बीते कुछ समय से देश में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक, नकल, धांधली की घटनाएं बहुत बढ़ गयी हैं। एक के बाद एक लीक होती परीक्षाओं के चलते देशभर में छात्रों और अभिभावकों का गुस्सा उबाल ले रहा है। बीते पांच वर्षों में देश के 15 राज्यों में पेपर लीक के कारण एक करोड़ चालीस लाख युवाओं की मेहनत पर पानी फिर गया है। इन सबके बावजूद इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि ऐसे आपराधिक मामलों में शामिल कितने लोगों पर अब तक कानूनी शिकंजा कसा है। नीट परीक्षा में धांधली को लेकर हजारों विद्यार्थी सड़कों पर हैं। यह मामला अभी शांत भी नहीं हुआ है कि अब परीक्षा में गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द कर दी गयी है। दृढ़ इच्छाशक्ति वाली सरकार के कार्यकाल में इस प्रकार की गड़बड़ियां अस्वीकार्य हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार पूर्व में कह चुकी है कि परीक्षा में गड़बड़ी करनेवालों को छोड़ा नहीं जाएगा। उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन इसके बावजूद शिक्षा माफियाओं के हौसले बुलंद हैं। वे बेखौफ होकर लगातार परीक्षाओं में गड़बड़ी कर रहे हैं। उन्होंने सरकार के सामने एक चुनौती पेश की है, जिसका जवाब अब तक सरकार खोज नहीं पायी है। पेपल लीक के मामलों को हम हल्के में नहीं ले सकते। यह देश के लाखों युवाओं और उनके परिवारों से जुड़ा मामला है। अभिभावक बड़ी कठिन चुनौतियों के बीच अपने बच्चों को पढ़ाते हैं। छात्र भी अपना समय एवं परिश्रम लगाकर परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। पेपर लीक होना, परीक्षा में धांधली या नकल होना, ईमानदारी से परीक्षा की तैयारी कर रहे लाखों छात्रों के साथ अन्याय है। उनके सपने टूट जाते हैं, जब अचानक से उन्हें पता चलता है कि उन्होंने जो परीक्षा दी है, उसका पेपर लीक हो गया है। ऐसी स्थितियां न केवल युवाओं के मन में हताशा पैदा कर रही हैं अपितु आक्रोश भी जन्म ले रहा है। प्रधानमंत्री मोदी को सचेत होना होगा कि परीक्षा करानेवाले तंत्र की अफसलता का ठीकरा उनकी साफ छवि की सरकार के माथे पर फूटेगा। विपक्ष उन्हें कठघरे में खड़ा करेगा। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी जिम्मेदार अभिभावक की भाँति बच्चों के मन से परीक्षा का भय समाप्त करने के लिए प्रतिवर्ष परीक्षा पे चर्चा करते हैं। इसके बाद भी सरकारी तंत्र परीक्षा को मजाक बनाने में लगा हुआ है। सवाल उठ रहा है कि यह कैसा तंत्र है जो प्रश्नपत्रों को लीक होने से नहीं रोक पा रहा है? स्पष्ट है कि देश की शिक्षा व्यवस्था में असामाजिक तत्व और भ्रष्ट प्रवृत्तियां लगातार बढ़ रही हैं, जो व्यवस्था को खोखला कर रही हैं। परीक्षा में गड़बड़ी के मामले सरकार की साख पर बट्टा लगा रहे हैं। यह मामला सरकार के गले की फांस बने उससे पहले ही सरकार को कुछ ठोस कदम उठा लेने चाहिए। परीक्षा प्रणाली में सुधार के लिए कुछ चीजें तो तुरंत करने की जरूरत है, साथ ही साथ दीर्घकालिक योजना बनाने की भी जरूरत है। देश में कानून इतना शिथिल है अथवा माफियाओं की पहुंच इतनी ज्यादा है कि उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होती। मामले की गंभीरता से जाँच की जाए और जल्द से जल्द दोषियों को खोजा जाए। उसके बाद दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो ताकि शिक्षा माफियाओं के हौसले पस्त किए जा सकें। हमें यह भी देखना पड़ेगा कि बार-बार ऐसा क्यों हो रहा है। दूसरी बात है कि सभी शिक्षाविदों को देशभर से बुलाकर बैठाना होगा और उनसे पूछना होगा कि इस समस्या से निपटने के लिए किस तरह का प्रबंधन किया जाए। उम्मीद है कि केंद्र सरकार जल्द ही परीक्षा में गड़बड़ी की समस्या पर समाधान खोज लेगी।
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