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मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा

जाति के आधार पर राजनीतिक रोटियां सेंकने की कोशिश कर रही कांग्रेस को अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चारों ओर से बेनकाब कर दिया है। कांग्रेस अकसर भाजपा पर आरक्षण विरोधी होने का आरोप लगाती है, जबकि यथार्थ कुछ और है। भाजपा ने कभी भी अनुसूचित जाति-जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को हाथ नहीं लगाया है। जबकि कांग्रेस ने अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण पर सदैव टेड़ी नजर रखी है। संविधान में कहीं भी धर्म के आधार पर आरक्षण दिए जाने की नीति नहीं है। लेकिन कांग्रेस की सरकारों ने मुसलमानों को पिछड़ा वर्ग में शामिल करके, पिछड़ा वर्ग के बंधुओं का हिस्सा मुसलमानों को दिया है। राहुल गांधी ने पिछले कुछ समय से पिछड़ा वर्ग का राग बहुत आलापा था। यहाँ तक कि केंद्र में ओबीसी सचिवों की संख्या का मामला उठाकर अपनी सरकारों की नाकामी को मोदी सरकार के माथे पर मढ़ने का प्रयास भी किया था। कांग्रेस के प्रमुख नेता राहुल गांधी को जवाब देना चाहिए कि उनकी पार्टी की सरकारों ने पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को मुस्लिम समुदाय को क्यों दिया? मुस्लिम समुदाय तो कथित तौर पर समानता एवं भाईचारे का संप्रदाय है, फिर वहाँ पिछड़ा वर्ग कहाँ से आया? राहुल गांधी को यह भी बताना चाहिए कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की व्यवस्था के विरुद्ध जाकर मुसलमानों को आरक्षण देने का विचार क्यों आया? क्या यह मुस्लिम तुष्टीकरण की उपज है? लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आगरा से कांग्रेस पर जबर्दस्त हमला बोला है। उन्होंने कहा कि “अब कांग्रेस ने ठान लिया है कि वह धर्म के आधार पर आरक्षण लाकर रहेगी। इसके लिए कांग्रेस ने तरीका निकाला है कि 27 प्रतिशत का ओबीसी का जो कोटा है, उसमें से कुछ चोरी कर लिया जाए। उसे छीन लिया जाए और धर्म के आधार पर आरक्षण दे दिया जाए”। वास्तव में देखा जाए तो कांग्रेस का कृत्य संविधान, आरक्षण एवं पिछड़े वर्ग के विरोधी होने के तौर पर दिखायी दे रहा है। क्योंकि भारत का संविधान धर्म के आरधर पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता है। यदि संविधान की मूल भावना के विरुद्ध जाकर काम किया जाता है, तब यह न केवल संविधान का अपमान होगा अपितु बाबा साहब का भी अपमान होगा। प्रधानमंत्री मोदी के ये आरोप खोखले नहीं हैं। कांग्रेस विभिन्न राज्यों में धर्म के आधार पर आरक्षण की वकालत करती है और कई राज्यों में वह इसे लागू कर चुकी है। केंद्र स्तर पर भी मुसलमानों को पिछड़ा वर्ग में आरक्षण की सुविधा प्राप्त है। कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश में कांग्रेस ने विभिन्न समय में तमाम मुसलमानों को ओबीसी में डालकर उनको आरक्षण दिया है। जरा सोचिए, पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को बाँटने का यह काम किस नियत के साथ किया गया होगा? राजनीतिक गलियारों में कहा जा रहा है कि संविधान और आरक्षण को यदि किसी से खतरा है तो वह है कांग्रेस। कांग्रेस ने सैय्यद, शेख, पठान और मुगल जैसी जातियों को राज्यों में पिछड़ा वर्ग में शामिल करके संविधान की मूल भावना के विरुद्ध कार्य किया। अब कांग्रेस के कई नेता सभी मुसलमान जातियों को ओबीसी यानी सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा बता रहे हैं। यदि सभी मुसलमानों को पिछड़ा वर्ग में शामिल कर दिया गया, तब पिछड़ा वर्ग के बंधुओं की क्या स्थिति होगी, यह किसी से छिपी बात नहीं है। याद रखें कि केवल भाजपा ही यह दावा एवं वादा करती है कि उसकी सरकार बनी तो धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जाएगा। यदि कांग्रेस की नीयत में खोट नहीं है, तब उसके नेताओं को भी आगे आकर कहना चाहिए कि यदि कांग्रेस सत्ता में आती है तो धर्म के नाम पर दिया गया आरक्षण समाप्त किया जाएगा और भविष्य में ऐसी कोई नीति नहीं बनाई जाएगी, जिससे पिछड़ा वर्ग के बंधुओं का अधिकार मारा जाए।

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