय में देश के विभिन्न स्थानों पर हिन्दुओं पर हमला किया जाना, सामान्य बात नहीं है। केंद्र सरकार के सुरक्षा एजेंसियों को अधिक चौकस होकर इन हिंसक घटनाओं की जाँच करनी चाहिए। पत्थरबाजी और हिंसा को सही ठहराने के लिए तर्क दिया जाता है कि शोभायात्रा उनके ‘इलाके’ से होकर क्यों निकाली गई? यह तर्क ही कट्‌टरपंथियों की मानसिकता को बखूबी बयान करता है। यह वही मानसिकता है, जिसने इस देश के दो टुकड़े-टुकड़े किए हैं। अलगाववादी एवं प्रभुत्ववादी मानसिकता के इस तर्क पर कोई प्रगतिशील सवाल नहीं उठाता बल्कि वे भी ऐसे तत्वों एवं मानसिकता का पक्ष लेते दिखायी देते हैं। क्या भारत में कुछ सड़कें, गलियां और मोहल्लों पर संप्रदाय विशेष ने अपना पट्‌टा करा लिया है? क्या संविधान और कानून उन्हें यह अधिकार देता है कि वे ये घोषणा करें कि यह उनका इलाका है और यहाँ से दूसरे धर्म के लोग अपनी शोभायात्रा नहीं निकाल सकेंगे? यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ राजनीतिक दल इस प्रकार की अलगाववादी, प्रभुत्ववादी एवं कट्टरपंथी सांप्रदायिक सोच का संरक्षण करते हैं। वोटबैंक की राजनीति के चक्कर में उपद्रवियों पर कार्रवाई करने की बजाय यह दल हिन्दुओं की शोभायात्राओं पर ही प्रश्न उठाते हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रामनवमी पर हुई पत्थरबाजी और उसके बाद हुई हिंसा पर जिस प्रकार की बयानबाजी की है, उससे स्पष्टत: पता चलता है कि उनके लिए हिन्दू दोयम दर्जे के नागरिक हैं। बिहार की स्थिति भी कमोबेश ऐसी ही है। वहाँ भी जब से नीतीश कुमार भाजपा से अलग होकर राजद के साथ गए हैं, तब से वहाँ भी असामाजिक तत्व बेखौफ हैं। पश्चिम बंगाल और बिहार के अलावा भाजपा शासित राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, उत्तरप्रदेश और कर्नाटक में ही हिंसक घटनाएं हुईं लेकिन अंतर यह है कि भाजपा सरकारों ने जहाँ उपद्रवियों की नाक में नकेल डाल दी, वहीं पश्चिम बंगाल और बिहार में सांप्रदायिक तत्वों का संरक्षण किया गया। भाजपा शासित राज्यों में जहाँ छुट-पुट हिंसा के बाद मामला अब शांत है क्योंकि वहाँ कानून ने अपना काम किया परंतु पश्चिम बंगाल और बिहार के कई हिस्सों में श्रीरामनवमी से लेकर अभी तक हिंसा जारी है अपितु अनेक स्थानों पर तो मुस्लिम कट्‌टरपंथी तत्वों ने हिन्दुओं के प्रति हिंसा और तीव्र की है। राज्यों में कानून व्यवस्था को बनाए रखना एवं उसका पालन कराना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। ऐसे में गैर-भाजपा शासित सरकारों को उत्तरप्रदेश सहित भाजपा शासित अन्य राज्यों की सरकारों से सीखना चाहिए। सरकारों को समझना चाहिए कि वोटबैंक का तुष्टीकरण करने से अधिक आवश्यक है सामाजिक सद्भाव को बनाए रखना और भयमुक्त वातावरण बनाना। हिन्दुओं के पर्व-त्योहारों पर होनेवाली सांप्रदायिक हिंसा हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के बीच खायी को गहरा करती है। इससे समाज में तनाव एवं द्वेष पैदा होता है, जो किसी के लिए भी हितकर नहीं है। राज्य सरकारें कानून व्यवस्था को ठीक रखें तब किसी उपद्रवी की हिम्मत नहीं होगी कि उसके हाथ हिंसा के लिए आगे बढ़ें।

Swadesh Bhopal group of newspapers has its editions from Bhopal, Raipur, Bilaspur, Jabalpur and Sagar in madhya pradesh (India). Swadesh.in is news portal and web TV.

@2023 – All Right Reserved. Designed and Developed by Sortd