मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के बाद अब राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं। देश की राजनीति के लिहाज से यह राज्य भी बहुत महत्व रखता है। फिलहाल यहाँ कांग्रेस की सरकार है। लेकिन प्रदेश की परंपरा बनी हुई है कि यहाँ हर बार सरकार बदल जाती है। इसके अलावा गहलोत सरकार के प्रति जनता में गहरा असंतोष व्याप्त है। इसलिए भाजपा को यहाँ बहुत अच्छी उम्मीद नजर आ रही है। बहरहाल, राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर पक्ष और विपक्ष दोनों एक दूसरे पर हमलावर हो रखे हैं। चुनाव प्रचार के दौरान मुद्दों के साथ-साथ भावनात्मक विषयों को भी उठाया जा रहा है। जहाँ भाजपा की ओर से कांग्रेस पर मुस्लिम तुष्टीकरण, भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था को लेकर हमले किए जा रहे हैं। वहीं, कांग्रेस की ओर से भी जातिगत जनगणना इत्यादि मुद्दों को उठाया जा रहा है। इस बीच कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने अजमेर के केकड़ी में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा है कि “जो लोग धर्म या जाति के नाम पर वोट मांगते हैं, वे अपने काम के आधार पर वोट मांगने की स्थिति में नहीं हैं”। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर ‘विक्टिम कार्ड’ खेलने और धर्म-जाति के नाम पर वोट माँगने का आरोप लगाया है। अब हो यह रहा है कि प्रियंका गांधी ने हमला तो भाजपा पर किया लेकिन जाति के नाम पर राजनीति का जिक्र करने से उनके ही भाई राहुल गांधी भी लपेटे में आ गए। अब राजनीतिक गलियारों से लेकर जनता तक यह चर्चा हो रही है कि आज देश में जाति के नाम पर जो राजनीति हो रही है, उसको बढ़ावा देने का काम तो राहुल गांधी ने किया है। राहुल गांधी तो अपने विवादित भाषण में यहाँ तक कह गए हैं कि जाति की गिनती करने पर ही हमें यह समझ आएगा कि भारत माता कौन है? उनके इस भाषण से समूचा देश हैरत में है कि आखिर भारत माता को नये सिरे से परिभाषित और चित्रित करने की आवश्यकता क्यों आन पड़ी है? याद हो कि इससे पूर्व राहुल गांधी ने ‘भारत माता’ को असंसदीय बताकर और संसद के भीतर उन्होंने ‘भारत माता का मर्डर’ हो गया, जैसे बयान देकर विवाद खड़े किए हैं। अब वे जाति की गिनती करके ‘भारत माता’ को एक पहचान देना चाह रहे हैं। जिन भी राज्यों में चुनाव हुए हैं या हो रहे हैं, वहाँ राहुल गांधी ने सरकार बनने पर जातिगत जनगणना कराने का वादा जनता से किया है। तब क्या यह माना जाए कि प्रियंका गांधी वाड्रा जाति के नाम पर वोट माँगने के लिए राहुल गांधी की राजनीति का विरोध कर रही थीं? वास्तव में प्रतिद्वंद्वी पार्टी पर सवाल उठाने से पहले प्रियंका गांधी वाड्रा को अपने घर में देखना चाहिए और राहुल गांधी से पूछना चाहिए कि वे जाति के आधार पर वोट क्यों माँग रहे हैं? सरकार बनने पर जातिगत जनगणना कराने का वादा करना, जाति के नाम पर राजनीति करने एवं वोट माँगने की श्रेणी में ही आएगा। मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने भी खूब रामायण और महाभारत के किरदारों एवं प्रसंगों का जिक्र करके मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया था। स्वयं प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक भाषण में श्रीराम के वनवास का जिक्र किया। हालांकि उसमें वे वनवास का कालखंड 13 वर्ष बताकर तथ्यात्मक गलती कर गई थीं। बहरहाल, अपनी सुविधा के हिसाब से आरोप-प्रत्यारोप करना भी एक अलग किस्म की राजनीति है। परंतु सत्य यह है कि भारत में प्रारंभ से धर्म के नाम पर राजनीति होती रही है। एक समय में मुस्लिम तुष्टीकरण करके कांग्रेस जैसे दल सत्ता की सीढ़ियां चढ़ा करते थे जबकि आज भाजपा ने हिन्दू धर्म को बड़ी राजनीतिक ताकत के रूप में परिवर्तित कर दिया है।
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