पुनर्गठन के साथ ही नीति आयोग की उपयोगिता, भूमिका और महत्व को लेकर व्यापक चर्चा हुई। विशेषतौर से विपक्ष ने नीति आयोग की भूमिक और उपलब्धि को लेकर सवाल खड़े किए। दरअसल, पिछले कुछ समय से विपक्ष की एक आदत बन गई है कि वह प्रत्येक व्यवस्था को लेकर नकारात्मक सोच को प्रकट करता है। अच्छे निर्णयों/व्यक्तियों/संस्थाओं में भी उसे कोई न कोई कमी नजर आ ही जाती है। अपने इस आचरण से विपक्ष स्वयं का ही नुकसान कर रहा है। जब अच्छी और प्रभावशाली संस्थाओं एवं व्यक्तियों की जबरदस्ती की आलोचना की जाती है, तब जनता में यही संदेश जाता है कि इन्हें कुछ भी अच्छा ही नहीं लगता। बहरहाल, नीति आयोग ने पिछले आठ-नौ वर्षों में अपनी उपयोगिता एवं भूमिका को सिद्ध किया है। इसलिए यदि कोई नीति आयोग में के बारे में वितंडावाद खड़ा करता है, तब उसको नजरअंदाज करना ही बेहतर होता है। उल्लेखनीय है कि केंद्र और राज्य सरकारों को समावेशी विकास के लिए रणनीतिक तथा तकनीकी परामर्श उपलब्ध कराकर नीति आयोग ने एक प्रमुख संस्था के रूप में अपने को स्थापित किया है। वर्ष 2015 में योजना आयोग के स्थान पर जब इसका गठन हुआ था, तब यह स्वाभाविक प्रश्न सामने था कि क्या यह अपनी उपयोगिता सिद्ध कर पायेगा। अपने काम और उपलब्धियों के आधार पर नीति आयोग ने ऐसे सभी प्रश्नों का उत्तर दिया है। आयोग के पुनर्गठन के समय आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 केंद्रीय मंत्रियों को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में संस्था में शामिल किया है। अर्थशास्त्री सुमन के. बेरी इसके उपाध्यक्ष बने रहेंगे। पुनर्गठन की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि नयी सरकार में मंत्रियों का फेर-बदल हुआ है। वैज्ञानिक वीके सारस्वत, कृषि अर्थशास्त्री रमेश चंद, शिशु रोग विशेषज्ञ वीके पॉल और अर्थशास्त्री अरविंद विरमानी संस्था के पूर्णकालिक सदस्य बने रहेंगे। उल्लेखनीय है कि पूर्ण सदस्यों और आमंत्रित सदस्यों के शीर्षस्थ पैनल के अलावा कई विशेषज्ञ, शोधार्थी और विद्वान विभिन्न मुद्दों पर अध्ययन करते रहते हैं। केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों, विभिन्न संस्थानों के विद्वान, उद्योगपतियों आदि की शिरकत अलग-अलग बैठकों में समय-समय पर होती रहती है। योजना आयोग की तुलना में नीति आयोग की कार्यशैली अधिक लचीली और समावेशी है। आयोग सरकारों को कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर, ऊर्जा, पर्यावरण आदि विभिन्न विषयों पर नीतियां बनाने में परामर्श उपलब्ध कराता है। इसके प्रमुख कार्यों में सरकारी योजनाओं एवं नीतियों की निगरानी और मूल्यांकन भी है। विकास से संबंधित विषयों पर शोध एवं विश्लेषण के कार्य के साथ-साथ सरकारों को आयोग उनकी क्षमता बढ़ाने में योगदान देता है। हालांकि नीति आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं और कई मंत्री आमंत्रित सदस्य हैं, पर इसकी कार्यशैली स्वायत्त है। अटल इनोवेशन मिशन, डिजिटल इंडिया अभियान, स्वच्छ भारत अभियान, नेशनल हेल्थ स्टैक जैसे कार्यक्रमों में नीति आयोग की महत्वपूर्ण भागीदारी रही है। आयोग ने अनेक वार्षिक सूचकांक तथा रिपोर्ट भी प्रकाशित किये हैं, जो विकास के आयामों को समझने में बहुत मददगार हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने देश को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, पोषण, पर्यावरण, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास आदि कई पहलुओं पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। इन विषयों पर नीति आयोग सरकारों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहा है। आयोग ने एक दशक से भी कम समय में प्रभावशाली सलाहकार के रूप में स्वयं को स्थापित किया है तथा राजनीतिक मतभेदों से भी मुक्त रहा है।
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