प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वामी विवेकानंद रॉक मेमोरियल में ‘ध्यान’ लगाने से पहले ही बवाल शुरू हो चुका है। कांग्रेस से लेकर तृणमूल कांग्रेस तक को प्रधानमंत्री मोदी के ध्यान लगाने से आपत्ति है। यह समझना कठिन है कि मोदी के ध्यान लगाने से कांग्रेस एवं अन्य दलों को क्या आपत्ति है? अगर कांग्रेस को लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी के ध्यान लगाने से चुनाव प्रचार होता है और मतदाता आकर्षित होते हैं, तब कांग्रेस के नेताओं को ध्यान लगाने से किसने रोका है? जैसे प्रधानमंत्री मोदी की भाँति राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे रैलियां कर रहे हैं वैसे ही वे प्रधानमंत्री की तरह कहीं जाकर ध्यान क्यों नहीं करते? कांग्रेस इस प्रकार के मुद्दों पर आपत्ति उठाकर स्वयं ही अपना नुकसान करा लेती है। जब कांग्रेस ऐसे मुद्दों पर विरोध करती है, तब देशवासियों को लगता है कि उसे हिन्दू प्रतीकों से आपत्ति है। स्वामी विवेकानंद रॉक मेमोरियल बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। वर्ष 1893 में विश्व धर्म सभा में शामिल होने से पहले दिसंबर 1892 में स्वामी विवेकानंद तमिलनाडु के कन्याकुमारी गए थे। यहां समुद्र में 500 मीटर दूर पानी के बीच में उन्हें एक विशाल शिला दिखी, जहां तक वे तैरकर पहुंचे और ध्यानमग्न हो गए। वे 25, 26 और 27 दिसंबर को लगातार तीन दिन ध्यान में रहे। यहीं उन्हें भारत माता की दिव्य अवधारणा की अनुभूति हुई थी। उसी अनुभूति के साथ उन्होंने समूची दुनिया को भारत की अवधारणा से परिचित कराया। प्रधानमंत्री मोदी भी उसी शिला पर ध्यान लगाने जाएंगे। स्वाभाविक ही मीडिया इस घटना का कवरेज करेगा और देश की जनता तक प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीरें पहुँचेंगी। प्रधानमंत्री मोदी 2014 में छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़े ऐतिहासिक प्रतापगढ़ दुर्ग पर पहुँचे थे और 2019 में उन्होंने श्री केदारनाथ में ध्यान लगाया था। इसका अर्थ है कि प्रधानमंत्री मोदी की यह स्थायी गतिविधि है। कई दिन तक चले चुनावी कोलाहल के बाद आत्मिक शांति के लिए वे ध्यान-चिंतन करते हैं। संभव है कि इस ध्यान-चिंतन के दौरान आगामी कार्ययोजना पर भी विचार करते होंगे। बहरहाल जो भी हो लेकिन यह विरोध करने का विषय तो कतई नहीं है। कांग्रेस ने तो कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है और प्रधानमंत्री मोदी को ऐसा करने से रोकने की माँग की है। राज्यसभा सांसद और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री वहां प्रायश्चित करने जा रहे हैं, तो अच्छा है क्योंकि जिस इंसान को विवेक का अर्थ ही नहीं पता, वह क्या ध्यान लगाएगा। वहीं, तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो मीडिया को चेतावनी ही दे दी है कि यदि प्रधानमंत्री मोदी को ध्यान करने हुए दिखाया गया तो वे स्वयं आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत दर्ज कराएंगी। कुलमिलाकर कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दल किसी भी प्रकार से प्रधानमंत्री मोदी को ध्यान करने से रोकना चाहते हैं। किसी को ध्यान करने से न तो चुनाव आयोग रोक सकता है और न ही कोई अन्य। जिस संविधान को बचाने का प्रोपेगेंडा विपक्ष कर रहा है, वही संविधान मीडिया को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करता है। कहना होगा कि विपक्षी दलों ने ‘ध्यान’ पर आपत्ति करके अपना ही नुकसान कर लिया है।
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