Home » संतों के विरुद्ध ममता बनर्जी की बयानबाजी

संतों के विरुद्ध ममता बनर्जी की बयानबाजी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी राजनीतिक जमीन बचाने के लिए और अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए हिन्दू संतों को राजनीति में घसीटने की कोशिश की है। उन्होंने रामकृष्ण मठ, रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम संघ से जुड़े संतों पर निशाना साधते हुए कहा है कि ये लोग भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। नि:संदेह, इस प्रकार का बयान वह नेता ही दे सकता है, जिसे एक खास वर्ग के वोट चाहिए। संतों को लेकर राजनीतिक टिप्पणी करना, नि:संदेह आपत्तिजनक है। रामकृष्ण मठ, मिशन और भारत सेवाश्रम संघ की ओर से एक बार भी भाजपा के पक्ष में मतदान करने का आह्वान नहीं किया गया है। जबकि पश्चिम बंगाल में इस्लामिक संगठनों एवं चर्चों के द्वारा भाजपा के विरोध में किसी एक विशेष दल के पक्ष में मतदान करने के प्रकरण कई बार सामने आए हैं। लेकिन आज तक ममता बनर्जी ने मौलानाओं एवं पादरियों के विरुद्ध एक भी बयान नहीं दिया है। इसलिए भी कहा जा सकता है कि बिना किसी प्रमाण हिन्दू संतों पर निशाना साधने का अभिप्राय यही है कि ममता बनर्जी की निगाहें कहीं हैं और निशाना कहीं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ममता बनर्जी पर संतों को धमकाने का आरोप लगाया है। वहीं, एक संत कार्तिक महाराज ने मुख्यमंत्री को कानूनी नोटिस भेजा है। इस नोटिस में ममता बनर्जी के बयान को संत ने निराधार, झूठा और अपमानजनक बताया है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता किस प्रकार का उग्र और हिंसक प्रदर्शन करते हैं। पिछले कुछ सालों में ये हमेशा देखा गया है कि तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता सत्ता पाकर भाजपा समर्थकों के साथ किस प्रकार का व्यवहार करते हैं। वर्ष 2021 में भी तृणमूल कांग्रेस के जीतने के बाद राज्य में बवाल हुआ था और पंचायत चुनाव जीतने के बाद भी उसके कार्यकर्ताओं ने उत्पात मचाया था। उस समय भाजपा कार्यकर्ताओं के घरों को खोज-खोजकर हमले हुए थे। ऐसे स्थिति में और ऐसे कार्यकर्ताओं के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का ये बयान संतों के लिए जान तक का खतरा पैदा करता है। ममता बनर्जी के बयान के बाद कुछ हमलावर जलपाईगुड़ी स्थित रामकृष्ण मिशन के आश्रम में घुस गए। उन्होंने भिक्षुओं पर हमला किया, सीसीटीवी आदि तोड़े दिए। याद हो कि पश्चिम बंगाल की राजनीति में पहली बार संतों पर दोष लगाकर उनके खिलाफ माहौल बनाने का काम नहीं हुआ। ममता बनर्जी सरकार से पहले वामपंथी शासन काल में भी संतों को माकपा की सरकार ने निशाना बनाया था। तब परिणाम यह हुआ था कि कोलकाता में सरेआम 16 भिक्षु और 1 साध्वी निशाना बना लिए गए थे। आज उस नरसंहार को ‘बिजान सेतु नरसंहार’ कहा जाता है। राजनीतिक बेशर्मी देखिए कि सरेआम संतों की हत्याएं की गईं लेकिन आज तक उस नरसंहार में किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। माकपा सरकार पर आरोप हैं कि उसने इस मामले से संबंधित तथ्यों को छिपाया। नरसंहार की जाँच के लिए बने आयोगों को न तो माकपा सरकार ने सहयोग दिया और न ही तृणमूल कांग्रेस ने। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान के बाद से भय का वातावरण बन गया है। आश्रमों एवं संतों को नुकसान पहुँचाने की आशंका गहरा गई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सांप्रदायिक बयान की जितनी निंदा की जाए कम है।

Swadesh Bhopal group of newspapers has its editions from Bhopal, Raipur, Bilaspur, Jabalpur and Sagar in madhya pradesh (India). Swadesh.in is news portal and web TV.

@2023 – All Right Reserved. Designed and Developed by Sortd