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चहुँओर राम का नाम

भारत की सांस्कृतिक राजधानी श्री अयोध्याधाम आज फिर से ऐतिहासिक प्रसंग की साक्षी बनेगी। यह प्रसंग होगा भगवान रामलला के प्रकटोत्सव का। लगभग 500 वर्षों के लंबे संघर्ष एवं अनेक रामभक्तों के बलिदान का सुफल हमें जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के रूप में प्राप्त हुआ है। यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि देश में भाजपा की सरकार थी, इसलिए बहुत तेज गति और भव्यता के साथ मंदिर निर्माण का सम्पन्न हुआ। अन्यथा इतने वर्षों तक मंदिर निर्माण के मामले को अटकाने-भटकाने का ही प्रयास किया गया। चूँकि भाजपा वर्षों से मंदिर निर्माण के संकल्प को अपने घोषणा-पत्र का हिस्सा बनाती रही है। इसलिए मंदिर निर्माण का श्रेय भी उसे मिलना स्वाभाविक है। वैसे भी देश का बच्चा-बच्चा यह बात जानता है कि राम मंदिर निर्माण के लिए भाजपा ने न केवल आंदोलन किया अपितु सदैव मुखर होकर इस मुद्दे को उठाया है। इसलिए चाहकर भी कोई राम मंदिर निर्माण में भाजपा एवं राष्ट्रीय विचार के संगठनों की भूमिका को नकार नहीं सकता। राम मंदिर में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के समय भी यह तथ्य सबके सामने आ गया। जिनकी आस्था राम में थी, वे उत्साहित होकर प्राण प्रतिष्ठा उत्सव में शामिल हुए और जो राम के नाम से दूरी बनाकर चलते हैं, उन्होंने राम के निमंत्रण को ठुकरा दिया। बहरहाल, वर्षों बाद अयोध्या में रामनवमी का उत्सव धूमधाम से मनेगा। बड़ी भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए अयोध्या पहुँचने वाले हैं। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास ने भी श्रद्धालुओं की सुविधाओं को ध्यान में रखकर पर्याप्त तैयारी की है। उत्तरप्रदेश के प्रशासन के सामने चुनौती होगी कि वह विशाल जनसमुदाय को संभाल ले। सब आनंद के साथ श्रीरामलला के दर्शन करें और उनके आशीर्वाद के साथ अपने घर को प्रस्थान करें। रामनवमी को विशेष बनाने के लिए अभिजीत मुहूर्त में श्रीरामलला के सूर्य तिलक की तैयारी भी की गई है, जिसका पूर्व परीक्षण किया जा चुका है। सूर्य की किरणों को तकनीक की सहायता से एकत्र करके सीधे श्रीरामलला की प्रतिमा के माथे पर प्रेषित किया जाएगा। नि:संदेह, सूर्य की किरणें श्रीरामलला के माथे पर सुशोभित होकर धन्यता का अनुभव करेंगी। श्रीराम के ललाट से निकला प्रकाश समूची दुनिया को प्रकाशित करेगा। जैसा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिनिधि सभा में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि राम मंदिर के पुनर्निर्माण का उद्देश्य तभी सार्थक होगा, जब सम्पूर्ण समाज अपने जीवन में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों को प्रतिष्ठित करने का संकल्प ले। श्रीराम के जीवन मे परिलक्षित त्याग, प्रेम, न्याय, शौर्य, सद्भाव एवं निष्पक्षता आदि धर्म के शाश्वत मूल्यों को आज समाज में पुनः प्रतिष्ठित करना आवश्यक है। सभी प्रकार के परस्पर वैमनस्य और भेदों को समाप्त कर समरसता से युक्त पुरुषार्थी समाज का निर्माण करना ही श्रीराम की वास्तविक आराधना होगी। आज विश्व में जिस प्रकार जीवन मूल्यों का क्षरण हुआ है, मानवीय संवेदनाओं में कमी आई है, विस्तारवादी मानसिकता बढ़ी है, राजनीतिक वैमनस्यता एवं स्वार्थों के कारण हिंसा और संघर्ष बढ़े हैं, उनसे समूची मानवता कराह रही है। ‘रामराज्य’ की संकल्पना दुनिया को शांति और समृद्धि की ओर लेकर जा सकती है। भारत इसमें अग्रणी भूमिका निभा सकता है। रामनवमी के अवसर पर हम भारतीयों को संकल्प लेना चाहिए कि भगवान राम के जीवनमूल्यों को समूची दुनिया में प्रसारित करेंगे। जब चहुँओर राम के नाम की गूंज होगी, तब अनेक प्रकार की चुनौतियों का समाधान स्वत: ही हो जाएगा।

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