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‘दिव्यास्त्र’ से बढ़ी भारत की सामरिक क्षमता

विज्ञान के क्षेत्र में भारत नित नयी ऊंचाइयां प्राप्त कर रहा है। यह आनंद की बात है कि ‘दिव्यास्त्र’ के सफल परीक्षण ने वैश्विक पटल पर भारत को मिसाइल तकनीक के बड़े खिलाड़ी के तौर पर स्थापित कर दिया है। भारत की इस उपलब्धि को स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने सोशल मीडिया मंच पर पोस्ट लिखकर देशवासियों के साथ साझा किया। याद रखें कि ‘मिशन दिव्यास्त्र’ का सफल परीक्षण भारत की सामरिक क्षमता के विस्तार में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह बात केवल भारत के रक्षा विशेषज्ञ ही नहीं कह रहे हैं अपितु चीन जैसा प्रतिद्वंद्वी देश भी मान रहा है कि अग्नि-5 मिसाइल के सफल परीक्षण ने भारत की सामरिक क्षमता में वृद्धि की है। चीन का यह भी मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अपनी सामरिक क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि की है। मिशन दिव्यास्त्र के संबंध में यह तथ्य भी हमारे आत्मविश्वास और आनंद को बढ़ानेवाला है कि अग्नि-5 एक स्वदेशी मिसाइल है। देश में ही विकसित अग्नि-5 मिसाइल की विशेषता है कि यह मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हिकल तकनीक से लैस है। इस तकनीक से एक ही मिसाइल में अनेक बम जोड़े जा सकते हैं, जिन्हें अलग-अलग जगहों पर या एक ही जगह पर अलग-अलग समय दागा जा सकता है। मिसाइल रोधी हमले से बचाव के लिए नकली बम भी इस मिसाइल के साथ भेजे जा सकते हैं, जो शत्रु को चकमा दे सकते हैं। इस मिसाइल में छह हजार किलोमीटर तक मार करने की क्षमता है तथा इससे परमाणु बम भी दागे जा सकते हैं। यही कारण है कि इस मिसाइल के सफल परीक्षण के साथ ही वैश्विक पटल पर भारत की धमक बढ़ गई है। हमें यह कतई नहीं भूलना चाहिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यभार संभालने के साथ ही रक्षा क्षमता को अत्याधुनिक तकनीक एवं हथियारों से युक्त करने का काम प्रारंभ किया था, जिसमें वे बहुत हद तक सफल हुए हैं। इसके साथ ही, सरकार रक्षा आवश्यकताओं की पूर्ति करने तथा आयात पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से देश में ही निर्माण और उत्पादन को बढ़ावा दे रही है। अग्नि-5 की पहली उड़ान ऐसे प्रयास की सफलता का महत्वपूर्ण उदाहरण है। उल्लेखनीय है कि एक साथ कई हथियार ढोने की मिसाइल तकनीक साठ के दशक में ही खोज ली गयी थी और सभी ताकतवर देशों के पास ऐसी मिसाइलें हैं। अमेरिका में सत्तर के दशक के प्रारंभ में ऐसी मिसाइल का परीक्षण हुआ था, जबकि सोवियत संघ ने कुछ साल बाद ऐसी मिसाइल बनाने में कामयाबी पायी। भारत ने पहली बार सार्वजनिक तौर पर इस तकनीक के उपयोग की घोषणा की है। यह उपलब्धि भारत के बढ़ते आत्मविश्वास और स्वाभिमान को भी इंगित करती है। अब भारत ऐसी क्षमता वाले देशों- अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन- की कतार में आ गया है। हमारे दो आक्रामक पड़ोसियों- चीन और पाकिस्तान- लगातार अपनी रक्षा शक्ति को बढ़ाने में लगे हुए हैं। ऐसे में हमें भी अपनी सामरिक तैयारी को बेहतर करते जाना है। कई बम ढोने की मिसाइल तकनीक चीन के पास पहले से ही है और पाकिस्तान भी ऐसी मिसाइलों को विकसित कर रहा है। पिछले वर्ष अक्टूबर में पाकिस्तान ने मध्य दूरी के एक बैलेस्टिक मिसाइल का दूसरा परीक्षण किया था, जिसे कई हथियारों को ढोने के लिहाज से डिजाइन किया गया है। इसलिए यह आवश्यक हो गया था कि भारत के पास भी इस प्रकार की मिसाइल होनी चाहिए। यह अच्छी बात है कि भारत ने किसी दबाव में आकर विदेश से इस प्रकार की मिसाइल नहीं खरीदी अपितु स्वदेशी तकनीक से भारत में ही मिसाइल को बनाने की चुनौती को स्वीकार किया। इसलिए कहा जा रहा है कि अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण हमारी सामरिक शक्ति बढ़ाने की दृष्टि से तो महत्वपूर्ण है ही, यह अत्याधुनिक तकनीक के क्षेत्र में हमारी प्रगति का भी उदाहरण है।

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