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महिला सांसद के साथ मारपीट पर शर्मनाक चुप्पी

राज्यसभा सांसद स्वाती मालीवाल के साथ मारपीट के मामले में आम आदमी पार्टी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके निजी सचिव विभव कुमार बुरी तरह घिर गए हैं। अपने साथ हुई अभद्रता और पिटाई के मामले में अब तक चुप स्वाती मालीवाल ने भी खुलकर बता दिया है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल के घर पर उनके साथ क्या-क्या हुआ? विभव कुमार के विरुद्ध दर्ज कराए गए प्रकरण में स्वाती मालीवाल ने जो कुछ बताया है, वह बहुत ही दर्दनाक है। एक महिला के साथ इस प्रकार की घिनौनी हरकत पर भी मुख्यमंत्री केजरीवाल अब तक चुप हैं, इससे उनकी संवेदनहीनता उजागर होती है। दु:खद है कि एक दिन पहले आआपा के नेता एवं राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा था कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने इस मामले में संज्ञान लिया है और उन्होंने कड़ी कार्रवाई के लिए कहा है। वहीं, दूसरे दिन देश ने देखा कि अरविंद केजरीवाल महिला सांसद की पिटाई के आरोपी विभव कुमार को साथ में लेकर घूम रहे हैं। इस स्थिति में क्या वे न्यायोचित कार्रवाई करा पाएंगे? बीते दिन प्रेसवार्ता में जब केजरीवाल से इस संबंध में प्रश्न पूछा गया तो उन्होंने माइक समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव की ओर कर दिया। इससे अधिक संवेदनहीनता क्या होगी? वैसे भी मामला उनकी पार्टी से संबंधित है, उनके निजी सचिव पर आरोप हैं और सारा घटनाक्रम उनके घर में घटा, ऐसे में अखिलेश यादव कैसे उस प्रश्न का उत्तर दे सकते थे? क्या सोच कर अरविंद केजरीवाल ने माइक अखिलेश यादव की ओर किया होगा? केजरीवाल के इस आचरण की घोर निंदा हुई। केजरीवाल का यह रवैया देखकर उनके समर्थक ही क्षुब्द नहीं हुए अपितु न्याय की उम्मीद कर रही स्वाती मालीवाल भी टूट गईं। संभवत: अपने साथ हुई अभ्रदता पर स्वाती मालीवाल ने अब तक इसलिए खामोशी ओढ़ ली थी क्योंकि उन्हें उच्च स्तर से विभव कुमार पर कार्रवाई का आश्वासन मिला होगा लेकिन जब उन्होंने देखा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल तो स्वयं ही आरोपी को साथ लेकर घूम रहे हैं और सवालों से कन्नी काट रहे हैं, तब ही उन्होंने पुलिस प्रकरण दर्ज कराने का निर्णय लिया होगा। अच्छा होता कि स्वाती मालीवाल पहले दिन ही पुलिस कार्रवाई के लिए जातीं। वे लंबे समय तक दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष रही हैं। उनसे यह उम्मीद नहीं की जाती कि वे यह उदाहरण प्रस्तुत करें कि महिलाओं के साथ हिंसा और अभ्रदता के मामले राजनीतिक समझौते से निपटाए जाएं। जबकि वे यह भी जानती हैं कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का आवास लोगों की पिटाई का अड्‌डा बन चुका है। इससे पूर्व प्रशासनिक अधिकारी के साथ भी वहाँ मारपीट का मामला हुआ था। इस पूरे प्रकरण में कांग्रेस सहित इंडी गठबंधन के साथियों और उनके समर्थक पत्रकार-लेखकों ने जिस प्रकार की शर्मनाक चुप्पी साध ली है, उससे भी महिलाओं के प्रति होनेवाले अपराध के प्रति इनकी संवेदनशीलता का पता चलता है। जरा सोचिए कि यही घटनाक्रम किसी भाजपा शासित राज्य के मुख्यमंत्री के आवास पर घटा होता, तब कांग्रेस से लेकर तथाकथित प्रगतिशील लेखक एवं यूट्यबूर पत्रकारों ने किस प्रकार का वातावरण बनाया होगा। इससे इन प्रगतिशील लेखकों एवं पत्रकारों का चरित्र भी उजागर होता है। बहरहाल, दिल्ली पुलिस को इस प्रकरण में तेज गति से कार्रवाई करनी चाहिए ताकि दोषियों पर ठीक समय पर कार्रवाई हो सके।

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