राजस्थान में आपसी खींचतान कांग्रेस के लिए कर्नाटक की जीत का स्वाद खराब कर रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच वर्षों से चली आ रही तकरार अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचती दिख रही है। सचिन पायलट अपनी ही सरकार और मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ इस चिलचिलाती गर्मी में सड़क पर उतर आए हैं। पिछले पांच दिनों में अपनी ‘जन संघर्ष’ यात्रा के दौरान उन्होंने राजस्थान में लगभग 125 किलोमीटर की यात्रा पूरी की है। उनकी इस यात्रा में हजारों लोगों के साथ बड़ी संख्या में युवा भी चल रहे हैं। सचिन खुद भी युवा नेताओं में शुमार हैं। वे राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के युवा चेहरे हैं। इसलिए सहज भी युवा उनकी ओर आकर्षित होते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट के कारण कांग्रेस को युवाओं का खूब समर्थन प्राप्त हुआ था। लेकिन स्वयं को ठगा महसूस कर रहे सचिन पायलट को भी लग रहा है कि कांग्रेस सरकार ने युवाओं के साथ किए वायदे पूरे नहीं किए हैं। सचिन पायलट के साथ यात्रा में चलने वाले सैकड़ों युवा आगे चुनाव तक पायलट के लिए मददगार बनेंगे। हर जिले और गाँव तक इस यात्रा की प्रमुख बातें पहुचायेंगे। पायलट के साथ चलने वाले ये युवा चुनाव में कई भूमिका निभा सकेंगे। इनमें छात्र नेता भी साथ चल रहे हैं। बहरहाल, अपनी यात्रा के दौरान पायलट खुलकर मुख्यमंत्री गहलोत और कांग्रेस सरकार के खिलाफ मुखर हैं। मीडिया हो या जनता, दोनों के बीच पायलट ने युवाओं के मुद्दों को उठाया है। पेपर लीक का मुद्दा हो या फिर रोजगार की समस्या, पायलट ने युवाओं से कहा है कि हम इन मुद्दों पर अड़े रहेंगे। भ्रष्टाचार के मुद्दे को भी पायलट जोर–शोर से उठा कर कांग्रेस सरकार की कठिनाइयां बढ़ा रहे हैं। परंतु कांग्रेस नेतृत्व असमंजस की स्थिति में है, वह अशोक गहलोत और सचिन पायलट पर कोई निर्णय नहीं कर पा रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने तो आलाकमान बेबस नजर आता है। इसलिए सब यही अंदाजा लगा रहे हैं कि सचिन पायलट की ‘जन संघर्ष’ यात्रा के बाद भी मुख्यमंत्री गहलोत की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। हालांकि पायलट को लेकर भी कांग्रेस नरम पड़ी है। पूर्व में कांग्रेस के प्रमुख नेता पायलट पर अनुशासनहीनता के आरोप लगाकर कार्रवाई की मांग कर रहे थे। परंतु पायलट पर इन धमकियों से कोई दबाव नहीं बनता देख कांग्रेस के नेताओं को अपने सुर बदलने पड़े हैं। पायलट ने कांग्रेस को खूब आईना दिखाया कि अनुशासनहीनता वे नहीं बल्कि मुख्यमंत्री कर रहे हैं जो अपने ही चुने हुए विधायकों पर उल्टे–सीधे आरोप लगा रहे हैं। खैर, राजस्थान की यह राजनीतिक गर्मी अब उबाल पर है, जल्द ही कोई निर्णायक परिणाम दिखाई पड़ सकता है। पूरी संभावनाएं हैं कि सचिन पायलट अपने राहें कांग्रेस से अलग कर लें। जन संघर्ष यात्रा के दौरान उन्हें इस बात का अनुमान भी हो ही गया होगा कि कितनी जनता उनके साथ है और यह भी कि कांग्रेस में रहकर उनका भविष्य क्या रहेगा।
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