लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बहुत संतुलित और विपक्ष को आईना दिखानेवाला भाषण दिया। उन्होंने अपनी सरकार के कामकाज का हिसाब भी दिया और भविष्य के लक्ष्य का संकेत भी दिया। जब प्रधानमंत्री मोदी अपनी सरकार के कामकाज पर अभिमत रख रहे थे तब विपक्ष की ओर से अत्यधिक शोर-शराबा किया गया। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि नेता प्रतिपक्ष भी विपक्ष के सांसदों को हो-हल्ला करने के लिए उकसा रहे थे। यह देखकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उन्हें ठीक ही फटकार लगाई – “आपको 90 मिनट बोलने का मौका दिया। आप इतनी बड़ी पार्टी लेकर चल रहे हो, ऐसा नहीं चलता है। पांच साल ऐसे ही नहीं चलेगा”। संपूर्ण देश ने दिखा था कि सत्ता पक्ष ने राहुल गांधी के भाषण के दौरान कतई हंगामा नहीं किया। धैयपूर्वक उन्हें सुना, जबकि राहुल गांधी ने अपने भाषण में अनेक मिथ्यारोप लगाए थे। लोकसभा अध्यक्ष को उनके भाषण से विवादित हिस्सों को निकालना पड़ा। जब राहुल गांधी ने हिन्दुओं को हिंसक, नफरती और झूठा बताया, तब उसका विरोध करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी खड़े हुए लेकिन उसके बाद भी सत्ता पक्ष ने सदन में शांति बनाए रखी। लेकिन विपक्ष मन बनाकर बैठा था कि वह प्रधानमंत्री मोदी के पूरे भाषण में हो-हल्ला करेंगे। उन्हें बोलने नहीं देंगे। मानो प्रधानमंत्री के जवाब से विपक्ष पहले ही डर गया था। पुराने अनुभव के आधार पर इस बात का अनुमान विपक्ष ने अवश्य ही लगा लिया होगा कि प्रधानमंत्री मोदी विपक्ष के झूठ की बखिया उधेड़ देंगे। विपक्ष ने अपने रवैये से बता दिया है कि वह पाँच साल इसी प्रकार हो-हल्ला करके सदन की गरिमा को गिराने में अपना योगदान देगा। याद रखें कि जब प्रधानमंत्री बोलते हैं, तब शांति रखकर सुनने की परंपरा है। लेकिन कांग्रेस सहित विपक्षी दल न तो परंपरा में विश्वास करते हैं और नियम-कायदों में। प्रधानमंत्री मोदी आत्मविश्वास और साहस से भरे हुए थे इसलिए विपक्ष के हो-हल्ला के बीच भी बेबाकी से अपनी बात रखने में सफल रहे। लेकिन भविष्य में विपक्ष को भी इसके लिए तैयार रहना होगा। आवश्यक नहीं है कि सत्ता पक्ष भी बीते दिन की भाँति शांति से नेता प्रतिपक्ष को सुने। बहरहाल, प्रधानमंत्री मोदी ने भ्रष्टाचार और संविधान से लेकर अनेक मुद्दों पर विपक्ष के झूठ की पोल खोल दी। उन्होंने देश को याद दिलाया कि कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी स्वयं यह स्वीकार कर चुके हैं कि उनके समय में भ्रष्टाचार का चरम था कि एक रुपये में से केवल 15 पैसे ही जनता तक पहुँच पाते थे। संविधान की रक्षा करने के ढोंग पर भी प्रधानमंत्री ने कटाक्ष किया। उन्होंने देश को स्मरण कराया- “370 ने जम्मू-कश्मीर के क्या हालात कर दिए थे? यहां संविधान को सिर पर रखकर नाचने वाले लोग वहां संविधान लागू करने से कतराते थे”। उसके बाद उन्होंने हिन्दू धर्म पर किए गए प्रहार का भी सटीक उत्तर दिया। प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि कांग्रेस ने हमेशा हिन्दुओं की छवि खराब करने की कोशिश की है। कांग्रेस के नेता ‘हिन्दू आतंकवाद’ और ‘भगवा आतंकवाद’ जैसे विश्लेषण भी दे चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर साबित किया है कि वे सबको साथ लेकर चलने के साथ ही प्रत्येक समय में हिन्दू हितों के साथ खड़े होते हैं। बीते दिन भी राहुल गांधी का विरोध करने के लिए प्रधानमंत्री डटकर खड़े हो गए थे। प्रधानमंत्री के प्रतिकार के कारण राहुल गांधी को कहना पड़ गया कि उन्होंने हिन्दुओं को नहीं बल्कि प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा और आरएसएस के लिए ऐसा कहा है। हिन्दू तो कभी हिंसक हो ही नहीं सकता है। बहरहाल, प्रधानमंत्री ने सहज उदाहरणों के माध्यम से राहुल गांधी की राजनीतिक अपरिपक्वता को भी उजागर किया। याद हो कि जब से परिणाम आया है, तब से कांग्रेस यह स्थापित करने की कोशिश कर रही है कि लोकसभा चुनाव में उनकी बड़ी जीत हुई है और भाजपा हार गई है। इसके पीछे के उद्देश्य पर भी प्रधानमंत्री मोदी ने जमकर प्रहार किया। यह सोचकर हैरानी होती है कि कांग्रेस 543 में से केवल 99 सीटें जीतकर इस प्रकार आक्रामक है, यदि यह सत्ता में आ जाती तब क्या होता। तथ्य यह है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस तीसरी बार भी 99 के पार नहीं जा सकी है। वहीं, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा तीसरी बार सत्ता के केंद्र में है। प्रधानमंत्री मोदी के पूरे भाषण का विश्लेषण करें तो स्पष्ट होता है कि उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धि बताने और राहुल गांधी के भाषण का जवाब देने में खूब संतुलन बनाया था।
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