प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा सरकार की प्राथमिकता में प्रारंभ से ग्राम विकास शामिल रहा है। वह जानते हैं कि विकास की धारा से गाँवों को अछूता रखा गया, तब भारत का संपूर्ण विकास नहीं हो पाएगा। भारत रत्न एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को छोड़ दिया जाए, तो ग्राम विकास पर पूर्ववर्ती सरकारों ने उतना ध्यान नहीं दिया, जितना दिया जाना चाहिए। भारत के गाँव-गाँव तक सड़क पहुँचाने का श्रेय अटल बिहारी वाजपेयी को है और हर गाँव तक बिजली पहुँचाने का श्रेय वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को है। अब इस क्रम में प्रधानमंत्री मोदी हर गाँव तक इंटरनेट पहुँचाने का महत्वपूर्ण कार्य भी करने जा रहे हैं। सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में यह आवश्यक है कि भारत का प्रत्येक गाँव में इंटरनेट की सुविधा हो। आज अनेक ऐसी योजनाएं एवं कार्य हैं, जो इंटरनेट की उपलब्धता से सुगमता से हो जाते हैं। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर मोदी सरकार ने देश के लगभग साढ़े छह लाख गाँवों को सूचना प्रौद्योगिकी का लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। केंद्र सरकार ने भारत के छह लाख 40 हजार गाँवों को भारत नेट सेवा से जोड़ने के लिए लगभग एक लाख 40 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। पिछले आठ माह में देश के विभिन्न हिस्सों में लगभग 60 हजार गाँवों में पायलट परियोजना चलायी गई है। इसकी सफलता को देखते हुए अब इसके विस्तार का निर्णय लिया गया है। देश में अभी लगभग ढाई लाख ग्राम पंचायत हैं, जिनके अंतर्गत कई गाँव आते हैं। इनमें से अभी लगभग दो लाख ग्राम पंचायतों को भारत नेट योजना से जोड़ा जा चुका है। स्मरण रखें कि भारत नेट को दुनिया की सबसे बड़ी ग्रामीण ब्रॉडबैंड सेवाओं में गिना जाता है। इस योजना का उद्देश्य है कि देश का कोई भी हिस्सा इंटरनेट की पहुँच से दूर नहीं रहना चाहिए। योजना के तहत वाई-फाई या ब्रॉडबैंड या फाइबर नेटवर्क के माध्यम से विद्यालयों, अस्पतालों, डाकघरों, पुलिस थानों, आंगनवाड़ी केंद्रों और पंचायतों इत्यादि तक इंटरनेट की सुविधा पहुँचाने का प्रयास किया जा रहा है। गाँवों और दूरदराज के इलाकों में शहरों जैसी आधुनिक और उच्च गति की इंटरनेट सुविधा का प्रसार करने से वहाँ ई-स्वास्थ्य, ई-शिक्षा, ई-गवर्नेंस, कृषि सेवाओं एवं अन्य प्रकार के विकास कार्यक्रमों को निर्बाध ढंग से चलाया जा सकेगा। एक बात याद रखें कि गाँवों को इंटरनेट से जोड़ने से केवल ग्रामवासियों का ही भला नहीं होगा, अपितु इसका प्रभाव सब पर सकारात्मक पड़ेगा। अभी इंटरनेट से जुड़े कार्यों के लिए ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को शहरों में आना पड़ता है। ऑनलाइन हो जानेवाले कार्यों के लिए उन्हें सरकारी एवं निजी दफ्तारों में कागज-पत्री लेकर चक्कर लगाने पड़ते हैं। विद्यार्थियों को भी अध्ययन सामग्री इत्यादि के लिए शहरों की ओर दौड़ लगानी होती है। यदि गाँव में इंटरनेट ठीक गति से चलने लगे तो शहरों पर बढ़नेवाला दबाव भी कम होगा, गाँव में रहकर पढ़ाई कर रहे युवाओं को भी बहुत सहायता मिलेगी और शासकीय कार्यालयों पर दबाव भी कम होगा। भारत के सतत्, समग्र और सर्वसमावेशी विकास को भी गति मिलेगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि जिस प्रकार अन्य कार्य अपनी तय समय सीमा में पूरे हो रहे हैं, गाँवों को सूचना प्रौद्योगिकी से जोड़ने का यह काम भी जल्द ही पूरा होगा।
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