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पश्चिम बंगाल में जंगलराज

पश्चिम बंगाल में राजनीतिक एवं वैचारिक हिंसा के चरम पर पहुंचने के साथ ही अब कंगारू कोर्ट या कहें कि शरिया अदालतें भी शुरू हो गई हैं। जहां गुंडे इकट्‌ठे होकर किसी व्यक्ति के संबंध में सजा सुनाने एवं प्रताड़ित करने का काम करते हैं। पश्चिम बंगाल से लगातार ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, जिनमें भीड़ तमाशबीन बनी है और कुछ गुड़े लोगों को निर्दयीयता से पीट रहे हैं। महिलाओं के साथ भी इस प्रकार की मारपीट की जा रही है। लेकिन महिला मुख्यमंत्री होकर भी ममता बनर्जी इस तरह के अपराध के प्रति संवेदनशील दिखायी नहीं देती हैं। सरकार के ढुलमुल रवैए के कारण पश्चिम बंगाल में एक तरह से संविधान सम्मत कानून व्यवस्था के समानांतर अराजक तत्वों ने अपनी कानून व्यवस्था खड़ी कर ली है। यह स्थिति किसी भी सरकार की विफलता है और देश-समाज के लिए गंभीर चुनौती है। याद हो कि पिछले सप्ताह ही पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर के चोपड़ा में युवक एवं महिला को बीच सड़क पर मुस्लिम गुंडों द्वारा बेरहमी से पीटे जाने का वीडियो सामने आया था। सोशल मीडिया पर वायरल होने के कारण प्रशासन ने उस गुंडे को गिरफ्तार कर लिया था लेकिन पुलिस हिरासत में होकर भी जिस प्रकार के उसके हाव-भाव थे, उससे कहीं से भी नहीं लग रहा था कि उस गुंडे में कानून का भय है। किसी का वरदहस्त होने पर जिस प्रकार के अभय की अनुभूति होती है, वैसे ही भाव उसके चेहरे पर दिखायी दे रहे थे। यही कारण है कि पश्चिम बंगाल में कंगारू एवं शरिया अदालतें बेखौफ होकर चलाई जा रही हैं। अराजक तत्व निर्भय होकर राजनीतिक, वैचारिक एवं साम्प्रदायिक अपराध कर रहे हैं। चिंताजनक बात यह है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता/मंत्री कंगारू एवं शरिया अदालतों के समर्थन में बयानबाजी करते दिखायी देते हैं। चोपड़ा में महिला एवं युवक को पीटे जाने के मामले में तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय विधायक हमीदुल रहमान ने जिस प्रकार का बयान दिया था, उससे पश्चिम बंगाल में बन रही खतरनाक स्थितियों की झलक दिखायी देती है। रहमान ने कहा था कि ‘हमारे मुस्लिम राष्ट्र के कुछ नियम हैं। महिला के साथ इन नियमों के मुताबिक बर्ताव किया गया है। वह अवैध संबंध में थी, उसका कैरेक्टर सही नहीं था और वह समाज को खराब कर रही थी’। यह ठीक उस प्रकार की मानसिकता है, जो हमें पाकिस्तान से लेकर अफगानिस्तान में दिखायी पड़ती है। क्या पश्चिम बंगाल में तालीबानी या इस्लामिक शासन है, जहां मुस्लिम राष्ट्र के नियमों के अनुसार लोगों को मारा-पीटा जाएगा? कायरों का झुंड नागरिकों के साथ जो चाहे बर्ताव करेगा? दुर्भाग्यपूर्ण है कि पश्चिम बंगाल की स्थिति और हमीदुल रहमान जैसी तालीबानी मानसिकता के विरुद्ध इंडी गठबंधन का एक भी नेता कुछ नहीं बोल रहा है। ‘लड़की हूँ-लड़ सकती हूँ’ का नारा देनेवाली प्रियंका गांधी वाड्रा भी पश्चिम बंगाल से आ रही तस्वीरों पर चुप हैं। हिन्दू धर्म के मनमाफिक प्रकार बतानेवाले राहुल गांधी भी इन शरिया अदालतों पर कुछ नहीं बोलते? यहां वे यह नहीं बताते कि कौन-सा इस्लाम, किसका है? केंद्र सरकार को भी पश्चिम बंगाल की चिंताजनक एवं खतरनाक स्थितियों पर ध्यान देना होगा। अन्यथा स्थितियां इतनी अधिक बिगड़ सकती हैं कि मामला हाथ से निकल जाएगा। केन्द्र सरकार या तो राज्य सरकार पर दबाव डाले या फिर कोई और सख्त कदम उठाए। अराजक तत्वों को इस प्रकार खुली छूट नहीं दी जा सकती कि वे कंगारू एवं शरिया अदालतें लगाकर भारतीय संविधान एवं कानून व्यवस्था का मजाक बनाएं।

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