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गृहयुद्ध की ओर बढ़ता पाकिस्तान

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को सेना के इशारे पर जब से गिरफ्तार किया गया है, तब से पाकिस्तान के लगभग हरेक क्षेत्र में हिंसा भड़क गई है। पाकिस्तान में हिंसक प्रदर्शनों के जिस तरह के दृश्य दिखायी दे रहे हैं, उनसे अंदेशा हो रहा है कि पाकिस्‍तान गृहयुद्ध जैसे हालात की ओर बढ़ रहा है। इमरान खान और उनकी पार्टी के समर्थकों ने जहाँ हिंसक प्रदर्शन किए वहीं सेना की ओर से भी कड़ी कार्रवाई की जा रही है। पत्थरबाजी से लेकर गोलीबारी तक हो रही है। आगजनी की जा रही है। बड़े नेता भले ही शांतिपूर्ण प्रदर्शन का आह्वान कर रहे हों लेकिन समर्थक बेकाबू हो चुके हैं। सेना जिस प्रकार का दुर्व्यवहार इमरान खान के साथ कर रही है, उसके कारण भी समर्थकों में आक्रोश है। दरअसल, पहले भी जब इमरान खान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हुई थी, तब उन्होंने ही समर्थकों को प्रदर्शन के लिए उकसाया था। आज जो हिंसा हो रही है, उसके लिए पाकिस्तान की समूची राजनीति जिम्मेदार है। भारत विरोधी राजनीति और आतंकवादी एवं चरमपंथी गिरोहों को पालने की मानसिकता के कारण पाकिस्तान की राजनीति ने कभी देश के विकास और आपसी सहयोग के प्रयास ही नहीं किए। वहाँ की राजनीति जनता के मानस को हिंसक बनाने में ही लगी रही। इमरान खान स्वयं भी विकास और शुचिता की राजनीति का वायदा करके सत्ता में आए थे, लेकिन सत्ता पाने के बाद से उनके हाल भी पूर्ववर्ती नेताओं की भाँति रहे। पाकिस्तान के राजनेता एवं जनता आज भी सबक ले सकती है कि उसे किस रास्ते पर आगे बढ़ना है। अन्यथा बर्बादी की कगार पर खड़े पाकिस्तान के लिए आगे बहुत अंधकार है। अच्छा होगा कि राजनीतिक दल और जनता सेना को हावी न होने दें। निष्पक्ष चुनाव की ओर बढ़ें। लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकार ही जनता के हितों को ध्यान में रखकर पाकिस्तान को बदहाली से निकाल सकती है। पाकिस्‍तान के लिए अगले दो-तीन दिन बहुत चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। यदि पाकिस्तान की सरकार एवं सेना हिंसा को रोकने में असफल रही तब स्थितियां पूरी तरह विस्फोटक हो जाएंगी। पाकिस्तानी सेना इमरान खान और उनकी पार्टी पीटीआई को लेकर जिस तरह की सख्ती दिखा रही है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि पाकिस्तान में संविधान और लोकतंत्र दोनों ही किनारे कर दिए गए हैं। सेना मार्शल लॉ से लेकर पीटीआई पर प्रतिबंध तक लगाने का मन बना चुकी है। संभव है कि सेना और आगे बढ़कर इमरान खान की पार्टी को आतंकवादी पार्टी घोषित करके प्रतिबंध लगा दे। इसकी आशंका इसलिए ज्यादा है क्योंकि पीटीआई के समर्थक और सेना में सीधी मुठभेड़ हो रही हैं। अनियंत्रित हालात देखकर यह भी कहा जा रहा है कि मौजूदा सरकार सेना का सहयोग लेकर देश में आपातकाल की घोषणा भी कर सकती है। बहरहाल, यदि हिंसा नहीं रुकी तब पहले से ही अनेक प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहे पाकिस्तान को यह हिंसा और मुश्किलों की ओर ले जाएगी। भारत के लिए समूहों को ध्यान दिखाने के लिए उल्लेख करना आवश्यक है कि हिंसा में डूबा यही पाकिस्तान है जिसे पिछले दिनों में कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भारत से ऊपर स्थान दिया था। खुशहाली सूचकांक में भी पाकिस्तान को भारत से ऊपर रखा गया है।

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