राजद के नेता लालू प्रसाद यादव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के परिवार को लेकर अशोभनीय टिप्पणी करके राजनीतिक मर्यादा लांघ दी है। हैरानी की बात है कि लालू प्रसाद यादव की ओछी टिप्पणी का विरोध करने की जगह कांग्रेस सहित कम्युनिस्ट विचार के नेता एवं बुद्धिजीवी उसका बचाव कर रहे हैं। लालू प्रसाद यादव के शर्मनाक बयान का बचाव करना एक तरह से अपने पैरों में कुल्हाड़ी मारना है। कहना होगा कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लालू प्रसाद यादव ने प्रधानमंत्री मोदी के संबंध में अमर्यादित टिप्पणी करके समूचे विपक्ष की मट्टी-पलीद कर दी है। याद हो कि 2014 के चुनाव में कांग्रेस के नेता मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री मोदी के संघर्षों का उपहास बनाते हुए टिप्पणी की थी कि चायवाला क्या देश का प्रधानमंत्री बनेगा? उसके बाद भाजपा ने इसी बात को पकड़कर जनता का आशीर्वाद माँगा। वहीं, 2019 के चुनाव में स्वयं राहुल गांधी ने ‘चौकीदार चोर है’ कहकर मुसीबत मोल ले ली थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हुए इस हमले के बाद भाजपा के नेताओं से लेकर सामान्य जनता तक ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिख लिया था- ‘मैं भी चौकीदार’। लालू प्रसाद यादव की टिप्पणी के बाद भी यही हो रहा है। देश की जनता स्वयं को ‘मोदी का परिवार’ बताकर लालू प्रसाद यादव को आईना दिखा रही है। लालू प्रसाद ने सार्वजनिक सभा में मसखरे अंदाज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके परिवार का अपमान करने की नीयत से कहा कि “मोदी कोई चीज नहीं है। मोदी के पास तो परिवार ही नहीं है। अरे भाई तुम बताओ न कि तुम्हारे परिवार में कोई संतान क्यों नहीं हुआ। ज्यादा संतान होने वाले लोगों को बोलता है कि परिवारवाद है”। इतना ही नहीं, लालू ने प्रधानमंत्री मोदी की हिन्दू पहचान पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि “नरेंद्र मोदी हिन्दू नहीं हैं। अपनी मां के निधन पर उन्होंने मुंडन नहीं कराया”। शायद लालू प्रसाद यादव को यह नहीं मालूम होगा कि भारत में परंपराओं में विविधता है। गुजरात में मृतक को बाल देने की परंपरा नहीं है। माँ की मृत्यु और हिन्दू पहचान जैसे संवेदनशील मसले पर किसी प्रकार की टिप्पणी करनी ही नहीं चाहिए थी। लेकिन यह बात अंध विरोध का शिकार नेताओं को कौन बताए? बहरहाल, यह बात तो जगजाहिर है कि प्रधानमंत्री मोदी पर इस प्रकार के हमलों को न तो भाजपा स्वीकार करती है और न ही जनता। नि:संदेह, भाजपा ने मन बना लिया है कि वह लोकसभा चुनाव में ‘मोदी का परिवार’ को मुद्दा बनाएगी। देश की जनता प्रधानमंत्री मोदी के केवल विकास कार्यों के कारण पसंद नहीं करती है अपितु उनके साथ भावनात्मक रूप से भी जुड़ गई है। कांग्रेस और राजद का गठबंधन है। इसके साथ ही कांग्रेस के नेता लालू प्रसाद यादव के बयान का बचाव भी कर रहे हैं। स्वयं राहुल गांधी भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर ‘मोदी के परिवार’ की भाँति-भाँति से व्याख्या कर रहे हैं। मतलब जिस बात पर जनता की ओर से आक्रोश आ रहा है, कांग्रेस उसे और बढ़ा रही है। इस प्रकार की राजनीतिक नासमझी बहुत कम देखने को मिलती है। नेताओं से यदि कोई गलती हो जाए तो उससे ध्यान हटाने के प्रयास किए जाते हैं, लेकिन कांग्रेस और उसके सहयोगी तो जनता के ध्यान को ‘मोदी का परिवार’ पर केंद्रित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। इसलिए संभव है कि लालू प्रसाद के इस बयान की राजनीतिक कीमत कांग्रेस को भी चुकानी पड़ सकती है।
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